झारखंड: एक्स मिनिस्टर समरेश सिंह की हालत बिगड़ी, बीजीएच से मेदांता रांची रेफर
झारखंड के एक्स मिनिस्टर सह बोकारो के एक्स एमएलए समरेश सिंह की तबीयत शनिवार को अचानक खराब हो गई। उन्हें आनन-फानन में बोकारो जनरल हॉस्पिटल के सीसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। गंभीर हालत को देखते हुए बीजीएच से उन्हें रांची मेदांता रेफर कर दिया गया।रांची मेदांता में उनका इलाज चल रहा है।

रांची। झारखंड के एक्स मिनिस्टर सह बोकारो के एक्स एमएलए समरेश सिंह की तबीयत शनिवार को अचानक खराब हो गई। उन्हें आनन-फानन में बोकारो जनरल हॉस्पिटल के सीसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। गंभीर हालत को देखते हुए बीजीएच से उन्हें रांची मेदांता रेफर कर दिया गया।रांची मेदांता में उनका इलाज चल रहा है।
यह भी पढ़ें:गोड्डा-सियालदह पैसेंजर ट्रेन को MP निशिकांत दूबे ने दिखाई हरी झंडी
81 वर्षीय समरेश सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि फिलहाल उनकी हालत स्थिर है। उम्र 81 वर्ष से अधिक हो चुकी है। बीजीएच में समरेश के एडमिट होने की सूचना मिलने पर बोकारो एमएलए बिरंची नारायण समेत कई सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता पहुंचे और उनसे मुलाकात की। लोगों ने उनके जल्द स्वस्थ्य होने की कामना की है। हॉस्पिटल में उनकी दोनों दोनों बेटे सिद्धार्थ सिंह व संग्राम सिंह तथा पुत्रवधु श्वेता सिंह व परिंदा सिंह के साथ उनके समर्थक जमे हुए हैं।
बिहार में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं समरेश सिंह
बोकारो के एक्स एमएलए समरेश सिंह बिहार बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। पहली बार 1977 में बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की थी। इसके बाद मुंबई में 1980 में आयोजित बीजेपीके प्रथम अधिवेशन सत्र में समरेश ने ही कमल के निशान को पार्टी का चिह्न रखने का सुझाव दिया था, जिसे केंद्रीय नेताओं ने मंजूरी दी थी। दरअसल समरेश सिंह को 1977 के चुनाव में कमल निशान पर ही जीत मिली थी। बाद में समरेश बीजेपी से 1985 व 1990 में बोकारो से एमएलए निर्वाचित हुए। इससे पहले 1985 में सिंह ने इंदर सिंह नामधारी के साथ मिलकर बीजेपी में विद्रोह कर 13 एमएलए के साथ इन्होंने संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया था, पर कुछ ही दिनों के बाद संपूर्ण क्रांति दल का विलय बीजेपी में कर दिया गया। वर्ष 1995 में समरेश सिंह ने बीजेपी का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए। इसके बाद वर्ष 2000 का चुनाव उन्होंने झारखंड वनांचल कांग्रेस के टिकट पर लड़ा। झारखंड बनने के बाद वे राज्य के प्रथम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बनाए गये। फिर 2009 में झाविमो के टिकट पर वह विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे थे।
समरेश सिंह का राजनीतिक सफर
1977 में पहली बार बाघमारा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते।
1980 में बीजेपी में शामिल हुए।
1985 में बोकारो से एमएलए चुने गये।
1990 में बोकारो से दोबारा एमएलए बने।
2000 में झारखंड वनांचल कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बोकारो के एमएलए बने।
2009 में झाविमो के टिकट पर बोकारो से एमएलए चुने गये।
2014 में फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार मिली। इसके बाद स्वास्थ्य कारणों से समरेश की राजनीतिक सक्रियता कम हो गई है। फिलहाल राजनीति के मैदान में इनके बेटे और बहू सक्रिय हैं।