देवघर त्रिकुट पहाड़ रोपवे हादसा : PM नरेंद्र मोदी ने रेसक्यू टीम के पन्नालाल व आर्मी जवानों से की बातचीत
पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए झारखंड के देवघर त्रिकुट पहाड़ पर रोपवे हादसा में बचाव कार्यों में शामिल इंडियन एयरफोर्स के, इंडियन आर्मी, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, जिला प्रशासन और नागरिक समाज के कर्मियों के साथ बात की।
- पीएम ने सुनी 48 जान बचाने के लिए चले रेस्क्यू की कहानी
- कहा- इस दुर्घटना और रेस्क्यू मिशन से मिले कई सबक
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए झारखंड के देवघर त्रिकुट पहाड़ पर रोपवे हादसा में बचाव कार्यों में शामिल इंडियन एयरफोर्स के, इंडियन आर्मी, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, जिला प्रशासन और नागरिक समाज के कर्मियों के साथ बात की। पीएम मोदी ने कहा कि आपने तीन दिनों तक 24 घंटे लगकर एक मुश्किल रेस्क्यू आपरेशन को पूरा किया। अनेक देशवासियों की आपने जान बचाई है। पूरे देश ने आपके साहस को सराहा है।
India applauds the heroic efforts of those involved in rescue operation at Deoghar. https://t.co/IYiQhVjI0G
— Narendra Modi (@narendramodi) April 13, 2022
पीएम ने कहा कि मैं इसे बाबा बैद्यनाथ जी की कृपा मानता हूं। हालांकि हमें दुख है कि कुछ साथियों का जीवन हम नहीं बचा पाएं, अनेक साथी घायल भी हुए हैं। पीड़ित परिवारों के साथ हम सभी की पूरी संवेदना है। मैं सभी घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।उन्होंने कहा कि देश को गर्व है कि उसके पास हमारी थल सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ, आइटीबीपी के जवान और पुलिस बल के रूप में ऐसी कुशल फोर्स है, जो देशवासियों को हर संकट से सुरक्षित बाहर निकालने का माद्दा रखती है। इस दुर्घटना और रेस्क्यू मिशन से अनेक सबक हमें भी मिले हैं। आपके अनुभव भविष्य में बहुत काम आने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि मैं आप सभी से बात करने के लिए बहुत उत्सुक हूं, क्योंकि इस आपरेशन से मैं लगातार जुड़ा रहा और हर स्थिति का जायजा लेता रहा था। तीन दिनों के दौरान आपने चौबीसों घंटे काम किया। एक कठिन आपरेशन पूरा किया और कई नागरिकों की जान बचाई। आपके प्रयासों की पूरे देश ने सराहना की है। हालांकि, हमें दुख है कि कुछ लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सभी एजेंसियों ने बहुत कम समय में तालमेल के साथ कम से कम नुकसान के साथ इस आपरेशन को पूरा किया। जब त्रिकूट की पहाड़ी पर इतने सारे यात्री फंसे हुए थे तो पूरे देश की सांसे अधर में लटकी हुई थीं।
वर्दी पर लोगों की होती है बहुत आस्था
पीएम मोदी ने कहा कि वर्दी पर लोगों की बहुत आस्था होती है। संकट में फंसे लोग जब भी आपको देखते हैं, तो उनको विश्वास हो जाता है कि उनकी जान अब सुरक्षित है। उनमें नयी उम्मीद जाग जाती है. उन्होंने कहा कि देश को गर्व है कि उसके पास हमारी थल सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी के जवान और पुलिस बल के रूप में ऐसी कुशल फोर्स है, जो देशवासियों को हर संकट से सुरक्षित बाहर निकालने का माद्दा रखती है।
रेस्क्यू ऑपरेशन का डॉक्यूमेंटेशन करें
