Bihar: PM नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह ने सारण SP कुमार आशीष के काम को सराहा

बिहार में सारण के एसपी डॉक्टर कुमार आशीष ने स्टेट पुलिस के साथ जिले का भी मान भी बढ़ाया है। एसपी के निर्देशन में पुलिस टीम ने नये कानून लागू होने के बाद बीएनएस के तहत देश का पहले ऐसा मामला था, जिसमें स्पीडी ट्रायल चलाकर 50 दिन के भीतर ही दोषियों को सजा सुनायी गयी। पुलिस के इस पहल को जानने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह दोनों ने भारत के सभी राज्यों से आये डीजीपी ने तारीफ कर इस मॉडल को सभी जगह पर लागू करने का सुझाव दिया।

Bihar: PM नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह ने सारण SP कुमार आशीष के काम को सराहा
सारण SP कुमार आशीष (फाइल फोटो)।
  • नये कानून लागू होने के बाद बीएनएस के तहत सारण में देश का पहले ऐसा मामला सामने आया जिसमें 50 दिन के अंदर दोषियों को सजा मिली
  •  पीएम व होम मिनिस्टर अन्य जगह लागू करने का भी दिया सुझाव
  • सनकी आशिक ने किया था तीन लोगों का मर्डर
  • सुनवाई पूरी कर 50वें दिन में ही दोषियों को हुई उम्रकैद की सजा 

पटना। बिहार में सारण के एसपी डॉक्टर कुमार आशीष ने स्टेट पुलिस के साथ जिले का भी मान भी बढ़ाया है। एसपी के निर्देशन में पुलिस टीम ने नये कानून लागू होने के बाद बीएनएस के तहत देश का पहले ऐसा मामला था, जिसमें स्पीडी ट्रायल चलाकर 50 दिन के भीतर ही दोषियों को सजा सुनायी गयी। पुलिस के इस पहल को जानने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह दोनों ने भारत के सभी राज्यों से आये डीजीपी ने तारीफ कर इस मॉडल को सभी जगह पर लागू करने का सुझाव दिया।

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उड़ीसा के भुवनेश्वर में आयोजित अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक सम्मेलन में देश के पीएम, होम मिनिस्टर व सभी राज्यों के डीजीपी सारण पुलिस के इस पहल की चर्चा कर रहे थे, तब एसपी डॉक्टर कुमार आशीष को काफी गौरव महसूस हो रहा था। उन्होंने यह भी बताया कि इतने बड़े कार्यक्रम में इस पहल को पूरे देश में लागू करने का जब सुझाव दिया गया वह आगे और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है।
यह है मामला
वर्ष 2024 की 16 जुलाई को सनकी आशिक ने अपने एक साथी के साथ रसूलपुर पुलिस स्टेशन एरिया के धनाडीह गांव में जाकर पिता और उनकी दो नाबालिग बेटियों की चाकू से गोदकर निर्मम तरीके से मर्डर कर दी। मुख्य आरोपी अपनी प्रेमिका से शादी करना चाहता था, लेकिन वह मना कर रही थी। इसके बाद उसने पूरे परिवार को ही मार डालने का फैसला किया। घटनास्थल से प्रेमिका की मां ने छत से कूदकर किसी तरह अपनी जान बचायी थी। इस घटना के बाद काफी तनाव था। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कप्तान डॉक्टर कुमार आशीष ने मौके पर पहुंचे और इसमें पांच टीम इन्विस्टीगेशन, एफएसएल, समन्वय और तालमेल, इंटरनेट मीडिया मॉनिटरिंग व अभियोजन टीम को शामिल कर घटना के दिन ही इस मामले की जांच स्पीडी ट्रायल से करने का निर्णय लिया।

  • नये कानून बीएनएस के तहत 14वें दिन ही कोर्ट में चार्जशीट समर्पित कर त्वरित विचारण का अनुरोध किया।
  • घटना के 19वें दिन न्यायालय ने मामले को संज्ञान में लिया।
  • 22वें दिन मामले का चार्ज फ्रेम किया गया।
  • 27वें दिन से लेकर 44वें दिन तक त्वरित विचरण में प्रत्येक कार्य दिवस पर गवाही हुई और साक्ष्य प्रस्तुत किया गया।
  • 48वें दिन इस घटना का जजमेंट आया, जिसमें दोनों आरोपी दोषी पाये गये।
  • घटना के 50वें दिन सभी न्यायिक प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद दोनों दोषियों को न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास और 25 हजार के आर्थिक जुर्माना की सजा सुनाई गई।
  • नये कानून बीएनएस के तहत भारतवर्ष में पहली सजा मानी गयी।

इस कांड में त्वरित कार्रवाई और सजा मिलने पर पुलिस का मान सम्मान बढ़ा और आम लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा तो अपराधियों में डर पैदा हुआ। मगर पुलिस के लिए स्पीडी ट्रायल करके सजा दिलवाना कोई आसान काम नहीं था।एसपी ने बताया कि धारा 176 (3) बी बीएनएस में सात साल से अधिक सजा होने पर अनिवार्य रूप से घटनास्थल पर एफएसएल टीम को बुलाना है। जिसके द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साथ साक्ष्य संकलन किया जाता है।
पुलिस ने जुटाए सबूत
इस घटना में घटनास्थल को पूर्णतया संरक्षित करके ऑफिशियल टीम ने 18 सैंपल संकलित किए, जिसकी सेरोलॉजिकल और बायोलॉजिकल व डीएनए प्रोफाइलिंग की गई।अन्य जांच रिपोर्ट के अलावा आरोपी के हाथ पैर पर मिले खून के छोटों को मृतका के डीएनए से पूरी तरह से मिलान हुए जो न्यायालय द्वारा एक निर्णायक और मजबूत साक्ष्य मान गया।इसमें बीएनएसएस की धारा 176 (1) के तहत घटनास्थल की ऑडियो-वीडियो फुल रिकॉर्डिंग की गई और इस रिकॉर्डिंग को पेन ड्राइव में मजिस्ट्रेट को 105 बीएनएसएस के तहत उपलब्ध कराया गया।इसे न्यायालय में एडमिसिबल माना गया। इस केस के चार चार्जशीट में नीतिगत तरीके से सिर्फ 12 साक्षियों को नामित किया गया था, जिसमें वादिनी के अलावा केवल चार स्वतंत्रता साक्षी थे व अन्य साथ साक्षी डॉक्टर एफएसएल के वैज्ञानिक व पुलिस के थे।दुर्घटना के बारे में रिपोर्ट दर्ज करें: दुर्घटना के बारे में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करें और आवश्यक दस्तावेज जमा करें।