बिहार: भागलपुर सृजन घोटाला में सीबीआइ की बड़ी कार्रवाई, मास्टर माइंड अमित कुमार की तीन मंजिला बिल्डिंग जब्त
सीबीआइ ने भागलपुर सृजन घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआइ ने घोटाले की मास्टर माइंड मनोरमा देवी के पुत्र अमित कुमार की वार्ड नंबर 33 बरहपुरा स्थित तीन मंजिला बिल्डिंग को जब्त कर लिया।अमित, अमित की पत्नी प्रिया और उसके मित्र विपिन की 14 और संपत्तियों को जब्त किया जायेगा।
- अमित प्रिया और विपिन की 14 संपत्तियों को कब्जे में लिया जायेगा
- 21 सौ करोड़ के सृजन घोटाले की सूत्रधार मनोरमा देवी के पुत्र अमित और बहू प्रिया है फरार
पटना। सीबीआइ ने भागलपुर सृजन घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआइ ने घोटाले की मास्टर माइंड मनोरमा देवी के पुत्र अमित कुमार की वार्ड नंबर 33 बरहपुरा स्थित तीन मंजिला बिल्डिंग को जब्त कर लिया।अमित, अमित की पत्नी प्रिया और उसके मित्र विपिन की 14 और संपत्तियों को जब्त किया जायेगा। शुक्रवार को भी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। सीबीआइ की तीन सदस्यीय टीम गुरुवार को अमित, प्रिया और विपिन की संपत्तियों को कब्जे में लेने के लिए न्यू शिवपुरी कॉलोनी के प्राणवती लेन में पहुंची। जिला प्रशासन की ओर से सीओ संजीव कुमार मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे।
सीबीआइ की ओर से पहले अमित कुमार के नाम पर बने बिल्डिंग का ताला तोड़ा गया। इसके बाद सीबीआइ टीम, मजिस्ट्रेट और इशाकचक इंस्पेक्टर घर के अंदर घुसे और सामान की सूची तैयार की। इसके बाद मकान में नया ताला लगाकर उसे सील कर दिया गया। वहां मकान सील होने से संबंधित बैनर भी टांग दिया गया।मजिस्ट्रेट के रूप में वहां प्रतिनियुक्त सीओ के जनता दरबार में चले जाने के कारण संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई अगले दिन तक के लिए रोक दी गई। अमित ने यह संपत्ति वर्ष 2009 की एक दिसंबर को बरहपुरा निवासी बाबर खान के पुत्र से चार लाख 43 हजार रुपये में खरीदी थी। नगर निगम में मकान नंबर बीई053-0400 दर्ज है।
अमित-प्रिया है फरार
21 सौ करोड़ के सृजन घोटाले की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी के पुत्र अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया घोटाला उजागर होने के पहले से फरार हैं। वर्ष 2017 की सात अगस्त को सृजन घोटाला उजागर हुआ था। एक सरकारी चेक बाउंस होने के बाद यह घोटाला उजागर हुआ। मनोरमा देवी की मौत हो चुकी है। सीबीआइ ने मनोरमा देवी के बेटे-बहू को फरार घोषित करते हुए उनके घरों पर इश्तेहार चस्पा किया था। अमित और रजनी प्रिया के पकड़ में नहीं आने के बाद संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई हो रही है। रजनी प्रिया सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की सचिव है। मनोरमा देवी के निधन के बाद ही रजनी प्रिया को सचिव बनाया गया था।
सीबीआइ इंस्पेक्टर नहीं पहुंचे, अमित, प्रिया की जमीन जब्त करने पहुंचे वापस लौटे सीओ
