Caste Census: बिहार में सभी धर्मों की जातियों-उपजातियों की होगी गणना:CM नीतीश कुमार
बिहार में जाति आधारित गणना होगी। सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से राज्य में जाति आधारित गणना कराने का फैसला लिया गया। कैबिनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव पास होगा।
- सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सहमति जताई
- कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया जायेगा
- डीएम नोडल अफसर बनाये जायेंगे
- नौ से 10 महीने में जातिगत जनगणना पूरा करने पर सहमति
- सेंट्रल गवर्नमेंट से मांगी जायेगी वित्तीय मदद
- मुसलमानों के भीतर भी जाति गणना से उपजाति का पता चलेगा
पटना। बिहार में जाति आधारित गणना होगी। सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से राज्य में जाति आधारित गणना कराने का फैसला लिया गया। कैबिनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव पास होगा।
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सीएम ने बैठक में शामिल सभी दलों के नेताओं की मौजूदगी में प्रेस कांफ्रेस में कहा कि बिहार में सभी धर्मों की जातियों एवं उपजातियों की गणना कराई जायेगी। ऐसी गणना करने वाला बिहार दूसरा राज्य होगा। इससे पहले कर्नाटक ने कराया था, जिसकी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हुई। सीएम की अध्यक्षता में डेढ़ घंटे भर चली बैठक में विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी नौ दलों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से जाति आधारित गणना कराने की सहमति दी। सुझाव भी दिए। नौ से 10 महीने में गणना का काम पूरा करने पर सहमति बनी। मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोगों ने इसका नाम जाति आधारित गणना दिया है। किसी तरह से कोई मतभेद नहीं है। हम सबने केंद्र से अनुरोध किया था। जब कहा गया कि ऐसी गणना राष्ट्रीय स्तर पर नहीं होगी तो इसे राज्य स्तर पर कराने का फैसला किया गया। आज सभी राज्य इस पर विचार कर रहे हैं। सभी राज्यों में यह हो जाएगा तो राष्ट्रीय स्तर पर अपने आप होने लगेगा।
सरकार करेगी पैसे की व्यवस्था
सीएम ने कहा कि आज की बातचीत के आधार पर बहुत जल्दी कैबिनेट का निर्णय होगा, जिसमें यह भी तय होगा कि पूरा काम तय समय सीमा में हो जाए। गणना कार्य में हर लोगों के बारे में पूरी जानकारी ली जायेगी। राशि का प्रबंध किया जायेगा। विज्ञापन के माध्यम से प्रचारित किया जाएगा ताकि सभी लोग इसके बारे में जान सकें। इस काम लगाये जानेवाले लोगों को ट्रेनिंग दी जायेगी। उन्होंने कहा कि गणना पूरा करने के लिए समय बहुत कम रखा जायेगा। इसके लिए विशेष ट्रेनिंग कराई जायेगी। प्रक्रिया पूरी होने के बाद आंकड़ों को प्रकाशित किया जायेगा, ताकि सबको पता चल सके। जाति के साथ ही सभी संप्रदायों की जातियों और उपजातियों की गणना की जायेगी। मुसलमानों के भीतर भी उपजाति निकल कर आएगी।
सीएम ने कहा कि मुख्य मकसद लोगों को आगे बढ़ाना है। जो पीछे व उपेक्षित हैं, सबका विकास हो। कोई पीछे न रहे इसलिए ठीक ढंग से कराया जायेगा। गणना का जैसे-जैसे काम होता रहेगा, उसका अपडेट सभी पार्टियों को दिया जायेगा। डीएम नोडल अफसर बनाये जायेंगे।
सर्वदलीय बैठक में डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव, एक्स सीएम व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के विधायक दल नेता जीतन राम मांझी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल, आरजेडी एमपी मनोज झा, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, एआइएमआइएम के विधायक दल के नेता अख्तरूल ईमान, भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी व विधायक अजय कुमार, भाकपा के राज्य सचिव राम नरेश पाण्डेय व एमएलए राम रतन सिंह।
सर्वदलीय बैठक की खास बात
बीजेपी का सुझाव-कोई कानूनी पेंच नहीं हो, इसके लिए विशेषज्ञों से ली जाए सलाह
गणना कार्य से पहले सरकार की ओर से व्यापक स्तर पर चलेगा प्रचार अभियान
समाचार पत्रों, इंटरनेट मीडिया व टीवी चैनलों और होर्डिंग आदि से होगा प्रचार
सरकार सभी 38 जिलों में डीएम की निगरानी में कर्मियों को देगी प्रशिक्षण
डोर-टू-डोर गणना कार्य के लिए कर्मचारी होंगे प्रशिक्षित
छठ पर्व तक गणना कार्य शुरू होने की संभावना
ओबीसी कमीशन की तरह हो गणना
बीजेपी प्रसिडेंट संजय जायसवाल ने फेसबुक विस्तार से पोस्ट लिखी। उन्होंने कहा बैठक में भाजपा ने जाति आधारित गणना पर सहमति जताई है। हम केंद्र के बाबा साहब के संविधान प्रदत्त सातवें शिड्यूल के अधिकारों में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने भी कहा कि यह सर्वे या गणना ओबीसी कमीशन या अन्य तरह से होनी चाहिए।
पिछड़ों की हकमारी न कर पायें अगड़े मुस्लिम
उन्होंने लिखा है, भारत सरकार अपनी जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती है। नरेंद्र मोदी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीबों के कल्याण के लिए हैं। हम कभी उसमें जाति आधारित विभेद नहीं करते। उन्होंने लिखा मुख्यमंत्री के सामने तीन आशंकाएं प्रकट की। पहला, जातीय एवं उप-जातीय गणना के कारण कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाए और बाद में वह इसी के आधार पर नागरिकता को आधार ना बनाए। दूसरा, सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हकमारी करते हैं। यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं, वह इस गणना के आड़ में पिछड़े अथवा अति-पिछड़े न बन जाएं। ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं जिसके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है।
सर्वे में न हो 2011 जैसी परेशानी
उन्होंने लिखा कि भारत में सरकारी तौर पर 3747 जाति है और केंद्र सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4.30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है। यह बिहार में भी नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।