CCL आम्रपाली प्रोजेक्ट से 87574.3154 मीट्रिक टन कोयला गायब, 83 करोड़ का नुकसान, CBI ने दर्ज की FIR

सीसीएल के चतरा स्थित के मगध-आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट के आम्रपाली प्रोजेक्ट से 87574.3154 मीट्रिक टन कोयला चोरी कर ली गयी है। कोयला चोरी से सीसीएल को 83 करोड़, 63 लाख, 64 हजार 471 रुपये का नुकसान हुआ है। इस मामले में सीबीआई ने सीसीएल के अफसरों और ट्रांसपोर्टिंग कंपनी के खिलाफ FIR  दर्ज किया है।

CCL आम्रपाली प्रोजेक्ट से  87574.3154 मीट्रिक टन कोयला गायब, 83 करोड़  का नुकसान, CBI ने दर्ज की FIR

रांची। सीसीएल के चतरा स्थित के मगध-आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट के आम्रपाली प्रोजेक्ट से 87574.3154 मीट्रिक टन कोयला चोरी कर ली गयी है। कोयला चोरी से सीसीएल को 83 करोड़, 63 लाख, 64 हजार 471 रुपये का नुकसान हुआ है। इस मामले में सीबीआई ने सीसीएल के अफसरों और ट्रांसपोर्टिंग कंपनी के खिलाफ FIR  दर्ज किया है।

सीबीआई रांची एसीबी ओर से दर्ज एफआईआर में आम्रपाली परियोजना के प्रोजेक्ट अधिकारी, मैनेजर, सीनियर मैनेजर सहित सात नेम्ड व अन्य अज्ञात पर एक्युज्ड हैं। सीबीआई की FIR में  दिलीप कुमार शर्मा-प्रोजेक्ट ऑफिसर आम्रपाली प्रोजेक्ट, चतरा, शंभू कुमार झा- मैनेजर, आम्रपाली प्रोजेक्ट, चतरा, उमेश कुमार सिंह- सीनियर मैनेजर सर्वेयर, मगध आम्रपाली एरिया, सीसीएल, चतरा, पंकज कुमार झा- सीनियर सर्वेयर अफसर, मगध आम्रपाली एरिया, सीसीएल, चतरा, निहार रंजन साव-: चफ मैनेजर माइनिंग, मगध आम्रपाली एरिया, सीसीएल, चतरा।मेसर्स एएमपीएल-एमआइपीएल-जीसीएल (जेवी) कोलकाता के सभी डायरेक्टर्स,- मेसर्स एएमपीएल-एमआइपीएल-जीसीएल (जेवी) कोलकाता व अन्य अननोन को एक्युज्ड बनाया गया है।
यह है मामला
एफआईआर के अनुसार  सीबीआई को सूचना मिली थी कि आम्रपाली प्रोजेक्ट से बड़े पैमाने पर कोयले की चोरी हुई थी। इसके बाद सीबीआई के एसीबी और सीसीएल के विजिलेंस ने औचक रेड की। रेड में खुलासा हुआ  कि 30 अगस्त 2019 को कोयला का स्टॉक 1804004 मीट्रिक टन था। लेकिन जांच में कोयले का स्टॉक महज 928229 मीट्रिक टन मिला। इस तरह कोयला स्टॉक का 48.54 फीसदी स्टॉक गायब मिला। कोयले की चोरी से 83 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, कोयले के स्टॉक के संरक्षण की जिम्मेदारी प्रोजेक्ट आफिस, एजीएम, स्टाफ आफिस माइनिंग, कोलियिरी सर्वेयर, एरिया सर्विस अफसर और ट्रांसपोर्टर की थी। सीबीआई ने मामले में इन सभी को आरोपी बनाया है। 
टेरर फंडिंग से भी है मगध-आम्रपाली प्रोजेक्ट का संबंध
चतरा के मगध-आम्रपाली प्रोजेक्ट में वर्ष 2013 में माइनिंग की शुरुआत हुई थी। माइनिंग शुरू होने के बाद टीपीसी उग्रवादियों, सीसीएल के कुछ अफसरों और ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत से टेरर फंडिंग की शुरुआत हुई। वर्ष 2018 में इस मामले में एनआईए ने जांच शुरू की थी। जांच के बाद एनआइए ने सीसीएल के जीएम से लेकर लाइजनर तक अरेस्ट कर जेल  भेजा। कई  अभी जेल में बंद हैं। एनआईए ने मामले में सुदेश केडिया जैसे बड़े ट्रांसपोर्टर को भी जेल भेजा था। अब भी टेरर फंडिंग केस में डेढ़ दर्जन आरोपी जेल में हैं। केस में टीपीसी के ब्रजेश गंझू, मुकेश गंझू, भीखन गंझू समेत अन्य की तलाश है। आरोपियों ने टेरर फंडिंग के लिए विस्थापित कमिटी बनाई थी। पांच गांव की विस्थापित कमेटी और उग्रवादियों की एक कमेटी के नाम पर पैसे की उगाही होती थी।