आर्मी चीफ का बड़ा बयान, अगला युद्ध जल्द हो सकता है,हमें उसी के अनुसार करनी होगी  तैयारी

आर्मी चीफ का बड़ा बयान, अगला युद्ध जल्द हो सकता है,हमें उसी के अनुसार करनी होगी  तैयारी
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी (फाइल फोटो)।
  • ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सरकार ने सेना को पूरी तरह से फ्रीहैंड दिया था

चेन्नई। आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कहा है कि "अगला युद्ध जल्द हो सकता है। हमें उसी के अनुसार तैयार रहना होगा"। उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सरकार ने सेना को पूरी तरह से फ्रीहैंड दिया था, जिससे मिशन सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सका। 25 अप्रैल को उत्तरी कमान ने योजना बनाकर नौ में से सात आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। 
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आर्मी चीफ चार अगस्त को IIT मद्रास में 'अग्निशोध'- इंडियन आर्मी रिसर्च सेल (IARC) के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही। उनके संबोधन का वीडियो आर्मी ने रविवार को शेयर किया है।आर्मी चीफ ने कहा कि मौजूदा समय में सीमा पर हालात चुनौतीपूर्ण हैं। किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए युद्धस्तरीय तैयारी जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आधुनिक हथियारों, तकनीक और प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर की अहमियत
आर्मी चीफ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ शुरुआत है। भारत ढाई मोर्चों का सामना कर रहा है। अगला युद्ध जल्द हो सकता है जिसके लिए मिलकर तैयारी करनी होगी। सेना को कार्रवाई की पूरी छूट मिली जिससे मनोबल बढ़ा। उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल को हमने उत्तरी कमान का दौरा किया, जहां हमने सोचा, योजना बनायी, उसकी संकल्पना की। नौ में से सात ठिकानों पर अपनी योजना को अंजाम दिया। इन आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। कई आतंकवादी मारे गये।
इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने सीमाई इलाकों में दुश्मन के ठिकानों को सटीक निशाना बनाकर ध्वस्त किया था। 
 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन वारफेयर और हाई-टेक कम्युनिकेशन सिस्टम का होगा इस्तेमाल
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर इस बात का प्रमाण है कि यदि सेना को पूरी स्वतंत्रता दी जाए तो वह किसी भी चुनौती का मुकाबला कर सकती है। सेना प्रमुख ने कहा कि अगले युद्ध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन वारफेयर और हाई-टेक कम्युनिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने यह भी अपील की कि देश के नागरिक सेना पर भरोसा बनायें रखें। हर परिस्थिति में उनका मनोबल बढ़ायें।
ऑपरेशन सिंदूर में सेना को यह तय करने की खुली छूट दी गयी थी 
उन्होंने कहा कि अगला युद्ध जल्द हो सकता है। हमें उसके अनुसार तैयारी करनी होगी। हमें यह लड़ाई मिलकर लड़नी होगी। अकेले सेना इसे नहीं लड़ेगी। अगर मैं अपने नजरिये से इसे देखूं, तो भारत ढाई मोर्चों का सामना कर रहा है। अगर देश की जमीनी सीमाओं की बात करें तो जनता की मानसिकता के मद्देनजर जीत का मतलब जमीनी बना रहेगा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक संपूर्ण राष्ट्र का दृष्टिकोण था। सेना को यह तय करने की खुली छूट दी गयी थी कि क्या करना है। इस तरह का आत्मविश्वास, राजनीतिक स्पष्टता, राजनीतिक दिशा हमने पहली बार देखी। प्रतिबंधों की कोई शर्त न होने से सेना का मनोबल बढ़ता है। इस तरह इसने जमीनी स्तर पर सेना के कमांडरों को अपनी समझ के अनुसार कार्य करने में मदद की।
ऐसा पहले कभी नहीं हुआ 
उन्होंने कहा कि हमने जहां हमला किया, वह व्यापक और गहरा था। पहली बार हमने आतंकवादियों के वास्तविक ठिकानों पर हमला किया। निश्चित रूप से हमारे निशाने पर आतंकी और उनके सरगना थे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। पाकिस्तान को भी उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का हमला होगा। यही बात उनके लिए हैरान करने वाली थी। लेकिन, क्या हम इसके लिए तैयार थे? हां, हम इसके लिए तैयार थे। जो भी झटका आता, उसे झेलने के लिए हम तैयार थे।
रणनीतिक संदेश बहुत महत्वपूर्ण
आर्मी चीफ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किस तरह से नैरेटिव गढ़ने की लड़ाई लड़ी गयी, इस पर उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान की रणनीति का अपने तरीके से मुकाबला किया। जनता तक संदेश पहुंचाने के लिए इंटरनेट मीडिया और अन्य माध्यमों का इस्तेमाल किया। इस तरह आप जनता को प्रभावित कर सकते हैं। यह स्वदेशी जनता, विरोधी देश की जनता और तटस्थ जनता..सभी पर प्रभाव डालती है। इसका रणनीतिक संदेश बहुत महत्वपूर्ण था।
दुश्मन की अगली चाल क्या होगी नहीं था पता 
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर शतरंज की बाजी जैसा था, क्योंकि हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और हम क्या करने वाले हैं। इसे हम ग्रे जोन कहते हैं। ग्रे जोन का मतलब है कि हम पारंपरिक अभियान नहीं चला रहे, लेकिन हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जो पारंपरिक अभियान से थोड़ा हटकर हो। कहीं हम दुश्मन को शह और मात दे रहे थे, तो कहीं हम अपनी जान गंवाने के जोखिम पर भी उसे मात देने की कोशिश कर रहे थे।लेकिन, जिंदगी का यही मतलब है। अगर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, तो हो सकता है कि दूसरे देश दुश्मन की मदद कर रहे हों। हालांकि, ''टेस्ट मैच'' चौथे दिन ही रुक गया, अन्यथा यह एक लंबा संघर्ष हो सकता था।