Bihar के अजय आलोक दिल्ली में BJP में हुए शामिल, नहीं दिखा बिहार से कोई पार्टी लीडर , संयोग या संकेत?
कभी बिहार के सीएम नीतीश कुमार व जेडीयू के बारे में न्यूज चैनलों पर पक्ष रखने वाले बिहार के डॉक्टर अजय आलोक बीजेपी में शामिल हो गये हैं। बीजेपी हेडक्वार्टर दिल्ली में मेंशुक्रवार की सुबह सेंट्रल मिनिस्टर अश्निनी वैष्णव नेअजय आलोक को बीजेपी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर भाजपा के मीडिया विभाग के प्रमुख अनिल बलूनी, राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया और एमपी जफर इस्लाम भी मौजूद थे।
- नीतीश सही में पलटीमार, अजय आलोक ने आनंद मोहन को छोड़ने पर बोला हमला
नई दिल्ली। कभी बिहार के सीएम नीतीश कुमार व जेडीयू के बारे में न्यूज चैनलों पर पक्ष रखने वाले बिहार के डॉक्टर अजय आलोक बीजेपी में शामिल हो गये हैं। बीजेपी हेडक्वार्टर दिल्ली में मेंशुक्रवार की सुबह सेंट्रल मिनिस्टर अश्निनी वैष्णव नेअजय आलोक को बीजेपी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर भाजपा के मीडिया विभाग के प्रमुख अनिल बलूनी, राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया और एमपी जफर इस्लाम भी मौजूद थे।
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पिछले साल जेडीयू ने दिखाया था बाहर का रास्ता
पिछले साल जून में जेडीयू ने पार्टी से बाहर जाकर बयानबाजी करने पर अजय को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था। इसके बाद अजय आलोक के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा थी। वे लगातार सार्वजनिक मंच पर बीजेपी के पक्ष में बोलते नजर आये। हालांकि बिहार में एनडीए की सरकार के दौरान एक बाद बीजेपी के एक बड़े नेता के खिलाफ टिप्पणी के कारण उन्हें प्रवक्ता की जिम्मेवारी से मुक्त कर दिया गया। अजय आलोक ने शुक्रवार को ही पीएम मोदी पर मल्लिकार्जुन खरगे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी थी। अजय ने ट्वीट कर खरगे को घेरा था। उन्होंने कहा कि 'मोदी का मतलब ज़हरीला सांप की तरह हैं ! मतलब सारे मोदी ज़हरीला सांप ? खरगे जी आप तो राहुल जी के चचा निकले। कहावत उल्टा करना होगा-छोटे मियां छोटे मियां बड़े मियां सुबहान अल्लाह।'
#WATCH नीतीश कुमार को बहुत लोग पलटीमार कहते हैं जो बिल्कुल सही है। उन्होंने ही 87 साल बाद जेल मैन्युअल में संशोधन किया था और यह क्लॉज डाला था कि अगर सरकारी सेवक की हत्या होगी तो उसे कभी रिहा नहीं किया जाएगा...अब आनंद मोहन और बाकी कैदियों को उन्हें रिहा करना था इसलिए उन्होंने… pic.twitter.com/40F7MC44zb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 28, 2023
बिहार बीजेपी के लीडर रहे नदारद
अजय आलोक के पार्टी में शामिल होने के दौरान बीजेपी का बिहार से कोई लीडर नजर नहीं आया। दिल्ली से लेकर पटना तक बीजेपी के कई नेताओं को अजय आलोक के शामिल होने की खबर तब लगी जब ज्वाइनिंग हो गई। हालांकि मीडिया में यह खबर सुबह आ गई थी लेकिन बिहार में इस घटनाक्रम की भनक पार्टी के अंदर भी कई लोगों को नहीं थी। अजय आलोक का बीजेपी में स्वागत करते हुए मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने कहा कि अजय उनके अच्छे मित्र भी हैं। कहा जाता है कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं से अजय आलोक के सीधे और अच्छे संबंध हैं। अजय आलोक की एंट्री से बिहार में बीजेपी को एक और चर्चित कायस्थ नेता मिल गया है। बिहार में पार्टी के पास कायस्थ बिरादरी से पहले से रविशंकर प्रसाद, ऋृतुराज सिन्हा, संजय मयूख, नितिन नवीन और अरुण सिन्हा जैसे नेता हैं।अजय आलोक डॉक्टर हैं। उनके पिता गोपाल सिन्हा भी प्रसिद्ध डॉक्टर हैं। वहीं, वे बीएशपी से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसके अलावा, वे टीवी डिबेट का चर्चित चेहरा हैं।
आरसीपी के करीबी रहें हैं जय आलोक
जेडीयू में जब नीतीश कुमार से आरसीपी सिंह के रिश्ते खराब हुए तो अजय आलोक को दिक्कत होने लगी। अजय आलोक कई बार पार्टी लाइन से अलग बोलते दिखे जिसके बाद जेडीयूकी तरफ से उनके बोलनेपर ही रोक लगा दी गई। फिर अजय आलोक सोशल मीडिया से निशाना साधने लगे। जून 2022 में जेडीयू ने अजय आलोक की प्राथमिक सदस्यता निलंबित कर दी। इसके बाद से अजय आलोक टीवी चैनलों पर राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर बहस में हिस्सा लेते रहे। अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही न्यूज चैनलों पर अजय आलोक के नाम बीजेपी लिखा दिख सकता है।
नीतीश सही में पलटीमार, अजय आलोक ने आनंद मोहन को छोड़ने पर बोला हमला
बीजेपीमें शामिल होने के बाद अजय आलोक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जुबानी हमला बोला है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को बहुत लोग पलटीमार कहते हैं, जो बिल्कुल सही है। अजय आलोक ने मीडिया से बातचीत के दौरान आनंद मोहन को रिहा करने के फैसले पर नीतीश कुमार को घेरा। उन्होंने कहा कि 87 साल बाद 2012 में नीतीश कुमार ने ही जेल मैन्युअल में संशोधन किया था। तब यह क्लॉज डाला था कि अगर सरकारी सेवक की हत्या होगी तो उसे कभी रिहा नहीं किया जाएगा।अजय आलोक ने कहा कि नीतीश कुमार ने उस समय जेल मैन्युअल में बदलाव किया, जिससे जेल से बाहर आने वाले अपराधी छूट न पाए। अब आनंद मोहन और बाकी कैदियों को उन्हें रिहा करना था, इसलिए उन्होंने फिर से संशोधन किया। कई दुर्दांत अपराधी को छोड़ा गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब दलितों की हत्या करने वालों को इसलिए छोड़ा जाएगा कि वो अमूक जाति से है