झारखंड: छुट्टी मांगने पर जैप 9 साहिबगंज के डीएसपी ने किया कांस्टेबल के साथ  गाली-गलौज

जैप 9 साहिबगंज में छुट्टी मांगने पर कांस्टेबल को डीएसपी के द्वारा गाली-गलौज करने का आरोप लगा है। इस मामले में झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश पांडेय ने जैप डीआईजी राजीव रंजन सिंह से लिखित कंपलेन की है। 

झारखंड: छुट्टी मांगने पर जैप 9 साहिबगंज के डीएसपी ने किया कांस्टेबल के साथ  गाली-गलौज

रांची। जैप 9 साहिबगंज में छुट्टी मांगने पर कांस्टेबल को डीएसपी के द्वारा गाली-गलौज करने का आरोप लगा है। इस मामले में झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश पांडेय ने जैप डीआईजी राजीव रंजन सिंह से लिखित कंपलेन की है। 

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कंपलेन के अनुसार साहिबगंज जैप 9 के कांस्टेबल मुकेश कुमार यादव ने आवेदन देकर डीएसपी एकमुनियस बाड़ा से अवकाश की मांग की थी। इश पर डीएसपी ने कांस्टेबल के साथ गाली-गलौज कर दी। मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष का आरोप है कि साहिबगंज जैप 9 में डीएसपी व सब इंस्पेक्टर गोपीकांत यादव के द्वारा अक्सर जवानों के साथ गाली-गलौज की जाती है। इन मामले की जांच कर कार्रवाई की जाए।
सुकमा की तरह झारखंड में भी हुई हैं वारदात

छतीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ के जवान ने अपने ही साथियों पर फायरिंग कर दी, जिसमें चार सीआरपीएफ जवानों की मौत हो गई। सुकमा की तरह झारखंड में भी पुलिस व सुरक्षाबलों में तैनात जवानों के हिंसक होने व टेंशन में सुसाइड की खबरें सामने आयी हैं। झारखंड में भी विधानसभा चुनाव 2019 की ड्यूटी के दौरान अवकाश नहीं मिलने पर सीआरपीएफ के 226 बटालियन के जवान तपेंद्र यादव ने सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट साहुल हसन और एएसआई पी भूईंया को गोली मार दी थी। इसमें तीन अन्य जवान हमले में घायल हुए थे।

जो घटनाएं हुईं

झारखंड पुलिस में छुट्टियों को लेकर भी टेंशन का माहौल कई बार पुलिसकर्मियों के बीच हिंसक व्यवहार का कारण बनी है। चार अक्तूबर को बोकारो में एक जवान सुशील द्विवेदी ने पुलिस स्टेशन में ही सुसाइड कर ली थी। कांस्टेबल ने सुसाइड के लिए अपनी सर्विस रिवाल्वर का इस्तेमाल किया था। 11 अगस्त को हजारीबाग के रामकुमार महतो ने खुद के राइफल से सुसाइड कर ली थी। 2019 में रांची पुलिस लाइन में छुट्टी नहीं मिलने पर सुधीर खाका नामक कांस्टेबल ने  10 राउंड से अधिक फायरिंग की थी। हालांकि इस वारदात में कोई हताहत नहीं हुआ था।
पुलिस हेडक्वार्टर के कदम का नहीं दिखा प्रभाव
झारखंड पुलिस हेडक्वार्टर ने पुलिसकर्मियों के बीच टेंशन खत्म करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए, लेकिन इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। पुलिस हेडक्वार्टर ने प्रत्येक पुलिसकर्मी के लिए एक बॉडी यानी वैसे शख्स को मॉनिटरिंग की योजना बनायी थी, जो सहयोगी पुलिसकर्मी पर नजर रखे। पुलिसकर्मियों के 20 दिनी अवकाश हटाये जाने के बाद भी छुट्टियां कम हुई हैं। वहीं सप्ताह में साप्ताहिक अवकाश व आठ घंटे की ड़्यूटी की योजना भी राज्य में पूरी तरह लागू नहीं हो पायी है।