बिहार: शराबबंदी पर जीतन राम मांझी के गड़बड़ बोल, कहा- DM-SP व मिनिस्टर्स की तरह रात 10 बजे पियो शराब
बिहार के एक्स सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि देश की सत्ता बाहरी लोगों के हाथों में है। यहां के मूल निवासी आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 85 परसेंटआबादी हमारी है। इसके बावजूद सत्ता में हमारी पैठ बेहद कमजोर है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि राजनीति चाबी है, इससे विकास का ताला खुलता है। दुर्भाग्य से हमारे पास राजनीति रूपी चाबी नहीं है। इसलिए विकास का ताला बंद है। वे बुधवार को हरनाटांड़ में भारतीय थारू कल्याण महासंघ के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
- शराबबंदी कानून में संशोधन की जरूरत दवा की तरह बिके शराब
- डाक्टर-इंजीनियर भी रात 10 बजे के बाद शराब पीते हैं मगर पकड़े जाते हैं गरीब
पश्चिम चंपारण। बिहार के एक्स सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि देश की सत्ता बाहरी लोगों के हाथों में है। यहां के मूल निवासी आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 85 परसेंटआबादी हमारी है। इसके बावजूद सत्ता में हमारी पैठ बेहद कमजोर है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि राजनीति चाबी है, इससे विकास का ताला खुलता है। दुर्भाग्य से हमारे पास राजनीति रूपी चाबी नहीं है। इसलिए विकास का ताला बंद है। वे बुधवार को हरनाटांड़ में भारतीय थारू कल्याण महासंघ के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
हम हैं यहां के मूल निवासी
एक्स सीएम ने कहा कि मैंने शुरू से ही दबे-कुचलों की आवाज बनकर उनकी बात राजनीतिक गलियारे तक पहुंचाने की कोशिश की। मुख्यमंत्री था तो यहां आया था। यहां के आदिवासियों ने धरती लीपकर मुझे बिठाया और प्रेम से घोंघा-भात खिलाया। इसकी चर्चा हर जगह करता हूं। हम जात-पात, अवर्ण-सवर्ण, गिरिजन-हरिजन के रूप में बंटे हैं। यह बीज कुछ बेईमान लोगों ने बोया है।हमने यह मान लिया है कि हम कमाने, मार खाने और दबे रहने के लिए पैदा हुए हैं। जबकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है। हम वाकई यहां के मूल निवासी हैं। यहां की जमीन, यहां की हवा और यहां के पानी पर सबसे पहला अधिकार हमारा है। आह्वान किया कि आगे बढ़कर राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। चाहे पंचायत स्तर की राजनीति हो, प्रदेश स्तर की या फिर राष्ट्रीय स्तर की।
दस बजे के बाद पियो और घर में रहो
जीतन राम मांझी ने बिहार की शराब नीति पर निशाना साधते हुए लोगों को रात दस बजे के बाद पीने की सलाह दे दी है। उन्होंने कहा कि डीएम-एसपी से लेकर विधायक और मंत्री सब शराब पीते हैं। उन्हें तो कोई गिरफ्तार नहीं करता। मांझी ने यह भी कहा कि दवा के रूप में थोड़ी-थोड़ी शराब लेना गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार में बड़े-बड़े अफसरों के साथ-साथ एमपी, एमएलए, ठेकेदार रात 10 बजे के बाद शराब का सेवन करते हैं। लोगों को सलाह देते हुए कहा कि आप लोग भी उन बड़े लोगों की तरह अपने घरों में रात को शराब पिएं, किसी को पता नहीं चलेगा। आप लोग शराब पीकर रोड पर निकलते हैं तो आप की गिरफ्तारी होती है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून की आड़ में गरीबों और दलितों को पकड़कर जेल में डाला जा रहा है, वह गलत है। आधा बोतल और एक बोतल शराब का सेवन करने पर जेल भेजा जा रहा है। यह न्याय संगत नहीं है। मेडिकल साइंस भी कहता है कि एक लिमिट में शराब लेना लाभदायक होता है।
हमारी जाति में देवी-देवता को चढ़ती है शराब
मांझी ने जाति का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे समाज में रिवाज है कि देवी-देवताओं को भी शराब चढ़ाई जाती है। सूअर की बलि देने से पहले उसको शराब पिलाई जाती है। दिन भर मेहनत मजदूरी करने के बाद कोई 50 से 100 रुपए की शराब खरीद कर पी लेता है तो पुलिस उसको पकड़ कर जेल भेज देती है। जबकि, बड़े-बड़े लोग भी शराब पीते हैं उनका कुछ नहीं होता। मांझी ने कहा कि जब मैं छोटा था तो मेरे घर भी शराब बनती थी। मेरी मां और पिताजी शराब बनाते थे। लेकिन, जब मैं पढ़ लिख लिया तो शराब बनाने का काम बंद करा दिया। उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता में ही शराब है, इसे हटाया नहीं जा सकता है।
शराबबंदी कानून पर निशाना साधा
मांझी ने कहा कि कहा कि अगर कोई 50 लीटर 100 लीटर के साथ पकड़ में आ रहा है तो उसको जेल भेज दिया जाता है। मैं शराबबंदी का पक्षधर हूं, लेकिन इसमें संशोधन की जरूरत है। बापू की धरती गुजरात में लंबे समय से शराब बंद है। वहां सीमित मात्रा में शराब बिकती है। बिहार में भी इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए। आदिवासी और अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोग देवी-देवताओं को पूजा के दौरान शराब चढ़ाते हैं। इसलिए शराबबंदी कानून पर सरकार को विचार करना चाहिए। शराब पीना बुरी बात है। मेरे घर में भी शराब बनती और बिकती थी। मगर मैंने मां और बाबूजी से कहा कि इसे बंद कर दीजिए तो मैं बड़ा आदमी बनकर दिखाऊंगा। मेरे घर में शराब बननी और बिकनी बंद हो गई। परिणाम है कि आज आपके सामने खड़ा हूं। हम दोनों पिता-पुत्र ने शराब को हाथ नहीं लगाया।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
एक्स सीएम ने कहा कि देश के सभी प्राइवेट स्कूलों को बंद किया जाना चाहिए। तभी सभी वर्ग के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे। इससे बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा। फ्रांस समेत अन्य विकसित राष्ट्रों में प्राइवेट स्कूलों की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। यह व्यवस्था हमारे यहां भी लागू हो। आदिवासी समाज में शिक्षा के उत्थान के लिए सरकार ने आवासीय विद्यालयों की स्थापना की है, लेकिन शिक्षक नहीं हैं। जबतक रहेंगे, आम लोगों की आवाज बुलंद करते रहेंगे।