पशुपति कुमार पारस बोले- रामविलास पासवान का मैं वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी हूं, चिराग केवल बेटा
सेंट्रल खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने गुरुवार को कहा कि वह अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान के ‘वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। बेटा होने के नाते चिराग पासवान अपने पिता की संपत्ति के वारिस हो सकते हैं राजनीतक वरिस नहीं।
- पारस ने संभाला खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का कार्यभार
- चिराग पासवान अपने पिता की संपत्ति के वारिस हो सकते हैं, राजनीतिक के नहीं
अपनी गलतियों के लिए आत्म मंथन करें चिराग
नई दिल्ली। सेंट्रल खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने गुरुवार को कहा कि वह अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान के ‘वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। बेटा होने के नाते चिराग पासवान अपने पिता की संपत्ति के वारिस हो सकते हैं राजनीतक वरिस नहीं।
खाद्य प्रसंस्करण मंत्री का पदभार संभालने के बाद मीडिया से बातचीत में पशुपति कुमार पारस ने कहा कि चिराग पासवान स्व. रामविलास पासवान के पुत्र हैं। लेकिन अपने बड़े भाई का राजनीतिक उत्तराधिकारी मैं ही हूं। जिस पद को उन्होंने छोड़ा, बाद में मुझे उस पर बिठाया। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने हम पर बहुत भरोसा किया। जैसे मैं रामविलास पासवान के भरोसे पर खरा उतरा, उसी तरह प्रयास होगा कि पीएम के भरोसे पर भी खरा उतरूं।
उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के जिस फैसले पर चिराग कोर्ट गये हैं, वह कानूनन सही नहीं है। पार्टी का अध्यक्ष अगर तानाशाह हो जाए और बहुमत उसके खिलाफ हो तो दल-बदल कानून के अनुसार भी पार्टी से अलग होने का प्रावधान है। मेरे साथ तो चिराग को छोड़ सभी एमपी हैं। जहां तक मंत्री बनाने का सवाल है तो यह पीएम का विशेषाधिकार है। मैं तो एक एमपी हूं, पीएम तो देश के किसी नागरिक को मंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं।
अपनी गलतियों के लिए आत्म मंथन करें चिराग
पारस ने कहा कि चिराग अपनी गलतियों के लिए ‘आत्म मंथन’ करें। रामविलास पासवान का असली राजनीतिक उत्तराधिकारी वे ही हैं। चिराग पासवान उनके पुत्र हैं। संपत्ति पर उनका अधिकार जरूर है। अदालत जाने से क्या होगा? व्यक्ति नहीं, समय बलवान होता है। एक साल पहले चिराग सर्वमान्य नेता माने जाते थे, लेकिन अब नहीं हैं। चाचा होने के नाते मैंन कहा कि चिराग आत्ममंथन करें। पारस ने कहा कि उनके दिवंगत भाई उनके आदर्श हैं। पहले वह लोजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष थे और वर्तमान में इससे अलग हुए धड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। कैबिनेट में शामिल किए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते कहा कि वह प्रतिबद्धता के साथ काम करेंगे। पारस ने कहा कि अगले दस दिनों में वह मंत्रालय के कामकाज को समझेंगे और फिर अपने विजन और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करेंगे।
रामविलास पासवान को मानता हूं अपना आदर्श
पारस ने कहा कि मैं रामविलास पासवान को अपना आदर्श मानता हूं। वह मेरे बड़े भाई थे।" पारस ने कहा कि पासवान ने उनसे 1977-78 में खगड़िया के अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था और 2019 में बिहार के हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा। इन दोनों सीटों का प्रतिनिधित्व पहले पासवान करते थे।
मैं रामविलास का खून तो हूं ही, चिराग पासवान अपनी सोचें
पारस ने कहा कि उन्हें रामविलास पासवान का अनुज होने का फख्र है। बकौल पारस, मैं रामविलास पासवान तो नहीं हो सकता, लेकिन उनका कुछ न कुछ गुण तो मुझमें जरूर है। मैं रामविलास का खून तो हूं ही। इस सफेद दामन पर दाग नहीं लगने दूंगा। बहरहाल चिराग को विचार करना चाहिए। मुकदमे से आखिर क्या हासिल होने वाला है! पारस ने कहा कि बिहार की दृष्टि से उनके मंत्रालय का काफी महत्व है। बिहार में इस सेक्टर के लिए काफी संभावनाएं हैैं। आम, लीची, मक्का, गन्ना आदि के उत्पादन में बिहार प्रगति कर रहा। इनके प्रसंस्करण उद्योग की बिहार में काफी उम्मीद है। अभी वे दस दिनों तक पूरे विभाग को समझेंगे। उसके बाद संसद का सत्र शुरू होने को है। इस सब के पश्चात ही वे अपनी प्राथमिकता तय करेंगे।
रामविलास जिस मिमिस्टरी में रहे, चर्चा में रहे
पारस ने कहा कि रामविलास पासवान केंद्र के जिस मंत्रालय में रहे, वहां वे चर्चा में रहे। वे मोबाइल के बैगन की तरह बिकने की बात करते थे। आज हर घर में मोबाइल है। यह उनकी ही देन है। मैं रामविलास पासवान तो नहीं हो सकता, लेकिन उनका खून तो हूं ही। सही तरीके से अपने काम को करूंगा। मैं बिहार में चार बार मंत्री रहा। एमपीबनने के पहले नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में था। उतने बदनाम महकमे (पशुपालन एवं मत्स्य विभाग) में मैने ठीक से काम किया। केंद्र सरकार से दो बार पुरस्कार भी मिला। सफेद कपड़े पर दाग लगने नहीं दूंगा।
पारस ने अपने राजनीतिक अनुभव के बारे में कहा कि वह आठ बार विधायक निर्वाचित हुए हैं और बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं। 2019 में वह पहली बार लोकसभा के सांसद बने और अब उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया है।उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1978 में जनता पार्टी से विधायक के तौर पर खगड़िया जिले के अलौली सीट से की। उन्होंने जनता दल और लोजपा के टिकट पर कई बार इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वह 2017 में नीतीश कुमार कैबिनेट में शामिल हुए जब सीएम की फिर से एनडीए में वापसी हुई। वह 2019 में हाजीपुर से लोकसभा के लिए चुने गये।