सृजन घोटाले के मुख्य आरोपी अमित कुमार और प्रिया कुमार की नाथनगर स्थित 11 डिसमिल जमीन को जब्त करने की कार्रवाई गुरुवार को नहीं हो सकी। नाथनगर सीओ राजेश कुमार ने बताया कि सीबीआइ इंस्पेक्टर की मौजूदगी में संपत्ति जब्त होनी थी, लेकिन वे नहीं आये। इसलिए वापस लौटना पड़ा। कोर्ट के आदेश पर अमित कुमार और प्रिया कुमार की संपत्ति जब्त करनी है। इनमें नाथनगर में चंपा पुल और दोगच्छी बाइपास के बीच मेन रोड के किनारे 11 डिसमिल जमीन मिली है। उसे जब्त कर अधिग्रहण की प्रक्रिया की जानी है।
आरोपी अमित कुमार और रजनी प्रिया के नाथनगर, जगदीशपुर और सबौर अंचल में कुल 15 स्थानों पर लगभग 2.62 करोड़ की संपत्ति को जब्त किया जाना है। इसमें तीन वार्डों की भी संपत्ति को जब्त किया गया है। 15 स्थानों की संपत्ति में आठ स्थानों पर अमित कुमार और छह स्थानों पर रजनी प्रिया की संपत्ति है। जबकि एक स्थान पर जब्त संपत्ति में अमित कुमार के एक अन्य पार्टनर होने की भी बातें सामने आयी हैं। जब्त समानों में फ्लैट, मकान और कुछ प्लॉट शामिल हैं। इसका इन्वेंटरी भी जिला प्रशासन द्वारा तैयार करवाकर सीबीआई के सक्षम अधिकारी को भेजा जायेगा।
आरोपियों से मिली संपत्ति
अमित कुमार के खलीफाबाग के सुशीला शर्मा से वर्ष 2009 की 24 नवंबर को वार्ड नंबर- 29 में 155 वर्ग फीट की खरीदी गई दुकान। इसकी अनुमानित कीमत 3.34 लाख रुपये है।
बहरपुरा के मोहम्मद मेराज खान से वार्ड -33 में वर्ष 2009 की एक दिसम्बर को 3.908 डिसमल खरीदी गई जमीन। इसकी अनुमानित कीमत 4.43 लाख रुपये हैं।
वर्ष 2011 की छह जुलाई को फतेहपुर में अंगिका विहार डेवलपर के पीके घोष से खरीदी गई फ्लैटकी अनुमानित कीमत 18 लाख 60 हजार रुपये है।
सबौर के फतेहपुर में वर्ष 2011 की 12 जुलाई को जीरोमाइल के मोहम्मद जावेद वासेय से खरीदी गई 4.5 डिसमल जमीन की अनुमानित कीमत 4.5 लाख रुपये है।
रजनी प्रिया ने फतेहपुर में वर्ष 2014 की 21 जुलाई को जीरो माइल के मोहम्मद जावेदन वासनेय से खरीदी गई 2.852 डिसमल जमीन की अनुमानित कीमत 16 लाख रुपये है।
वर्ष 2011 की सात नवंबर को खलीफाबाग के पुरुषोत्तम प्रसाद सिंह से साईं कंस्ट्रक्शन के पार्टनर रहते अमित कुमार ने वार्ड - 20 में 907 वर्गफिट का प्लॉट खरीदा था। इसकी अनुमानित कीमत 22 लाख 54 हजार रुपये है।
खलीफाबाग के सत्यदेव प्रसाद सिंह से व,र् 2014 की सात नवम्बर को वार्ड - 20 में पार्टनर के साथ खरीदी गई 2.466 डिसमल का प्लॉट की अनुमानित कीमत 30 लाख रुपये है।
नाथनगर के दोगच्छी में पुरानी सराय के समीप भुवनेशवर यादव से खरीदी गई 11.75 डिसमल जमीन की अनुमानित कीमत 4.64 लख रुपए।
वर्ष 2015 की चार मार्च को मनोरमा देवी से गिफ्ट के रूप में पुत्र आरोपी अमित और बहू रजनी प्रिया को वार्ड -33 में मिले 3.312 डिसिमल जमीन। इसमें मकान सहित अनुमानित कीमत 60 लाख रुपये है।
वर्ष 2015 की 28 अगस्त को गायत्री होम्स इंडिया के कौशल किशोर सिन्हा से रजनी प्रिया द्वारा वार्ड -31 में खरीदी गई फ्लैट की अनुमानित कीमत 34.76 लाख रुपये है।
सबौर के फतेहपुर निवासी मोहम्मद शमीम से वर्ष 2016 की 16 फरवरी को फतेहपुर में ही रजनी प्रिया ने 3.8755 डिसिमल जमीन खरीदी थी। इसकी अनुमानित कीमत 7.76 लाख रुपये है।
