झारखंड: देश विरोधियों को नहीं बख्शेंगें, क्राइम कंट्रोल पर फोकस: डीजीपी, सीएम हेमंत सोरेन से की मुलाकात
डीजीपी नीरज सिन्हा ने शुक्रवार को पदभार ग्रहण के बाद सीएम हेमंस सोरेन शिष्टाचार मुलाकात की। नये डीजीपी क्राइम कंट्रोल व लॉ एंड ऑर्डर को अपनी प्राथमिकता बताया।
रांची। डीजीपी नीरज सिन्हा ने शुक्रवार को पदभार ग्रहण के बाद सीएम हेमंस सोरेन शिष्टाचार मुलाकात की। नये डीजीपी क्राइम कंट्रोल व लॉ एंड ऑर्डर को अपनी प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि देशविरोधियों को किसी कीमत पर नहीं बख्शे जायेंगे।
बेहतर लॉ एंड ऑर्डर के साथ-साथ क्राइम कंट्रोल को प्राथमिकता
नीरज सिन्हा ने भरोसा दिलाया है कि वे बेहतर लॉ एंड ऑर्डर के साथ-साथ क्राइम कंट्रोल को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के दिशा-निर्देश के मुताबिक वे कार्य करेंगे। बतौर एसीबी के डीजी उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सतत कड़ी कार्रवाई की है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम की चालू प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। झारखंड में नक्सली और देशविरोधी गतिविधियां संचालित करने वाले के खिलाफ पुलिस का रुख कड़ा रहेगा।
सबकी सुरक्षा सर्वोपरि, सबका सहयोग अपेक्षित
वह आम लोगों से अपील करेंगे कि पुलिस के कामकाज में पूरा सहयोग दें। कानून की रक्षा में पुलिस सदैव तत्पर है। पूरी तत्परता से हर क्षेत्र में काम दिखेगा।
झारखंड़ को मिला पूर्णकालिक डीजीपी
1987 बैच के तेज-तर्रार आईपीएस अफसर नीरज सिन्हाे झारखंड के पूर्णकालिक डीजीपी बन गये है। प्रभारी डीजीपी एमवी राव की छुट्टी हो गई। नीरज सिन्हा वर्तमान में जैप के डीजी थे। उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीजी का अतिरिक्त प्रभार था। डीजीपी डीके पांडेय की के रिटायरमेंट से पहले वर्ष 2019 में यूपीएससी में डीजीपी पद के लिए स्टेट गवर्नमेंट ने छह आईपीएस अफसरों के नाम का पैनल भेजा था। वर्ष 2019 में डीजी पद के लिए यूपीएससी ने तीन आईपीएस अफसरों का पैनल झारखंड गवर्नमेंट को भेजा था उनमें वीएच राव देशमुख (अब रिटायर), कमल नयन चौबे (एक्स डीजीपी) व नीरज सिन्हा का नाम था। तत्कालीन रघुवर सरकार ने कमल नयन चौबे को डीजीपी बनाया था।
प्रभारी डीजीपी थे एमवी राव
हेमंत सोरेन की गवर्नमेंट बनने के बाद कमल नयन चौबे को ट्रांसफर करते हुए एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाया गया था।लेकिन उन्हें यूपीएससी से पैनलिस्ट नहीं किया गया था। एमवी राव को स्थाई डीजीपी बनाने के लिए यूपीएससी को पैनल भेजा गया था, लेकिन यूपीएससी ने यह कहते हुए पैनल ठुकरा दिया था कि दो साल के पूर्व पैनल पर विचार करना असंवैधानिक होगा। अभी यह विवाद चल ही रहा था कि इसी बीच पूर्व के पैनल के अनुसार ही तीसरे नाम नीरज सिन्हा को डीजीपी बना दिया गया।