बिहार: बक्सर में अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन शुरु, बोले मोहन भागवत, किसी से डर के कर्म न करें, धर्म का पालन मन से करें
बिहार बक्सर में अहिल्या धाम, अहिरौली में में मंगलवार को नौ दिवसीय सनातन संस्कृति समागम एवं अन्तर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। श्रीराम कर्मभूमि न्यास के संस्थापक व सेंट्रल मिनिस्टर अश्विनी कुमार चौबे के संयोजन एवं स्वामी जी महाराज के सानिध्य में सात नवम्बर से नौ दिनों तक कथा-यज्ञ और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। इस दौरान कार्यक्रम में देश की प्रतिष्ठित साधु-संत एवं राजनैतिक हस्तियां शिरकत कर रहे है।
- 11 लाख 30 हजार दीपों से जगमगाई श्री राम की कर्मभूमि
- बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
बक्सर। बिहार बक्सर में अहिल्या धाम, अहिरौली में में मंगलवार को नौ दिवसीय सनातन संस्कृति समागम एवं अन्तर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। श्रीराम कर्मभूमि न्यास के संस्थापक व सेंट्रल मिनिस्टर अश्विनी कुमार चौबे के संयोजन एवं स्वामी जी महाराज के सानिध्य में सात नवम्बर से नौ दिनों तक कथा-यज्ञ और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। इस दौरान कार्यक्रम में देश की प्रतिष्ठित साधु-संत एवं राजनैतिक हस्तियां शिरकत कर रहे है।
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भगवान हर बार अवतार लेकर आते हैं लोगों की इच्छा पूरी करने
सनातन संस्कृति समागम के दूसरे दिन कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन सह संत समागम में बतौर चीफ गेस्ट उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि किसी से डर कर कर्म नहीं करो, धर्म का पालन मन से होना चाहिए। भागवत ने कहा कि मैं तो स्वयंसेवक हूं। भगवान हर बार अवतार लेकर हमसबों की इच्छा पूरी करने आते हैं। इच्छाएं तो बहुत मन में आती हैं, लेकिन संतों ने बताया है होइए वही जो राम रचि राखा। इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए हमें भी अपना कर्म करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सत्य को पाना है, तो कर्म करना होगा। जत्थेदार जी ने कहा कर्म के साथ जप भी करो, मन में राम को रखो। भागवत ने कहा कि धर्म समाज को जोड़ कर रखने वाला है। सबको सुख की अनुभूति देने वाला है। उन्होंने कहा कि किसी से डर के कर्म नहीं करो। धर्म का पालन मन से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जप करने में मैं का आभास नहीं रहता। सर्वत्र का आभास होता है। जप के लिए हिमालय पर नहीं जाना है। मन को अयोध्या बनाओ।
इंडिया पूरे वर्ल्ड के लिए लेता है सांस
चिदानंद स्वामी ने कहा कि भारत केवल अपने लिए सांस नहीं लेता, पूरे विश्व के लिए सांस लेता है। स्मार्ट फोन के जमाने में ऐसा न हो कि मां बाप भी हमारे कवरेज से बाहर हो जाएं, बच्चो को संस्कार दीजिए। हमें धरती के लिए संकल्प लेना है। सभी लोग पेड़ लगाएं, सिंगल उसे प्लास्टिक से बचें, जल का संचयन करने का संकल्प लें।
अब याचना नहीं अब रण होगा
स्वामी राम भद्रा जी महाराज ने कहा कि इसी बक्सर में श्रीराम ने संतों को कहा था कि आप निर्भय होकर यज्ञ कीजिए। बक्सर की यह यात्रा श्रीराम की विजय स्मृति यात्रा है। 370 हटाया, 35 ए हटाया। हंसते हंसते श्रीराम जन्मभूमि ली। अब ज्ञानव्यापी मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि लेना है। उन्होंने कहा कि पाक में जो कश्मीर का हिस्सा है वह वापस लेना है। लद्दाख का हिस्सा जो चीन में है, उसे भी वापस लेना होगा। हमारे मित्र नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में यह सब संभव है और पूरा होगा। संतों को अब केवल राष्ट्रीय हित की बात करनी चाहिए, घर वापसी को अभियान बनाना है। हिंदुओं की संख्या घट रही है, यह चिंता का विषय है। उदारता पूर्वक हिंदु धर्म अपनाने के लिए प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि अब याचना नहीं अब रण होगा।
11 लाख 30 हजार दीपों से जगमगाई श्री राम की कर्मभूमि
सनातन संस्कृति समागम के प्रथम दिवस देव-दीपावली के अवसर पर 11 लाख 30 हजार रंग-बिरंगे दीपों से ताड़का-वध और चरणधूलि से माता अहिल्या का कल्याण करते हुए भगवान श्रीराम की ज्योति छवि बनाकर बक्सर ने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनियन मेम्बर की ऑफिशियल अफसर मिस शरीफा ने इसकी घोषणा की। मौक पर श्रीराम कर्मभूमि न्यास के संथापक व एमपी अश्विनी कुमार चौबे, पदम् विभूषण परम पूज्य जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज, परम पूज्य जीयर स्वामी जी महाराज, ऋषिकेश परमार्थ निकेतन उत्तराखंड परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, वृंदावन उत्तरप्रदेश से परम् पूज्य स्वामी अनंताचार्य जी महाराज, प्रयागराज उत्तरप्रदेश से महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी यतीन्द्रनाथ गिरी जी उपस्थित रहे।
सेंट्रल मिनिस्टर अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि के बाद श्रीराम कर्मभूमि को विकसित करने संसद में उनके द्वारा लाये गए प्रस्ताव को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा स्वीकार किया गया। इसके फलस्वरूप आज श्रीराम की कर्मभूमि, माता अहिल्या की कल्याण भूमि, वामन भगवान की जन्मस्थली और महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि की पहचान से आज संम्पूर्ण विश्व अवगत हो रहा है और बक्सर का विश्व कीर्तिमान बनने जा रहा है। कार्यक्रम के प्रथम दिवस राम आरती के साथ पद्म विभूषण पूज्य रामभद्राचार्य जी महाराज के श्रीमुख से राम-कथा आरंभ हुआ। लोकल कलाकारों ने भक्ति संगीत प्रस्तुत करते हुए श्रीराम के जयकारे लगाये और विभिन्न राज्यों से आये कलाकरों ने सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किये।
श्रीराम कर्मभूमि में आयोजित कर्यक्रम स्थल पर भागलपुर से आये निखिलम आर्ट कुटीर के कलाकार अनिल कुमार के साथ 13 कलाकारों व अन्य लोकल कलाकारों ने साथ मिलकर श्रीराम की भव्य ज्योति छवि का निर्माण किया है। ज्योति छवि का निर्माण 29 अक्टूबर से प्रारम्भ हुआ था जिसे छह नवम्बर को नौ दिनों के अंदर तैयार किया गया। ज्योति छवि के निर्माण में कुल 11 लाख 30 हजार मिट्टी के दियों का उपयोग हुआ है।दियों को रंगीन स्वरूप देने के लिए 17 तरह के रंगों का प्रयोग हुआ है, जिसमे कुल 80 लीटर पेंट का उपयोग हुआ। चार क्विंटल तेल से आकृति की चारों बिछाये गये दियों को रौशन कर श्रीराम का ज्योति स्वरूप प्रकट किया गया है।
नौ दिवसीय सनातन संस्कृति समागम एवं अन्तर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन का में कथा-यज्ञ और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। इस दौरान कार्यक्रम में देश की प्रतिष्ठित साधु-संत एवं राजनैतिक हस्तियां शिरकत कर रहे है।