नोएडा :नौ सेकेंड में सुपरटेक ट्विन टावर बन गया मलबे का ढेर, (देंखे Video)
नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर (एपेक्स और सियान, Apex and Ceyane Tower) नौ सेकेंड में ही जमींदोज हो गये। जिनमें एपेक्स टावर 32 मंजिल और 102 मीटर का ऊंचा और सियान 29 मंजिल का (लगभग 100 मीटर से ज्यादा ऊंचा) था।
लखनऊ। नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर (एपेक्स और सियान, Apex and Ceyane Tower) नौ सेकेंड में ही जमींदोज हो गये। जिनमें एपेक्स टावर 32 मंजिल और 102 मीटर का ऊंचा और सियान 29 मंजिल का (लगभग 100 मीटर से ज्यादा ऊंचा) था।
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#WATCH | Noida's #SupertechTwinTowers turn into dust after it was demolished earlier today
— ANI (@ANI) August 28, 2022
(Source: Noida Police) pic.twitter.com/SX5UGImzOl
पहले दोनों टावरों में 9800 छेद किये गये। 3700 किलो विस्फोट लगाया गया था। एडफिस कंपनी के इंडियन ब्लास्टर चेतन दत्ता ने ट्रिगर दबाया और फिर भ्रष्टाचार के ट्विन टावर ध्वस्त हो गये। सुपरटेक ट्विन टावरों के सुरक्षित ध्वस्तीकरण के लिए एडफिस के जिगर मेहता ने पूजा अर्चना की। सुपरटेक टावर गिराने से पहले सुबह सात बजे एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसायटी को खाली करा दिया गया। 2700 फ्लैट में रहने वाले लगभग सात हजार लोगों ने घर छोड़ दिया। पालतू जानवरों, तीन हजार वाहनों को भी दूसरी जगह शिफ्ट किया।ध्वस्तीकरण से पहले नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और एयरस्पेस आधे घंटे के लिए बंद कर दिया गया। इस दौरान कई जगहों पर डायवर्जन लागू किया गया था। सोसायटी छोड़कर गये लोगों ने शाम 4 बजे से वापस लौटना शुरू कर दिया। ध्वस्तीकरण से पहले टावरों के आसपास किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी। धारा 144 लागू कर दी गई थी। टावर से लगभग 88000 टन मलबा निकलेगा, जिसमें 4000 टन सरिया होगी।
ट्विन टावर को गिराने के लिए 3500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया
नोएडा में बने सुपरटेक ट्विन टावर को गिरा गया है। ट्विन टावर को गिराने के लिए 3500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। इन दो टावर को गिराने के लिए जितने विस्फोटक लगे हैं उसकी मात्रा अग्वि-वी मिसाइल के वारहेड या फिर ब्रह्मोस मिसाइल के या फिर पृथ्वी मिसाइल के चार वारहेड के बराबर था। कुतुब मीनार से ऊंचे बन टॉवर का निर्माण नोएडा के सेक्टर 93 ए में किया गया था। टावर्स को गिराने के लिए लगभग 20 करोड़ रुपए का खर्चा आया है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों टॉवर की ऊंचाई 100 मीटर से थोड़ी अधिक थी। टावर को गिराने के लिए वाटरफॉल इम्प्लोजन टेकनीक का इस्तेमाल किया गया था। जिसकी वजह से यह बिल्डिंग जिस जगह बनी थी उसी जगह ताश के पत्तों की तरह धाराशाही हो गई। विस्फोट के लिए लगाए गए बटन और बिल्डिंग को गिरने की पूरी प्रक्रिया नौ सेकेंड में पूरी हो गई। वो अलग बात है कि पूरा इलाका धूल के गुबार में तब्दील हो गया था।
यह है विवाद
यह मामला पूरे डेढ़ दशक से ज्यादा पुराना है। वर्ष 2004 से 2006 के बीच मेसर्स सुपरटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा भूखंड संख्या जीएच-4, सेक्टर 93ए में 54,820 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई। यहां 14 टावर बनाए जाने थे, लेकिन बाद में संख्या 17 हो गई। ट्विन टावर 16 और 17 की ऊंचाई इतनी कर दी कि नेशनल बिल्डिंग कोड का नियम तोड़ दिया। टावर 16 और 17 ही एपेक्स और सियान टावर थे।
दोनों टावरों के बीच की दूरी 16 मीटर की जगह रखी थी नौ मीटर
दो मार्च 2012 को दोनों टावर की ऊंचाई 40 मंजिल और 121 मीटर की ऊंचाई निर्धारित कर दी गई। नेशनल बिल्डिंग कोड के नियम मुताबिक दोनों टावरों के बीच में 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए, लेकिन यह दूरी नौ मीटर से भी कम रखी गई। दोनों टावरों को लेकर लगभघ 13 वर्ष पहले आसपास के टावरों में रहने वाले लोगों ने विरोध शुरू कर दिया था। इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। मामले में दिसंबर 2012 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए सोसायटी के 600 घरों से 17 हजार रुपये का चंदा लिया गया। 11 अप्रैल 2014 में प्राधिकरण ने दोनों टावर को तोड़ने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया गिराने का आदेश
प्राधिकरण के फैसले को सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 31 अगस्त 2021 को फैसला देते हुए दोनों टावर को तीन महीने में ध्वस्त करने का आदेश दिया, लेकिन तैयारियां पूरी नहीं होने से टावर ध्वस्त नहीं हुए। इसके बाद 28 अगस्त को दूसरी तारीख दी गई।
ताश के पत्तों को तरह ढह गये सुपरटेक ट्विन टावर
ट्विन टावरों को वाटरफॉल इंप्लोजन तकनीक के जरिए गिराया गया। इससे टावर ताश के पत्तों की तरह कुछ ही सेकेंड में नीचे आ गये। वाटरफॉल तकनीक का मतलब है कि मलबा पानी की तरह गिरता है। यह तकनीक शहरों में इमारतों को ध्वस्त करने के काम आती है, जिसमें नियंत्रित विस्फोटों की आवश्यकता होती है। अगर ऐसा नहीं होता तो एक विस्फोट में मलबा दूर-दूर तक फैल जाता है, जो बहुत नुकसान पहुंचा सकता है।
दोनों टावरों के पिलर में 9800 छेद किए गए हैं, जिनमें 3500 किलो बारूद लगाया गया। 120 ग्राम से 365 ग्राम तक हर छेद में विस्फोटक लगाया गया।
40 लोगों ने विस्फोटक लगाया और 10 विशेषज्ञों की ओर से पूरी प्रक्रिया में योगदान दिया गया।
एपेक्स और सियान टावर में दो-दो विस्फोट हुए। सियान टावर में पहला विस्फोट, जबकि एपेक्स में दूसरा विस्फोट किया गया।
200 से 700 मिली सेकेंड के अंतराल में सभी तलों में विस्फोट हुआ। रिमोट के जरिये बटन दबाकर इमारत को जमींदोज किया गया।
ट्विन टावर सिर्फ 9-12 सेकेंड में धूल में मिल गये। इसेस 88000 टन मलबा निकलने की संभावना है। इसे हटाने में तीन महीने का समय लग जायेगा।