सबौर के फतेहपुर में रजनी प्रिया ने अभिषेक कुमार से वर्ष 2016 की 16 फरवरी को 9.4093 डिसिमल जमीन खरीदी थी। इसकी अनुमानित कीमत 18.82 लाख रुपये है।
तिलकामांझी के विक्रमशिला कॉलोनी में वर्ष 2011 की छह अगस्त को सहदेव यादव से रजनी प्रिया द्वारा खरीदा गया मकान जिसकी अनुमानित कीमत 1.45 लाख रुपये है।
वर्ष 2012 की 11 मई को बनवारी साह से रजनी प्रिया ने वार्ड - 33 में जमीन खरीदी थी। इसकी अनुमानित कीमत 9.60 लाख रुपये है।
पिंकी कुमारी से अमित कुमार ने सबौर में वर्ष 2013 की 26 अगस्त को 10.90 डिसमल जमीन खरीदा था। इसकी अनुमानित कीमत 21.80 लाख रुपये है।
मुख्य आरोपी अब भी फरार
भागलपुर सृजन घोटाला उजागर होने के साढ़े तीन साल बीत जाने के बावजूद इसके घोटाले के मुख्य आरोपी अमित कुमार और रजनी प्रिया का पता लगाने में सीबीआई नाकाम रही। विभिन्न सरकारी योजनाओं में करोड़ों रुपये का हेराफेरी कर सरकारी राशि का अवैध हस्तांतरण सरकारी अधिकारियों, बैंककर्मियों और बिचौलियों के माध्यम से सृजन महिला विकास सहयोग समिति में जमा हुआ। हर किसी ने जिसे मौका लगा जमकर लुटा। लेकिन जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तक बेखबर रही।
सृजन घोटाला
भागलपुर में लगभग 2000 करोड़ के सृजन घोटाले का मास्टर माइंड सृजन की संस्थापिका मनोरमा देवी रही हैं। सरकारी राशि के अवैध हस्तांतरण से जुड़े इस घोटाले में मुख्य रूप से राजनेताओं, गवर्नमेंट डिपार्टमेंट और अफसरों की संलिप्ता रही है। शहरी विकास के लिए भेजे गए पैसे को गैर-सरकारी संगठन के खातों में अवैध रूप से पहुंचाया गया। मनोरमा देवी आरोपी अमित कुमार की मां हैं। उन्होंने 1993- 1994 में ‘सृजन महिला विकास सहयोग समिति’ नाम की एक संस्था शुरू की थी। वहीं 1996 में सृजन को सहकारिता विभाग में को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में मान्यता भी मिल गई थी। इसके बाद को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में सदस्य महिलाओं के पैसा संस्था में जमा होने लगा। वहीं इस जमा पैसे पर खाताधारियों को ब्याज भी दिया जाता था।
वर्ष 2007-2008 में सृजन को-ऑपरेटिव बैंक के रूप में कार्य करने लगा। इसके घोटालों की कहानी यहीं से लिखी जाने लगी। यहां तक की भागलपुर में सरकारी खजाने का पैसा सृजन को-ऑपरेटिव बैंक के खाते में ट्रांसफर होता था। इसके बाद इस पैसे को बाजार में लगाया जाता था। सृजन में स्वयं सहायता समूह के नाम पर कई फर्जी ग्रुप भी बन गये थे। ऐसे फर्जी लोगों के और ग्रुप में अकाउंट भी खुले और इन अकाउंट के माध्यम से नेताओं और अफसरों का ब्लैक मनी व्हाइट होना शुरू हो गया।
सरकारी चेक बाउंस होने के बाद उजागर हुआ घोटाला
वर्ष 2017 की अगस्त के फस्ट वीक में तत्कालीन डीएमआदेश तितरमारे के साइन से जारी हुआ चेक अकाउंट में पैसा नहीं होने के कारण बाउंस हुआ, तब मामला प्रकाश में आया। अगस्त में भी आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज होना शुरू हो गया। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई की जांच कछुए की गति से चल रही है।