छत्तीसगढ़: 105 घंटे बाद बोरवेल से बाहर निकला 10 साल का राहुल, जीत ली जिंदगी की जंग, हॉस्पिटल में एडमिट

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में 60 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में गिरे 10 साल के राहुल साहू को जीवित बाहर निकाल लिया गया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने लगभग 105 घंटे तक बोरवेल में फंसे रहे राहुल को सफलतापूर्वक बोरवेल से बाहर निकाल लिया है।देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बताया जा रहा है।

छत्तीसगढ़: 105 घंटे बाद बोरवेल से बाहर निकला 10 साल का राहुल, जीत ली जिंदगी की जंग, हॉस्पिटल में एडमिट

रायपुर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में 60 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में गिरे 10 साल के राहुल साहू को जीवित बाहर निकाल लिया गया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने लगभग 105 घंटे तक बोरवेल में फंसे रहे राहुल को सफलतापूर्वक बोरवेल से बाहर निकाल लिया है।देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बताया जा रहा है।

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104 घण्टे तक चले दुष्कर ऑपरेशन के बाद राहुल सुरंग से बाहर


बोरवेल में फंसे राहुल को अंततः निकाल लिया गया है। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए राहुल की ग्रीन कॉरिडोर से बिलासपुर रवानगी कर दी गई है। मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।#SaveRahulAbhiyaan pic.twitter.com/HLoWgiVxln

— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) June 14, 2022

राहुल शुक्रवार को दोपहर करीब दो बजे बोरबेल में गिर गया था।लगभग चार दिनों से बोरवेल में फंसे राहुल का रेस्क्यू आपरेशन  जारी था। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल लगातार राहुल के रेस्क्यू आपरेशन का जायजा ले रहे थे।  राहुल की रेस्क्यू में जुटी सेना की टीम के एक सदस्य गौतम सूरी ने बताया कि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण आपरेशन था। टीम के सदस्यों के संयुक्त प्रयासों से राहुल को सफलतापूर्वक बचाया जा सका। यह हम सभी के लिए बहुत बड़ी सफलता है। आर्मी के लगभग 25 अफसरों को यहां तैनात किया गया था।  छत्तीसढ़ सीएमओ ने जानकारी दी कि राहुल साहू को बिलासपुर अपोलो हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। फिलहाल उन्हें विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम की निगरानी में आईसीयू में रखा गया है। 

राहुल को स्वास्थ्य परिक्षण के लिए ग्रीन कारिडोर से बिलासपुर रवानगी कर दी गई । राहुल को बाहर लेन की कमान सेना ने अपने हाथ में संभाल ली थी। कुछ ही घंटों में उसे सुरक्षित निकाल लिए जाने की उम्मीद जताई जा रही थी। रेस्क्यू टीम उसके नजदीक पहुंच चुकी थी, लेकिन रास्ते में बड़ी चट्टान के आ जाने से पूरी सावधानी बरती जा रही थी। दोपहर में उसके शरीर में हलचल दिखी थी। घटनास्थल से बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिल तक ग्रीन कारिडोर बना दिया गया, ताकि राहुल के निकलते ही उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सके। 

राहुल शुक्रवार 10 जून की शाम कोखेलते-खेलते बाड़ी में बने बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया था। तब से उसे निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू चल रहा था। एनडीआरएफ, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल एसडीआरएफ, गुजरात की रोबोटिक टीम के बाद अब सेना ने अभियान की कमान संभाल ली थी। सोमवार से राहुल कुछ सुस्त नजर आ रहा था। बोरवेल में पानी का जलस्तर बढ़ता देख पूरे गांव के बोरवेल को कई घंटे तक चलाया गया। गांव के चेकडैम के गेट को भी खोल दिये गये, ताकि राहुल पानी में न फंस जाए। रेस्क्यू टीम सुरंग बनाकर जहां तक पहुंची, उसके ऊपर की चट्टन की दूसरी ओर राहुल बैठा हुआ था। इसके चलते चट्टान को काटने में पूरी सावधानी बरती जा रही थी। 

टार्च की रोशनी में काट रहे थे चट्टान

टार्च की रोशनी में चट्टान को काटने का काम चल रहा था। सेना के जवान घुटनों के बल सुरंग में बैठकर काम कर रहे थे। बड़ी मशीन के उपयोग से कंपन होने के खतरे को भांपते हुए हैंड ड्रिलिंग मशीन और स्टोन ब्रेकर मशीन का उपयोग किया जा रहा था। राहुल के सुरक्षित निकल जाने को लेकर जगह-जगह प्रार्थनाएं भी हो रही थीं।