पीएम मोदी ने कहा कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन का डॉक्युमेंटेशन करें। इसका केस स्टडी तैयार करें, ताकि भविष्य में अगर कभी ऐसी नौबत आये, तो उससे बेहतर तरीके से निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि इस आपदा ने एक बार फिर ये स्पष्ट कर दिया कि जब भी देश में कोई संकट होता है, तो हम सब मिलकर एक साथ उस संकट से मोर्चा लेते हैं। उस संकट से निकलकर दिखाते हैं। सबके प्रयास ने इस आपदा में भी बहुत बड़ी भूमिका निभायी है।
पन्नालाल ने पीएम को ऑपरेशन के बारे में बताया
रेसक्यू ऑपरेशन में शामिल जवानों ने अपने अनुभव भी पीएम मोदी के साथ शेयर किये। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। पीएम मोदी ने एयरफोर्स के सभी जवानों और अफसरों की प्रशंसा की। बीजेपी के गोड्डा एमपी निशिकांत दुबे के साथ मौजूद पन्नालाल ने बताया कि कैसे घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद वे अपने साथियों के साथ पहुंचे। लोगों को सुरक्षित निकालने का काम शुरू कर दिया। पन्नालाल ने 22 लोगों की जान बचायी थी।
पन्नालाल ने आईटीबीपी के गाइड का काम किया
आईटीबीपी की ओर से पीएम मोदी को बताया गया कि आईटीबीपी के लिए गाइड का काम किया। पन्नालाल ने ही आर्मी जवानों को बताया कि किन ट्रॉलियों में बच्चे हैं। पीएम ने कहा कि मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में धैर्य से काम करते हैं, तो सफलता जरूर मिलती है। आपने जिस धैर्य का परिचय दिया, उसके लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं।
डीसी मंजुनाथ भजंत्री ने बताया- कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन
जिला प्रशासन की ओर से डीसीमंजुनाथ भजंत्री ने कहा कि घटना की सूचना मिलते ही एसडीओ को भेजा। एनडीआरएफ को सूचना दी। इसके बाद एसपी के साथ मैं खुद घटनास्थल पर पहुंचा। घायलों को अस्पताल में भिजवाया। केबल कार के एक्सपर्ट और एनडीआरएफ की टीम के अलावा लोकल लोगों की मदद से समझा कि हवाई मार्ग से ही राहत अभियान चला सकते हैं। पहले दिन सबसे बड़ा चैलेंज था कि लोगों का हौसला कैसे बढ़ाया जाये। हमने केबल कंपनी के कर्मचारियों और एनडीआरएफ की मदद से बिजली और पानी पहुंचाने का इंतजाम किया। जहां तक लोग पहुंच नहीं सकते थे, लोगों से माइक से बात की। स्थिति का आकलन किया और पता किया कि ट्रॉली में 48 लोग हैं। एयरफोर्स के आने से पहले ही हेलीपैड तैयार कर दिया गया था। एनडीआरएफ और इंडियन आर्मी के जवान जब पहुंचे, तो उन्होंने भी कहा कि हवाई मार्ग से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चल सकता है।
उन्होंने बताया कि सुबह-सुबह चार बजे एक कॉल आया। एक व्यक्ति ने कहा कि हमें जल्द निकालिए, क्योंकि सुबह-सुबह मेरे बेटे का बोर्ड एग्जाम है। इससे हम आश्वस्त हुए कि लोगों का हौसला अभी बाकी है। एक और व्यक्ति ने सुबह पांच बजे फोन करके कहा कि आप बार-बार कह रहे हैं कि हेलीकॉप्टर आ रही है। अब तक क्यों नहीं आयी। क्या नौटंकी हो रही है। हमने उन्हें आश्वस्त किया कि हेलीकॉप्टर आ रहा है। उन्हें जल्द सुरक्षित निकाल लिया जायेगा। इसके बाद तमाम एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करने के बाद ऑपरेशन जारी रखा। रात में ड्रोन की मदद से लोगों को भोजन और पानी पहुंचाया गया।
12 ट्रॉली में फंसे थे 48 पर्यटक
देवघर में त्रिकूट पहाड़ियों पर रविवार को रोपवे की ट्रॉलियां टकराने के कारण हुए हादसे के बाद 12 ट्रॉलियों में फंसे 48 पर्यटक 46 घंटे से अधिक समय तक केबल कारों में फंसे थे। इन पर्यटकों को बचाने के लिए भारतीय वायुसेना, सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), एनडीआरएफ और जिला प्रशासन के संयुक्त दलों ने अभियान चलाया था। हादसे में तीन लोगों की मौत हो गयी थी।