नई दिल्ली। झारखंड में जेएमएम की लीडरशीप वाली महागठबंधन गवर्नमेंट में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस मिनिस्टर व एमएलए सीएम पर उपेक्षा की आरोप लगा रहे हैं। अब कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर समेत सभी चारों मिनिस्टर्स व कई सीनीयर लीडर्स पांच अप्रैल को दिल्ली तलब किया है।
बताया जाता है कि दिल्ली में पार्टी नेताओं के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ जारी तनाव को लेकर बड़ी चर्चा हो सकती है। कांग्रेस का एक बड़ा तबका सीएम हेमंत सोरेन पर पार्टी को नजरअंदाज करन के आरोप लगा रहे हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, झारखंड कांग्रेस के नेताओं को 5 अप्रैल को दिल्ली बुलाया गया है। इनमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सरकार में पार्टी कोटा के चार मिनिस्टर्स, सभी पूर्व अध्यक्षों और कुछ विंग के अध्यक्षों का नाम शामिल है। पार्टी सोर्सेज ने कहा है कि मीटिंग पार्टी मुख्यालय दिल्ली में मिटिंग हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीएम सोरेन को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और समन्वय समिति के गठन को लेकर सौंपे गये प्रोपोजल पर अभी तक जवाब नहीं मिलने के बाद कांग्रेस ने यह फैसला किया है। यह प्रोपोजल सीएम को सात मार्च को भेजा गया था, लेकिन लगभग एक माह होने के बाद भी उन्होंने जवाब नहीं दिया है।
सोर्सेज का कहना है कि जेएमएम ने कथित रूप से कांग्रेस को हेमंत सोरेन की सरकार से समर्थन वापस लेने की चुनौती दी है। इसके बाद नया विवाद हो गया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस महासचिव सह झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे ने पार्टी एमएलए को निर्देश दिये हैं कि वे सीएम सोरेन से अगले दो महीनों तक मुलाकात न करें।
झारखंड में एमएलए की दलीय संख्या
81 सीटों वाले झारखंड में गठबंधन की सरकार में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के 47 एमएलए हैं। इनमें जेएमएम के विधायकों की संख्या 30, कांग्रेस की 18 व आरजेडी की एक है। गठबंधन की सरकार में कांग्रेस के चार मंत्री शामिल हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब सोरेन को सहयोगी दल की तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ा है। हेल्थ मिनिस्टर बना गुप्ता ने आरोप लगाए थे कि कांग्रेस को दरकिनार किया जा रहा है।