Yasin Malk Terror Funding Case : यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद , 10 लाख का जुर्माना
एनआइए की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में दोषी आंतकी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
नई दिल्ली। एनआइए की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में दोषी आंतकी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
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यासीन द्वारा अपने खिलाफ लगाये गये सभी आरोप स्वीकार करने के बाद एनआइए के स्पेशल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया। प्रतिबंधित संगठन जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ व हुर्रियत लीडर को 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में कोर्ट ने गुरुवार को दोषी ठहराया था। वहीं, यासीन मलिक को लेकर सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट जारी किया गया है। उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल नंबर सात में रखा गया है।
नौ मामलों में यासीन को सुनाई गई सजा
टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को दिल्ली की एनआइए स्पेशश कोर्ट के जज कोर्ट प्रवीण सिंह की कोर्ट ने द्वारा उम्रकैद की सजा सुनायी गयी है। सजा सुनाने के बाद उसे तिहाड़ जेल भेज दिया गया। यासीन मलिक को दो बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उसे नौमामलों में सजा सुनाई गई है।
UAPA की धारा- 13 के तहत पांच साल।
UAPA की धारा-15 और 16 (आतंकवादी अधिनियम) के तहत दस साल की सजा।
UAPA की धारा-18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना।
UAPA की धारा-20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना।
UAPA की धारा-38 और 39 के तहत पांच साल की सजा व पांच साल का जुर्माना।
IPC की धारा-120B (आपराधिक साजिश) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना।
IPC की धारा-121A (राष्ट्र के विरुद्ध युद्धोन्माद फैलाना) के तहत दस साल की सजा व दस हजार का जुर्माना।
IPC की धारा 121A (देशद्रोह) के तहत दस साल की सजा।
कश्मीर में यासीन मलिक के घर के बाहर उसके समर्थकों द्वारा नारेबाजी करने और पथराव करने की सूचना है। पुलिस ने घर के बाहर भीड़ को तीतर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े हैं। यासीन मलिक के समर्थकों और अन्य असामाजिक तत्वों पर सुरक्षा बलों की नजर है। सुरक्षा बलों का दावा है कि माहौल खराब करने वाले लोगों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जायेगा।
फांसी मंजूर, नहीं मांगूंगा माफी
यासीन मलिक ने कहा कि अगर मैं 28 साल में किसी आतंकवादी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं। अगर भारतीय खुफिया एजेंसी यह साबित कर देती है तो मैं भी राजनीति से संन्यास ले लूंगा। मैं फांसी स्वीकार करूंगा, मैं माफी नहीं मांगूंगा। मैंने सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। बता दें कि यासीन मलिक के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने टेरर फंडिंग मामले में फांसी की सजा की मांग की थी।
मलिक ने इन आरोपों को स्वीकारा
टेरर फंडिंग मामले में 10 मई को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था। मलिक ने कोर्ट से कहा था कि वह उस पर लगाये गये आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है। मलिक को आतंकी कृत्य के लिए धन जुटाने, साजिश रचने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने, देश के खिलाफ युद्धोन्माद फैलाने और राजद्रोह सहित अन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था।
आतंकी संगठनों के साथ मिलकर हिंसा फैलाने का आरोप
एनआइए के अनुसार, विभिन्न आंतकी संगठन जैसे, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एमएच) जम्मू और कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमला करके हिंसा को अंजाम दिया। आरोप लगाया कि 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को एक राजनीतिक मोर्चा देने के लिए आल पार्टीज हुर्रियत कान्फ्रेंस (APHC) का गठन किया।
यासीन मलिक के काले कारनामे
वर्ष 1987 के बाद यासीन मलिक व उसके साथी कश्मीर की आजादी के नारे के साथ कश्मीरी मुस्लिमों को बरगलाने लगे। उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा। उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर किया।
यासीन मलिक ने होम मिनिस्टर की बेटी को किया था किडनैप
टेरर फंडिंग मामले में दोषी आतंकी यासीन मलिक के अपराधों का इतिहास काफी पुराना है। यासीन मलिक ने पाकिस्तान के आतंकियों से मिलकर कई बड़ी वारदातों का अंजाम दिया था। यासीन मलिक ने अपने साथियों संग मिलकर आठ दिसंबर 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद का अपहरण किया था। श्रीनगर में तीन आतंकियों ने मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद को बस से अगवा कर लिया था। तभी यासीन मलिक ने सरकार के सामने पांच आतंकियों की रिहाई की शर्त रखी थी। यासीन की पाकिस्तान के आतंकियों से संबंध काफी पुराने थे। सरकार को यासीन की शर्त मानने के लिए विवश होना पड़ा। यह मामला भी कोर्ट में विचाराधीन है।
अगस्त 1990 में यासीन मलिक हिंसा फैलाने के विभिन्न मामलों में पकड़ा गया और 1994 में वह जेल से छूटा। जेल से छूटते ही उसने कहा कि वह अब बंदूक नहीं उठाएगा, लेकिन कश्मीर की आजादी के लिए लड़ेगा।1994 में जेल से छूटने के बाद 1998 तक वह कई बार पकड़ा गया। कभी एक माह तो कभी तीन माह बाद जेल से छूटता रहा है।अक्टूबर 1999 में यासीन मलिक को पुलिस ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया था।कुछ समय बाद वह जेल से छूट गया और 26 मार्च 2002 को उसे हवाला से संबंधित एक मामले में पोटा के तहत गिरफ्तार किया गया था।वर्ष 2013 में उसने पाकिस्तान में लश्कर के सरगना हाफिज सईद के साथ मिलकर कश्मीर में सुरक्षाबलों पर आम कश्मीरियों के मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए धरना दिया था।
पाकिस्तान की मुशाल मलिक से की शादी
वर्ष 2009 में उसने पाकिस्तान की रहने वाली मुशाल मलिक से शादी की। मुशाल मलिक एक चित्रकार है। दोनों की एक बेटी रजिया सुल्तान है, जो वर्ष 2012 में पैदा हुई है।