बिहार: वैष्णव संप्रदाय के संत श्री रंग रामानुजाचार्य जी महाराज का निधन
वैष्णव संप्रदाय के बड़े संत लक्ष्मी नारायण मंदिर के मठाधीश बड़े स्वामी श्री रंग रामानुजाचार्य जी महाराज (90) गुरुवार की शाम निधन हो गया। उन्होंने पटना के एक हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। वे 90 वर्ष के थे। उनका आश्रम और मठ हुलासगंज, महेंदिया, जगन्नाथपुरी सहित कई शहरों में संचालित है।
पटना। वैष्णव संप्रदाय के बड़े संत लक्ष्मी नारायण मंदिर के मठाधीश बड़े स्वामी श्री रंग रामानुजाचार्य जी महाराज (90) गुरुवार की शाम निधन हो गया। उन्होंने पटना के एक हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। वे 90 वर्ष के थे। उनका आश्रम और मठ हुलासगंज, महेंदिया, जगन्नाथपुरी सहित कई शहरों में संचालित है।
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वैष्णव संप्रदाय के बड़े संत लक्ष्मी नारायण मंदिर के मठाधीश बड़े स्वामी श्री रंग रामानुजाचार्य जी महाराज का गुरुवार कोपटना के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे। कई शहरों में उनके आश्रम हैं।श्री रंग रामानुजाचार्य जी पिछले एक सप्ताह से बीमार थे। स्वामी जी गुरुवार की शाम 4:55 बजे पटना के एक प्राइवेट हॉस्पिटल अंतिम सांस ली। स्वामी जी के निधन की खबर साधु संतों और अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गयी। उनके निधन से ना केवल अनुयायियों में बल्कि लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास के गांवों में भी मातम छा गया। पार्थिव शरीर को अनुयायियों के दर्शन के लिए लक्ष्मी नारायण मंदिर हुलासगंज कैंपस में लाया गया है। शुक्रवार को अनुनायियों के दर्शानार्थ अरवल स्थित सरौती मठ में ले जाया जायेगा।
जहानाबाद जिले के मिर्जापुर गांव के रहने वाले थे स्वामी रंग रामानुजाचार्य महाराज
स्वामी रंग रामानुजाचार्य महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1935 को जहानाबाद जिले के मिर्जापुर गांव में हुआ था। उनके पिता राम सेवक शर्मा के दो पुत्रों में श्री रंगरामानुजाचार्य जी महाराज का बचपन गांव में ही बीता। कक्षा दो तक अपने गांव के स्कूल में पढ़ाई की। बाद में उन्हें हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्ति के लिए शकूराबाद हाई स्कूल में नामांकन कराया गया। इस बीच 15 वर्ष की आयु में सरौती जाकर उन्होंने स्वामी परांकुशाचार्य से दीक्षा ली। प्रथमा मध्यमा शास्त्री करने के बाद व्याकरण वेदांत न्याय आदि विषयों में आचार्य की डिग्री प्राप्त की। व्याकरण एवं न्याय शास्त्र में उन्हें स्वर्ण पदक मिला था। न्याय की पढ़ाई करने के लिए कुछ दिनों तक दरभंगा में भी रहे। वर्ष 1969 में अपने गुरु के साथ उन्होंने हुलासगंज की धरती पर चरण रखा। अपने दिव्यता एवं विद्वता के बल पर स्थानीय लोगों के बीच अमिट छाप छोड़ी।
भागवत रामायण एवं अन्य 32 पुस्तकें भी लिखी
वेदांत दर्शन न्याय एवं मीमांसा में आचार्य की डिग्री प्राप्त 90 वर्षीय स्वामी रंग रामानुजाचार्य जी महाराज ने अपने जीवन के 70 वर्ष धर्म आध्यात्म समाज एवं संस्कृति में सुधार के क्षेत्र में जो काम किया है। उन्होंने भागवत रामायण एवं अन्य 32 पुस्तकें भी लिखी जो आज भी उनके अनुयायियों के लिए पूजनीय है। बिल्कुल सरल भाषा में लिखे गये उनके पुस्तकें सनातन धर्म के लिए एक आधार माना जा रहा है। संस्कृत भाषा के विकास तथा सनातन धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने ना सिर्फ हुलासगंज बल्कि उत्तर प्रदेश बिहार तथा उड़ीसा जैसे जगहों पर भी शैक्षणिक संस्थाओं को स्थापित किया।
स्वामी जी की संस्थाओं में स्वामी परांकुशाचार्य आचार्य संस्कृत उच्च विद्यालय हुलासगंज एवं सरौती ,आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हुलासगंज, श्री राम संस्कृत महाविद्यालय सरौती, श्री वेंकटेश्वर परांकुश संस्कृत महाविद्यालय अस्सी वाराणसी ,स्वामी पर अंकुश आचार्य संस्कृत महाविद्यालय मेहंदिया प्रमुख है। उनके सानिध्य में विभिन्न मंदिरों का निर्माण कराया गया। उन मंदिरों में लक्ष्मी नारायण मंदिर हुलासगंज श्री राघवेंद्र मंदिर जमुआ इन, गोह औरंगाबाद ,वेंकटेश मंदिर महेंदिआ, अरवल, वेंकटेश मंदिर श्री धाम वृंदावन, वेद विद्यालय जगन्नाथपुरी ,धर्मशाला जगन्नाथ पुरी, गौशाला एवं वृद्ध आश्रम जगन्नाथपुरी प्रमुख है।