आवाज से पता चल जायेगा कोरोना है या नहीं, मात्र 30 सेंकेंड में होगा टेस्ट,इंडिया और इजरायल के साइंटिस्ट ने खोजे चार नये तरीके

कोरोना टेस्टिंग में इजराइली टेकनीक नया कमाल दिखा सकता है। अगर इसका टेस्ट इंडिया में सफल रहा तो मात्र 30 सेकेंड में पता चल जायेगा कि कोरोना है या नहीं।इजराइल के साइंटिस्ट की टीम इंडिया में लाखों लोगों पर इन टेकनीक का टेस्ट करेगा।

आवाज से पता चल जायेगा कोरोना है या नहीं, मात्र 30 सेंकेंड में होगा टेस्ट,इंडिया और इजरायल के साइंटिस्ट ने खोजे चार नये तरीके

नई दिल्ली। कोरोना टेस्टिंग में इजराइली टेकनीक नया कमाल दिखा सकता है। अगर इसका टेस्ट इंडिया में सफल रहा तो मात्र 30 सेकेंड में पता चल जायेगा कि कोरोना है या नहीं।इजराइल के साइंटिस्ट की टीम इंडिया में लाखों लोगों पर इन टेकनीक का टेस्ट करेगा।यदि सफल रहा तो यहां इसका बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन भी किया जायेगा।

आवाज व सांस कोरोना का पता लगेगा

इंडिया में जिन टेकनीक में टेस्ट होगी, उनमें किसी व्यक्ति की आवाज से लेकर सांस के माध्यम से कोरोना संक्रमण की पहचान की जा सकती है। एक आवाज में अंतर के आधार पर कोरोना संक्रमण की पहचान की जायेगी। दूसरी टेकनीक टेराहटर्स वेव के माध्यम से सांस की जांच कर कोरोना वायरस का पता लगाने की है। यह मशीन जेनरल बेर्थएनालाइजर की तरह काम करता है। इसी तरह एक आइसोथर्मल टेस्ट की टेकनीक भी है, जो आरटी-पीसीआर की तरह कोरोना की सटीक जानकारी देता है। किन इसका उपयोग करना बहुत आसान है और किसी टेकनीशियन की जरूरत नहीं पड़ती है। हॉस्पीटल और डिस्पेंसरियों में आसानी से इसका उपयोग कोरोना की जांच के लिए किया जा सकता है।

इजरायल व इंडियन साइंटिस्ट एक साथ कोरोना वायरस जांच के चार नये तरीके खोजेंगे
हालांकि अभी गवर्नमेंट के लेवल से इजराइली टीम के आने की कोई पुष्टि नहीं की गई है। इजरायल व इंडियन साइंटिस्ट एक साथ कोरोना वायरस जांच के चार नये तरीके खोजेंगे। इनमें से दो टेस्ट लार नमूनों की जांच के बाद मिनटों में परिणाम देंगे। तीसरे तरीके में किसी के आवाज से ही बताया जा सकता है कि वह कोरोना संक्रमित है या नहीं। चौथे तरीके में सांस नमूने के रेडियो वेव से संक्रमण का पता लगाया जा सकेगा।इजरायली साइंटिस्ट राजधानी में एम्स में शोध करेंगे। इंडिया में इजरायल के राजदूत रोन मलकिन ने कहा कि इन टेस्ट टेक्नॉलजीज के पहले फेज की जांच इजरायल में की जा चुकी है। आखिरी स्टेज की जांच इंडिया में की जायेगी।

दोनों देश के साइंटिस्ट इन टेकनीक को इंडिया में चार से पांच हजार लोगों पर आजमायेंगे
इजरायल के डायरेक्टोरेट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के चीफ डैनी गोल्ड ने कहा कि एक टेकननीक जिसमें पोलीएमिनों एसिड का इस्तेमाल किया जाए, केवल 30 मिनट में रिजल्ट आ जायेगा। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि एयरपोर्ट, मॉल या कहीं भी आपकी जांच की जा सकती है। रियल टाइम टेस्टिंग से अर्थव्यवस्था को दोबारा शुरू करने में मदद मिलेगी।एक दूसरे सस्ते बायोकेमिकल टेस्ट को घर पर ही अंजाम दिया जा सकता है और 30 मिनट में रिजल्ट आ जाता है। दोनों ही जांच लार नमूने से होती है। उन्होंने कहा कि तीसरी टेक्नॉलजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए किसी व्यक्ति की आवाज को सुनकर यह पता लगाया जा सकता है कि वह कोरोना संक्रमित है या नहीं। गोल्ड ने कहा कि यह इस तथ्य पर काम करता है कि कोविड रेस्पिरेटरी सिस्टम पर हमला करता है। फोन पर आवाज के जरिए भी संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।एक तीसरा तरीका ब्रीथ एनालाइजर का है। व्यक्ति ट्यूब में सांस लेगा। हम ट्यूब को एक मशीन में डालते हैं जो टेराहर्ट्ज रेडियो फ्रिक्वेंसी और एल्गोरिदम से बता देगा कि आप कोरोना संक्रमित हैं या नहीं। मलकिन ने बताया कि प्रोजेक्ट की अगुआई गोल्ड और पीएम मोदी के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन की अगुआई कर रहे हैं। फंडिंग, लॉजिस्टिक्स, कॉपेरशन और रिजल्ट साझा हैं। इजरायली और इंडियन साइंटिस्ट इन टेकनीक को इंडिया में चार से पांच हजार लोगों पर आजमायेंगे और देखेंगे कि यह सफल है या नहीं। इंडियन साइंटिस्ट भी एल्गोरिदम पर काम करेंगे। 

तेल अवीव से दिल्ली के लिए रक्षा मंत्रालय और रिसर्च एंड डिवेलपमेंट की टीम रवाना होगी। यह टीम भारत के मुख्य वैज्ञानिक के विजय राघवन और डीआरडीओ के साथ 30 सेकंड में रैपिड टेस्टिंग पर काम कर रही है। तेल अवीव से आने वाले विमान में इजरायल के विदेश मंत्रालय और निजी क्षेत्र के द्वारा दिये गये रोना से लड़ने के उपकरण भी लाये जायेंगे। मेकेनिकल वेंटिलेटर भी लाया जायेगा। इस विमान से कई आधुनिक तकनीक और उपकरणों को भी इंडिया लाया जायेगा, जिनमें रोबोट, टेलीमेडिसिन, स्पेशल सैनिटाइजिंग इक्विपमेंट आदि शामिल होंगे।यह टीम इजराइल में विकसित कोरोना की अत्याधुनिक टेस्टिंग उपकरणों की उपयोगिता की जांच करेगा। 10 दिन तक लाखों लोगों पर टेस्ट और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित विश्लेषण के माध्यम यह पता लगाया जाएगा कि ये टेस्ट कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए कितने सटीक हैं।