Bihar: BJP के जिलाध्यक्षों के मनोनयन में जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश
बिहार बीजेपी की ओर से जारी 45 जिलाध्यक्षों की लिस्ट में वोट की राजनीति के हिसाब से सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश की गयी है। जिलाध्यक्षों में पार्टी ने अति-पिछड़ा, ब्राह्मण व भूमिहार को सर्वाधिक तरजीह दी है। अन्य जातियों को भी समग्रता में भागीदारी देने की कोशिश की गई है।
पटना। बिहार बीजेपी की ओर से जारी 45 जिलाध्यक्षों की लिस्ट में वोट की राजनीति के हिसाब से सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश की गयी है। जिलाध्यक्षों में पार्टी ने अति-पिछड़ा, ब्राह्मण व भूमिहार को सर्वाधिक तरजीह दी है। अन्य जातियों को भी समग्रता में भागीदारी देने की कोशिश की गई है।
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बिहार में बीजेपी 45 जिलाध्यक्षों में मुस्लिम समुदाय से एक भी नाम नहीं है। किसी महिला को भी जिला अध्यक्ष बनने का मौका नहीं मिला है। हालांकि पार्टी ने चुनाव के मद्देनजर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में जातीय समीकरण को साधने की हर संभव कोशिश की है।
भाजपा की ओर से जारी जिलाध्यक्षों की लिस्ट में कई पुराने चेहरों को वापस एक बार फिर से मौका दिया है। उन्हें पद पर बनाए रखा है। पार्टी ने आठ जिलों में ब्राह्मण नेताओं को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज से आने वाले छह से सात लोगों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।छह भूमिहार समाज के नेताओं को जिलाध्यक्ष पद का जिम्मा दिया गया है।
बीजेपी ने बिहार में यादव दो, कायस्थ दो, जबकि पांच वैश्य नेताओं को जिलाध्यक्ष पद सौंपा गया है।चार राजपूत नेताओं को भी जिला अध्यक्ष का जिम्मा दिया है। पार्टी ने कुछ जिलों में पुराने नेताओं की पकड़ और उनके कार्यों को देखते हुए जिलाध्यक्षों को वापस मौका दिया है। इन जिलों में प्रमुख रूप से पटना, मुजफ्फरपुर, कैमूर, पूर्णिया, सिवान और मोतिहारी जैसे जिले शामिल हैं।