झारखंड: CM हेमंत सोरेन ने गवर्नर से की मुलाकात,  सौंपा पत्र, संविधान व लोकतंत्र की रक्षा की लगाई गुहार

सीएम हेमंत सोरेन ने गुरुवार को राजभवन पहुंचकर गवर्नर रमेश बैस को पत्र सौंपा है। गवर्नर से सीएंम की मुलाकात लगभग 40 मिनट तक चली सीएम ने गवर्नर से सदस्यता मामले में निर्वाचन आयोग की अनुशंसा की प्रति देने तथा उस पर निर्णय लेने की मांग की है। सीएम नेइस मामले में सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करने की भी मांग की है।

झारखंड: CM हेमंत सोरेन  ने गवर्नर से की मुलाकात,  सौंपा पत्र, संविधान व लोकतंत्र की रक्षा की लगाई गुहार
सीएम व गवर्नर (फाइल फोटो)।

रांची। सीएम हेमंत सोरेन ने गुरुवार को राजभवन पहुंचकर गवर्नर रमेश बैस को पत्र सौंपा है। गवर्नर से सीएंम की मुलाकात लगभग 40 मिनट तक चली सीएम ने गवर्नर से सदस्यता मामले में निर्वाचन आयोग की अनुशंसा की प्रति देने तथा उस पर निर्णय लेने की मांग की है। सीएम नेइस मामले में सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करने की भी मांग की है। 

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सीएम ने गवर्नर को यह भी बताया है कि उन्होंने पांच सितंबर को झारखंड विधानसभा में बहुमत प्राप्त किया है। सदस्यता मामले में भ्रम की स्थिति तथा मीडिया में सामने आ रही बातों का बीजेपी द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। बीजेपी द्वारा दलबदल को बढ़ावा तथा अनैतिक ढंग से सत्ता प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। हेमंत ने कहा कि बीजेपी कभी अपने अनैतिक प्रयास में सफल नहीं होगी क्योंकि सरकार के पास दो तिहाई बहुमत है। गवर्नर संवैधानिक प्रमुख होने के नाते संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा करें।

सीएम  का पत्र गवर्नर के नाम
माननीय राज्यपाल महोदय,
मुझे झारखंड राज्य में विगत तीन सप्ताह से अधिक समय से उत्पन्न असामान्य, अनापेक्षित एवं दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण इस अभ्यावेदन के साथ भवदीय के समक्ष उपस्थित होने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। फरवरी, 2022 से ही बीजेपी द्वारा यह भूमिका रची जा रही है कि मेरे द्वारा स्टोन माइंस लीज लिये जाने के आधार पर मुझे विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया जायेगा। इस संबंध में बीजेपी द्वारा भवदीय के समक्ष एक शिकायत भी दर्ज की गई थी । यद्यपि संबंधित विषय के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय Kartar Singh Bhadana versus Hari Singh Nalwa (2002) 4 SCC 661 एवं C.V. K. Rao versus Dantu Bhaskara Rao AIR 1965 SC 93 के दो आधिकारिक एवं बाध्यकारी न्याय निर्णयों द्वारा पूर्णतः आच्छादित किया गया है, जिसमें यह पूर्णतः एवं स्पष्टतः व्यवस्था दी गई है कि खनन पट्टा लिये जाने से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9A के प्रावधान के अंतर्गत अयोग्यता उत्पन्न नहीं होती है। तथापि इस विषय में मंतव्य गठन हेतु संविधान के अनुच्छेद 192 के अन्तर्गत भवदीय के रेफरेंश के अनुसरण में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सुनवाई भी आयोजित की गई।
लगता है चुनाव आयोग बीजेपी को सौंप दिया है अपना मंतव्य 
यद्यपि भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार निर्वाचन आयोग को अपना मंतव्य भवदीय के समक्ष प्रस्तुत करना है। भवदीय द्वारा तत्पश्चात अधोहस्ताक्षरी को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान कर यथोचित कार्रवाई करनी है। तथापि बीजेपी के नेताओं के सार्वजनिक बयानों से यह प्रतित होता है कि निर्वाचन आयोग द्वारा अपना मंतव्य बीजेपी को सौंप दिया गया है। भवदीय के कार्यालय के कथित श्रोतों एवं बीजेपी के नेताओं के बयानों को उदधृत करते हुए विगत 25 अगस्त से प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में यह व्यापक रूप से परिचालित किया जा रहा है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा यह अभिमत दे दिया गया है कि अधोहस्ताक्षरी पंचम झारखं विधान सभा की सदस्यता से निरर्हित कर दिये गये हैं ।
यूपीए डेलीगेशन को विधि सम्मत कार्रवाई का दिया था आश्वासन
इस बाबत यूपीए के एक डेलीगेशन द्वारा भवदीय से दिनांक 01.09.2022 को भेंटकर निर्वाचन आयोग के मंतव्य को शीघ्र सार्वजनिक करने हेतु एक अभ्यावेदन दिया गया था। भवदीय द्वारा डेलीगेशन के सदस्यों को बताया गया था कि निर्वाचन आयोग से मंतव्य प्राप्त हो गया है तथा इस संबंध में आवश्यक विधि सम्मत कार्रवाई दो-तीन दिनों के अंदर पूर्ण कर अवगत करा दिया जायेगा।
बीजेपी के बयान से जनता में भ्रम की स्थिति 
महोदय, भारत निर्वाचन आयोग के मंतव्य के संबंध में मीडिया में बीजेपी द्वारा किये जा रहे प्रचार एवं भवदीय के कार्यालय से मंतव्य के संबंध में कथित सूचना के छनकर आने से सरकार, कार्यपालिका एवं जनमानस में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जो राज्यहित एवं जनहित में नहीं है। बीजेपी इस भ्रम की स्थिति का उपयोग दलबदल के अस्त्र के रूप में कर अनैतिक रूप से सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है। बीजेपी अपनी इस अनैतिक प्रयास में कभी सफल नहीं होगी क्योंकि राज्य गठन के बाद पहली बार हमारी सरकार को लगभग दो तिहाई सदस्यों को समर्थन प्राप्त है। दिनांक 05.09. 2022 को यूपीए सरकार ने विधान सभा पटल पर अपना अपार बहुमत भी साबित किया है। विधायकों द्वारा अधोहस्ताक्षरी के नेतृत्व में अपनी पूर्ण निष्ठा एवं विश्वास व्यक्त किया गया है। राज्य के संवैधानिक प्रमुख के नाते भवदीय से संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा में महत्ति भूमिका की अपेक्षा की जाती है। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के मुखिया के रूप में अधोहस्ताक्षरी संविधान एवं कानून के शासन के अनुपालन के लिए कृतसंकल्पित है ।
चुनाव आयोग के मंतव्य की एक प्रति मुझे उपलब्ध कराई जाए
अतः अधोहस्ताक्षरी का भवदीय से अनुरोध है कि निर्वाचन आयोग के मंतव्य की एक प्रति उपलब्ध करायी जाये एवं यथाशीघ्र युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाये, ताकि स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए घातक अनिश्चितता का वातावरण शीघ्र दुर हो सके एवं झारखंड राज्य उन्नति, प्रगति एवं विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सके।