Uttar Pradesh: कृष्णानंद राय व रूंगटा मर्डर केस में 15 अप्रैल को आयेगा फैसला, मुख्तार अंसारी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
उत्तर प्रदेश के मुहम्मदाबाद तत्कालीन बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय और वाराणसी के कोल बिजनसमैन नंद किशोर रूंगटा मर्डर केस से संबंधित के मामले में 15 अप्रैल को फैसला आयेगा। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम/एमपी-एमएलए कोर्ट दुर्गेश की कोर्ट में शनिवार को आरोपित माफिया मुख्तार अंसारी और उसके भाई एमपी अफजाल अंसारी पर बहस पूरी कर ली गई।
गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के मुहम्मदाबाद तत्कालीन बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय और वाराणसी के कोल बिजनसमैन नंद किशोर रूंगटा मर्डर केस से संबंधित के मामले में 15 अप्रैल को फैसला आयेगा। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम/एमपी-एमएलए कोर्ट दुर्गेश की कोर्ट में शनिवार को आरोपित माफिया मुख्तार अंसारी और उसके भाई एमपी अफजाल अंसारी पर बहस पूरी कर ली गई।
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मुख्तार अंसारी पर मुकदमा दर्ज
मुख्तार और अफजाल अंसारी पर 2007 में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। यह मुकदमा कृष्णानंद राय की मर्डर को आधार बनाते हुए किया गया था। मुख्तार पर कृष्णानंद राय की मर्डर के अलावा रूगंटा के किडनैप एवं मर्डर का मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट ने 23 सितंबर 2022 को मुख्तार और अफजाल के खिलाफ आरोप तय किया था।अभियोजन और मुख्तार की तरफ से गवाही पूरी होने के बाद शनिवार को अफजाल की तरफ से भी बहस पूरी हो गई। मामले में अफजाल बेल पर हैं। मुहम्मदाबाद के बसनिया चट्टी पर कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। 22 नवंबर 2007 को मुख्तार, अफजाल और इनके बहनोई एजाजुल हक पर गैंगस्टर के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
15 अप्रैल को आयेगा फैसला
एमपी-एमएलए कोर्ट में वर्ष 2012 में सुनवाई शुरू हुई। सहायक शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि अंतिम बहस के बाद कोर्ट 15 अप्रैल को फैसला सुना सकती है। सुनवाई के दौरान मुख्तार के मामले में 10 और अफजाल के मामले में सात लोगों की गवाही हुई थी।
2005 में MLA कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हुई थी मर्डर
मुहम्मदाबाद के बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय सहित उनके छह साथियों मुहम्मदाबाद के पूर्व ब्लाक प्रमुख श्यामाशंकर राय, भांवरकोल ब्लाक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव व उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय की 29 नवंबर 2005 को भांवरकोल पुलिस स्टेशन एरिया के बसनिया चट्टी के पास मर्डर कर दी गयी थी। मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के बाद सियाड़ी से बसनिया के लिए निकलते समय जब राय का काफिला बसनिया चट्टी से आगे बढ़ा उसी समय घात लगाकर बैठे क्रिमिनलों ने अचानक उनके काफिले पर अंधाधुंध गोलियों की बौछार कर दी। आरोप है कि हमलावरों ने छह एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं। मारे गये सभी सात लोगों की बॉडी से 67 गोलियां निकाली गईं थीं। यही नहीं मुखबिरी इतनी सटीक थी कि क्रिमिनलों को पता था कि कृष्णानंद राय अपनी बुलेट प्रूफ वाहन में नहीं हैं। कृष्णानंद के भाई रामनारायण राय ने मामले में एफआइआर दर्ज कराई थी। एफआइआर के अनुसार मुन्ना बजरंगी के साथ एजाजुलहक भी एके-47 से एमएलए कृष्णानंद एवं उनके साथियों पर गोलियां दागे थे। इस मामले में एजाज अंसारी, प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी, फिरदौस, संजीव माहेश्वरी उर्फजीवा एवं अताउर्रहमान उर्फ बाबू को आरोपी बनाया गया था। बाद में अफजाल अंसारी, मुख्तार अंसारी को साजिशकर्ता करार देते हुए 120बी के तहत आरोपी बनाया गया था। इन आरोपियों में फिरदौस व प्रेमप्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की मर्डर हो चुकी है।
कोर्ट ने सीबीआइ जांच के दिये थे आदेश, कोर्ट ने आरोपियों को किया बरी
कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूरे प्रकरण की सीबीआइ जांच का आदेश दिया गया था। बाद में अलका राय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा गया था कि क्रिमिनलों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। ऐसे में सुनवाई के दौरान गवाहों के जान का भय बना हुआ है। इसलिए पूरे मामले की सुनवाई गैर प्रदेश की कोर्ट में की जाए। अलका राय के वकील की दलीलों से सहमत होते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूरे प्रकरण की सुनवाई गैर प्रदेश की कोर्ट में करने की मंजूरी दे दी गई। सीबीआइ की दिल्ली कोर्ट द्वारा दो जुलाई 2019 को एमपी अफजाल अंसारी, मऊ एमएलए मुख्तार अंसारी सहित पांचों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।