Jharkhand: सूर्या हांसदा एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग, बीजेपी डेलीगेशन ने गवर्नर को सौंपा ज्ञापन

झारखंड में सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच की मांग तेज़। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।

Jharkhand: सूर्या हांसदा एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग, बीजेपी डेलीगेशन ने गवर्नर को सौंपा ज्ञापन
गवर्नर को बीजेपी ने सौंपा ज्ञापन।

रांची। भारतीय जनता पार्टी का एक डेलगीेशन शुक्रवार को गवर्नर संतोष गंगवार से मिलकर से सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले की जांच सीबीआई से कराने का आग्रह किया है। झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में डेलीगेशन ने राजभवन जाकर गवर्नर को ज्ञापन सौंपा।
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बीजेपी डेलीगेशन ने रांची के नगड़ी में रैयत किसानों की उपजाऊ जमीन पर प्रस्तावित रिम्स टू के निर्माण पर रोक लगाने की भी मांग की। ज्ञापन में भाजपा ने बताया है कि सूर्या हांसदा एनकाउंटर में उनकी मां और पत्नी ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं।सूर्या हांसदा की गिरफ्तारी के बाद न तो उनका मेडिकल टेस्ट कराया गया और न ही किसी सक्षम न्यायालय में ही पेश किया गया। गोड्डा पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर सूर्या हांसदा की हत्या की है।
सूर्या हांसदा के फर्जी एनकाउंटर में मुख्यमंत्री के बरहेट विधायक प्रतिनिधि की भूमिका भी संदिग्ध है। भाजपा लगातार मांग कर रही है कि इसकी जांच सीबीआई से हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले। इसी तरह रांची के नगड़ी में राज्य सरकार उपजाऊ भूमि पर प्रस्तावित रिम्स टू निर्माण कराना चाहती है। नगड़ी की जमीन आदिवासियों की रैयती खतियानी भूमि है। रिम्स टू के लिए राज्य सरकार इस शत-प्रतिशत उपजाऊ कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण कतर रही है, जो कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है। सरकार रिम्स टू के निर्माण के लिए किसी दूसरी भूमि का चयन करे।
डेलीगेशन में कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र कुमार राय, प्रदेश महामंत्री आदित्य प्रसाद साहू, प्रदीप वर्मा, गणेश मिश्रा, गंगोत्री कुजूर समेत अन्य नेता शामिल थे।
बाबूलाल मरांडी ने पुलिस की कार्यशैली पर उठाये सवाल
झारखंड के एक्स सीएम और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला है। बाबूलाल मरांडी ने अपने पोस्ट में लिखा कि ये हेमंत सरकार की तानाशाही है या झारखंड पुलिस की मनमानी कि अपने समाज के लिये हक की लड़ाई लड़ने एवं सैकड़ों गरीब आदिवासी बच्चों की शिक्षा का भार संभालने वाले एक संताल आदिवासी को गलत तरीके से हिरासत में लेकर प्रताड़ित कर मार दिया जाता है, जबकि एक कुख्यात अपराधी, जिसे सुप्रीम कोर्ट, ईडी और सीबीआई सब मिलकर अपराधी घोषित कर चुके हैं, उसे गिरफ्तार करने से झारखंड पुलिस कतरा रही है?
 उन्होंने ने सवाल करते हुए लिखा कि मैं सवाल पूछना चाहता हूं, राजेश उर्फ़ डाहू यादव के बारे में जो झारखंड में बालू और पत्थर के अवैध खनन व काले कारोबार का बड़ा हिस्सा चलाता है। झारखंड पुलिस को बताना चाहिए कि कहां है वो? जुलाई 2022 में ईडी ने उसके ठिकानों पर छापा मारा, करोड़ों की संपत्तियाँ ज़ब्त कीं, बैंक अकाउंट फ़्रीज़ किए और उसका एक जहाज़ भी ज़ब्त किया। कुर्की ज़ब्ती तक हुई। लेकिन कार्रवाई के बाद क्या हुआ? डाहू यादव सिर्फ़ एक बार ईडी दफ़्तर पहुँचा और उसके बाद से आज तक फ़रार है।
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने लिखा कि पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे अवैध कारोबार चलता रहा। गंगा में नाव पलटने से पांच निर्दोष मजदूरों की मौत हो गयी, लेकिन सरकार और पुलिस ने कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2022 में आदेश दिया कि वह 15 दिनों के भीतर सरेंडर करे। लेकिन आदेश की भी कोई परवाह नहीं की गयी।  उन्होंने लिखा है कि जब “ऊपर” से आदेश आता है तो झारखंड पुलिस दिन-रात एक कर छापेमारी करती है, हिरासत में ले लेती है, यहां तक कि फर्जी एनकाउंटर तक कर देती है। लेकिन डाहू जैसे फरार अपराधियों को छूने से भी डरती है, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें सत्ता का संरक्षण प्राप्त है।
उन्होंने लिखा है कि तीन साल से अधिक समय से झारखंड में अपराध का एक बड़ा चेहरा खुलेआम फरार है। पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही या शायद पकड़ना चाहती ही नहीं और कभी पकड़ेगी भी नहीं। जबकि उस इलाके का बच्चा-बच्चा जानता है कि डाहू सत्ताधारी और पुलिस के संरक्षण में आज भी साहिबगंज इलाके में सारे गोरखधंधे को डंके के चोट पर अंजाम दे रहा है। काली कमाई की हिस्सेदारी नीचे से ऊपर तक पहुंचा रहा है।