- दिवंगत एमएलए मुसाफिर पासवान के बेटे अमर हुए तेजस्वी यादव के साथ
- रमई राम ने आरजेडी छोट वीआइपी में हुए शामिल
- मुकेश साहनी ने रमई की बेटी को बोचहां से उतारा
पटना। बिहार में बोचहां विधानसभा उपचुनाव को लेकर सोमवार को गजब का पॉलिटिकल ड्रामा हुआ। बोचहां के दिवंगत एमएलए मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर पासवान मुकेश साहनी की वीआईजी छोड़कर तेजस्वी के साथ आ गये। आरजेडी ने अमर को बोचहां से कैंडिडेट बना दिया। इससे नाराज रमई राम ने आरजेडी छोड़ मुकेश साहनी का दामन थाम लिया। वीआइपी ने उनकी बेटी बेबी कुमारी को अपना कैंडिडेट बना दिया।यहां से बीजेपी ने एक्स एमएलए बेबी कुमार को उतारा है।
विकासशील इनसान पार्टी (वीआइपी)चीफ व बिहार के पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी की यूपी चुनाव में केंद्र सरकार के खिलाफ बयानबाजी से नाराज बीजेपी ने उनके हिस्से की बोचहां सीट छीन ली।पार्टी ने यहां से अपना कैंडिडेट उतार दिया। मुकेश सहनी ने अपने दल के दिवंगत एमएलए मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर पासवान को बोचहां से प्रत्याशी घोषित कर रखा था, लेकिन अमर ने पाला बदल सोमवार को आरजेडी की सदस्यता ले ली। आरेजी ने अमर को अपना सिंबल देकर चुनावी मैदान में भेज दिया।
रमई राम हुए आरजेडी से खफा
एक्स मिनिस्टर व सीनीयर आरजेडी लीडर रमई राम बोचहां से अपनी बेटी गीता देवी को पार्टी से टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत थे। अमर पासवान को राजद की सदस्यता दिलाने के पहले तेजस्वी ने रमई राम को बुलाकर समझाया भी, किंतु वहां से निकल कर वह सीधे मुकेश सहनी के आवास पर पहुंचे। उन्होंने वीआईपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। वीआइपी उनकी बेटी गीता को प्रत्याशी बना दिया। मुकेशसहनी ने दावा किया है कि बोचहां सीट जरूर जीतेंगे। जीत के बाद उनके एमएलए भी एनडीए का हिस्सा होंगे। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के साथ वे मजबूती से खड़े हैं। वर्ष 2020 में बोचहां सीट से वीआईपी के उम्मीदवार मुसाफिर पासवान जीते थे, इस नाते यह सीट उप चुनाव में भी एनडीए के तहत हमें मिलनी चाहिए थी। पर, हमारे सहयोगी दल से समझौता नहीं हो पाया। मुझे टारगेट करके हमारे घर में घुसने की कोशिश की गई है।
बोचहां से नौ बार एमएलए रहे हैं रमई राम, पांच बार बने मिनिस्टर
बोचहां रमई राम का परंपरागत क्षेत्र रहा है। यहां से वे विभिन्न दलों से नौ बार जीत चुके हैं। रमई राम बोचहा से नौ बार एमएलए और पांच बार मिनिस्टर रह चुके हैं। रमई राम बोचहा से तीन बार RJD, एक बार JDU, दो बार जनता दल और तीन बार अन्य दलों से एमएलए चुने जा चुके हैं। वर्ष 1990 से 2015 तक बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं। इसलिए बोचहा को रमई का गढ़ कहा जाता है। 2015 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बेबी कुमारी ने उन्हें पराजित किया था। बाद में बेबी भाजपा के साथ आ गई थीं, लेकिन पिछले चुनाव में बीजेपी ने यह सीट गठबंधन के तहत वीआइपी को दे दी, जहां से मुसाफिर पासवान ने आरजेडी कैंडिडेट रमई राम को हराया था।