नई दिल्ली: 14 महीने बाद खत्म हुआ किसान आंदोलन, 11 दिसंबर से शुरू होगी घर वापसी, उखड़ने लगे टेंट
केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली से सटी सीमाओं पर 16 महीनों से चल रहा किसान संगठनों का आंदोलन बृहस्पतिवार को समाप्त हो गया। किसानों ने आंदोलन की समाप्ति का ऐलान कर दिया है।
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली से सटी सीमाओं पर 16 महीनों से चल रहा किसान संगठनों का आंदोलन बृहस्पतिवार को समाप्त हो गया। किसानों ने आंदोलन की समाप्ति का ऐलान कर दिया है। सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत तमाम जगहों से 11 दिसंबर से किसान घर वापसी शुरू कर देंगे। इसके बाद 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को पहुंच जायेंगे।
सेंट्रल गवर्नमेंट सरकार की ओर से मिले नयेप्रस्ताव पर किसान संगठनों में सैद्धांतिक सहमति पहले बन गई थी, लेकिन गुरुवार दोपहर को इस पर लंबी चर्चा के बाद फैसला हुआ। इस मीटिंग में किसान संगठनों के दो सौ से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे। सिंघु बॉर्डर का माहौल भी किसानों की वापसी का संकेत दे रहा है। यहां लोग टेंट हटाने लगे हैं। लंगर आदि का सामान गाड़ियों में रखा जाने लगा है।
अगर केंद्र सरकार ने बातें नहीं मानीं तो आंदोलन फिर शुरू होगा
संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर अहम बैठक के बाद किसान आंदोलन का स्थगित करने का ऐलान किया। इसके साथ यह भी कहा गया है कि 15 जनवरी को SKM समीक्षा बैठक करेगा। अगर केंद्र सरकार ने बातें नहीं मानीं तो आंदोलन फिर शुरू होगा। ऐसे इशारा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की ओर से भी किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि किसान आंदोलन खत्म होने का कोई जश्न शुक्रवार को नहीं मनाया जाएगा। दरअसल, तमिलनाडु में हेलीकाप्टर क्रैश में सीडीएस बिपिन रावत समेत 11 लोगों के मारे जाने पर संयुक्त किसान मोर्चा शुक्रवार को शोक मनायेगा। इस दौरान किसी तरह का कोई जश्न नहीं होगा।
हर माह होगी समीक्षा
SKM के नेताओं ने बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में जानकारी दी कि 11 दिसंबर से चरणबद्ध तरीके से किसानों की वापसी होगी। इसके तहत दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) शंभु बार्डर तक जुलूस के रूप में किसान प्रदर्शनकारी जायेंगे। इसके बीच में करनाल में पड़ाव हो सकता है। प्रदर्शनकारियों की वापसी के दौरान हरियाणा के किसान पंजाब जाने वाले किसानों पर जगह-जगह पुष्प वर्षा करेंगे। किसान नेताओं ने बताया कि 15 जनवरी को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की समीक्षा बैठक होगी। इस मौके पर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, हर माह होगी समीक्षा। यदि सरकार अपने वादे से मुकरी तो फिर आंदोलन शुरू करेंगे।
बताया जाता है कि सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) पंजाब-हरियाणा से शंभु बार्डर तक फतह मार्च निकाला जाएगा। मोर्चा किस तरह वापसी करेगा, कहां-कहां इनका पड़ाव और कैसे व्यवस्था होगी? इस पर भी मंथन किया गया है और जल्द ही इसे सार्वजनिक किया जायेगा।
किसान आंदोलन वापस होने के बाद दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को राहत मिलेगी। दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (शाहजहांपुर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) पर बैठे किसान आंदोलन खत्म करेंगे तो लोगों की आवाजाही आसान हो जाएगी।
एेसे बन गयी सरकार और किसानों में सहमति
किसानों और सरकार के बीच इस सप्ताह की शुरुआत से ही बात चल रही थी। सरकार ने मंगलवार को किसानों को एक चिट्ठी भेजी थी। इसमें एमएसपी पर कमेटी बनाने, मुआवजे पर सैद्धांतिक सहमति और आंदोलन खत्म करने पर मुकदमों की वापसी की बात कही गई थी। इस पर किसानों ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि मुकदमे आंदोलन की समाप्ति के बाद नहीं बल्कि पहले ही हटाए जाएं। इसके बाद सरकार ने नया प्रस्ताव किसानों को भेजा और तत्काल प्रभाव से मुकदमों की वापसी की बात कही। सरकार के नए प्रस्ताव पर संगठन राजी हो गए और आंदोलन खत्म करने का फैसला लिया गया।
सरकार का लेटर जिसने किसानों को किया राजी
पहले कृषि कानूनों की वापसी और अब एमएसपी, मुआवजा और मुकदमों को खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार से लिखित आश्वासन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसान आंदोलन को फिलहाल खत्म करके घर लौटने का ऐलान किया है। मोदी सरकार ने एमएसपी पर कमिटी बनाने का ऐलान पहले ही कर दिया था अब तुरंत प्रभाव से आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केसों को खत्म करने की मांग भी मान ली है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से लिखे गए लेटर के बाद किसानों ने 14 महीने बाद आंदोलन खत्म करने की घोषणा की है।