झारखंड: JREDA के एक्स एमडी व तीन अन्य के खिलाफ ACB दर्ज करेगी FIR, सीएम ने दिया आदेश
झारखंड ऊर्जा संचरण निगम के एक्स एमडी निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी जांच करेगी। सीएम हेमंत सोरेन ने कार्रवाई की मंजूरी दी है। तीन अन्य अफसरों के खिलाफ भी जांच की जाएगी। एसीबी की प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद सीएम ने यह आदेश दिया है।
- एंटी करप्शन ब्यूरो की प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि
रांची। झारखंड ऊर्जा संचरण निगम के एक्स एमडी निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी जांच करेगी। सीएम हेमंत सोरेन ने कार्रवाई की मंजूरी दी है। तीन अन्य अफसरों के खिलाफ भी जांच की जाएगी। एसीबी की प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद सीएम ने यह आदेश दिया है।
गवर्नमेंट रूल्स की अनदेखी कर नौकरी करने, गवर्नमेंट अकाउंट से 170 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का पेमेंट करने सहित कई गंभीर मामलों में फंसे झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी(ज्रेडा) के एक्स एमडी निरंजन कुमार सहित चार अफसरों पर एसीबी में एफआइआर दर्ज होगी। एसीबी की पीई रिपोर्ट, विभाग के मंतव्य की समीक्षा के बाद सीएम ने प्रोपोजल को स्वीकृति दे दी है।इन चारों अफसरों पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच (पीई) में पुष्टि हो गई है। निरंजन कुमार के अलावा तत्कालीन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और ज्रेडा में प्रतिनियुक्त रहे विद्युत कार्यपालक अभियंता श्रीराम सिंह के खिलाफ एफआइआर की अनुमति मिली है।
सीएम के आदेश पर ही एसीबी ने चारों ही आरोपियों के खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज किया था। जांच में आरोपों की प्रथम दृष्टया पुष्टि के बाद ही एसीबी ने एफआइआर दर्ज करने के बिंदु पर मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से अनुमति मांगी थी। एसीबी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने समीक्षा करने के बाद संबंधित प्रशासी विभाग (ऊर्जा) की सहमति/मंतव्य प्राप्त कर कांड दर्ज करने के लिए सीएम से अनुमति मांगी थी। इसके लिए ऊर्जा विभाग को जांच रिपोर्ट भी भेजी गई थी। इसके आलोक में ऊर्जा विभाग ने चारों आरोपी अफसरों से पक्ष रखने को कहा था। आरोपितों का पक्ष मिलने के बाद विभाग ने समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने मामले की समीक्षा करने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को रिपोर्ट दी थी। इसके बाद ही सीएम ने सहमति दी।
गलत तरीके से दिया था टेंडर
एसीबी ने प्रारंभिक जांच में निरंजन कुमार के विरुद्ध लगे आरोपों को सही पाया था। जांच में पता चला था कि निरंजन कुमार ने जाली बैंक गारंटी के बावजूद हैदराबाद की कंपनी को गलत तरीके से टेंडर दिया।र उस फाइल को दबाये रखा। वर्ष 2019 में जब नये डायरेक्टर अशोक कुमार ने चार्ज लिया, तो इसका खुलासा हुआ।इसके बाद रांची के डोरंडा पुलिस स्टेशन में कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई। जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्रेडा के लिए कोई आइएएस, आइएफएस या टेक्निकल अफसर ही डायरेक्टर बनने योग्य है, इसके बावजूद निरंजन कुमार बिना योग्यता के पहले डायरेक्टर बने।
निरंजन कुमार ये है आरोप
निरंजन कुमार ने गवर्नमेंट के विभिन्न बैंक अकाउंट से लगभग 170 करोड़ रुपये का पेमेंट किया। इन पर सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, टेंडर में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने तथा विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के टेंडर की शर्तें बदलने का आरोप है।भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के सीनीयर अफसर निरंजन कुमार पर आरोप है कि वे बिना अर्हता पूरी किए पुराने परिचय का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल व ज्रेडा के डायरेक्टर के पोस्ट पर बने रहे। वर्ष 2019 की 27 जनवरी को डिपुटेशन अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी डिपुटेशन अवधि का विस्तार केंद्र या कार्मिक विभाग ने नहीं किया। ये पद पर बने रहे और वेतन भी उठाते रहे।