धनबाद: किसानों के समर्थन में बीजेपी का वर्चुअल धरना, झारखंड गवर्नमेंट से धान क्रय का बकाया भुगतान करने की मांग
झारखंड प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश व विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के निर्देश पर पूरे झारखंड में भाजपा कार्यकर्ता मंगलवार को अपने-अपने घर पर वचुर्अल धरना दिया। स्टेट के बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के कार्यकर्ता झारखंड की हेमंत सरकार के विरोध में वर्चुअल धरना देकर झारखंड सरकार से धान क्रय का बकाया भुगतान करने की मांग की गयी।
धनबाद। झारखंड प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश व विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के निर्देश पर पूरे झारखंड में भाजपा कार्यकर्ता मंगलवार को अपने-अपने घर पर वचुर्अल धरना दिया। स्टेट के बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के कार्यकर्ता झारखंड की हेमंत सरकार के विरोध में वर्चुअल धरना देकर झारखंड सरकार से धान क्रय का बकाया भुगतान करने की मांग की गयी।
धनबाद में एमपी पीएन सिंह, एमएलए राज सिन्हा, ढुल्लू महतो, अर्पणा सेनगु्प्ता, बीजेपी लीडर रागिनी सिंह समेत अन्य नेताओं ने वचुर्अल धरना देकर झारखंड सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
नवंबर से नहीं मिला बकाया
धरना देकर झारखंड गवर्नमेंट के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बीजेपी नेताओं ने कहा कि पिछले नवंबर महीने में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा था कि हम पूरे झारखंड के प्रत्येक किसानों का धान एमएसपी रेट पर हम लेंगे। पर दुर्भाग्य है कि आठ दिन के अंदर में झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर ऊराव ने इसका जोरदार खंडन किया। आज यह परिस्थिति है कि किसानों का 55 फीसद धान किसानों के दरवाजे पर पड़ा है अब तो दूसरा मानसून भी आ चुका है। इस कोरोना महामारी में किसान क्या करें, कुछ समझ में नहीं आ रहा इसीलिए सरकार के विरोध में धरना दिया गया है।
बीजेपी की मांग
बीजेपी का कहना है कि सरकार किसानों के बकाया राशि का शीघ्र भुगतान करे। सीएम हेमंत सोरेन के आदेश पर नवंबर महीने में धान की खरीद प्रदेश के किसानों से की गई। आठ दिन बाद कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने धान खरीद पर रोक लगा दी। उन्होंने कहा की धान अभी गीले हैं, धान जब सूखेगा तब खरीदा जायेगा। नवंबर माह में खरीदे धान के मूल्य का अभी तक किसानों को भुगतान नहीं किया गया है। कहीं-कहीं किसानों को आधी राशि का भुगतान किया गया है। धान बोने का समय आ गया है, अधिकांश किसान इस आशा और भरोसा में रहे कि शेष धान जो घरों में बचे हैं वो सरकार खरीदेगी लेकिन धान नहीं खरीद होने के कारण या तो किसान औने पौने दाम में धान को बिचौलियों के हाथो में बेच डाला या धान किसानों के घर में सड़ रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में किसानों के बीच विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है और किसान काफी हताश और निराश हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना काफी तेजी से पांव पसार रहा है, किसान पैसे के भाव में इलाज नहीं करा पा रहे हैं। किसान आने वाले समय में धान के बीज की खरीददारी कैसे कर पायेंगे।