धनबाद: गांवों में कोरोना से जंग के लिए प्रखंड टास्क फोर्स गठित, ग्रामीणों को जागरूक करेंगे मुखिया
डीसी उमाशंकर सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के प्रभाव को कम करने, ग्रामीणों को बेहतर उपचार की सुविधा प्रदान करने, हॉटस्पॉट एवं संवेदनशील पंचायत एवं गांव में शत-प्रतिशत लोगों की जांच करने के उद्देश्य से मंगलवार को ऑनलाइन बैठक कर ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण को रोकने की रणनीति पर विस्तृत दिशा-निर्देश दिये।
- 20 मई से सर्वे एवं जांच
- फस्ट फेज में हॉटस्पॉट व संवेदनशील पंचायतों में एसएआरआई तथा रैपिड एंटिजन टेस्ट से जांच
धनबाद। डीसी उमाशंकर सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के प्रभाव को कम करने, ग्रामीणों को बेहतर उपचार की सुविधा प्रदान करने, हॉटस्पॉट एवं संवेदनशील पंचायत एवं गांव में शत-प्रतिशत लोगों की जांच करने के उद्देश्य से मंगलवार को ऑनलाइन बैठक कर ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण को रोकने की रणनीति पर विस्तृत दिशा-निर्देश दिये।
डीसी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लोग कोविड-19 को गंभीरता से नहीं लेते हैं। सर्दी, खांसी, बुखार को वायरल मान रहे हैं। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि बुखार के साथ खांसी, डायरिया, टाइफाइड कोविड के लक्षण हो सकते हैं। अधिकतर ग्रामीण कोविड ट्रीटमेंट कराने के बजाए झोलाछाप डॉक्टर और झाड़-फूंक से इलाज कराते हैं। जब तबीयत अत्यंत खराब होती है और बचना मुश्किल होता है तब अंतिम घड़ी में अस्पताल पहुंचते हैं। जहां लाख प्रयास के बाद भी उनका जीवन बचानेे में चिकित्सकों को असफलता मिलती है।
डीसी ने कहा कि ग्रामीणों के बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए प्रखंड कोविड टास्क फोर्स का गठन किया है। संबंधित प्रखंड के बीडीओ या सीओ प्रखंड कोविड टास्क फोर्स के अध्यक्ष होंगे। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सदस्य सचिव, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, थाना प्रभारी, महिला पर्यवेक्षिका, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक जेएसएलपीएस, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी तथा प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी इसके सदस्य होंगे। उन्होंने कहा पंचायतों एवं गांवों में लोगों को जागरूक करने में मुखिया की अहम भूमिका है। मुखिया ही जन जागरूकता लाकर ग्रामीणों को जांच में सहयोग करने, कोविड के लक्षण को हल्के में नहीं लेने, सही समय पर सही इलाज कराने, संक्रमण को रोकने के अन्य उपायों के बारे में जागरूक कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अध्ययन के बाद चिह्नित हॉटस्पॉट या संवेदनशील पंचायत एवं गांव में प्राथमिकता के आधार पर जांच की जाएगी। जांच के बाद पंचायत एवं प्रखंड स्तर के आइसोलेशन सेंटर में संक्रमित को भेजा जायेगा। गंभीर एवं अत्यंत गंभीर मरीज को आइसोलेशन सेंटर या कोविड अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया जाएगा। इसके साथ ही पंचायत के भीड़भाड़ वाले क्षेत्र, सार्वजनिक स्थल, हाट बाजार, प्रखंड कार्यालय, पंचायत भवन में भी जांच की जायेगी।डीसी ने कहा कि एक पंचायत में दो-दो दल का गठन किया जाएगा। पहला दल संभावित कोविड संक्रमितों की पहचान करेगा। दूसरा दल रैपिड एंटीजन टेस्ट से जांच करेगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दल में शामिल कर्मियों ने कोविड-19 टीका के दोनों डोज लिये हैं। उपायुक्त ने कहा कि प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय में ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड एवं कोविड हेल्थ फैसिलिटी को तैयार किया जाएगा। जहां मरीजों को पौष्टिक आहार, बिजली, पानी, शौचालय, साफ सफाई सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जायेगी। डीसी ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों के शव का निशुल्क अंतिम संस्कार उनके धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार किया जाएगा। मृतक के परिजनों से किसी प्रकार की रकम नहीं ली जायेगी। सारा खर्च जिला प्रशासन वाहन करेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में 20 मई से सर्वे एवं जांच शुरू की जायेगी। प्रथम चरण में हॉटस्पॉट व संवेदनशील पंचायतों में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री इनफेक्शन (एसएआरआई) तथा रैपिड एंटिजन टेस्ट से जांच शुरू की जाएगी। ऑनलाइन बैठक करने से पहले उपायुक्त ने कहा कि वैश्विक महामारी से कोई भी अकेले जंग नहीं जीत सकता। यहां की बड़ी जनसंख्या को बचाने के लिए जनप्रतिनिधियों का सहयोग आवश्यक है। प्रखंडों में बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन तभी संभव है जब वहां के मुखिया और अन्य जनप्रतिनिधि मिलकर काम करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में भले संख्या कम हो लेकिन हमें तैयारी अच्छी करनी है। टीम वर्क के साथ काम करके इस चुनौती पर विजय प्राप्त करनी है। बैठक में उप विकास आयुक्त दशरथ चंद्र दास, सभी बीडीओ, सभी सीओ, एमओआईसी, सीडीपीओ, डीपीएम जेएसएलपीएस, निदेशक डीआरडीए, निदेशक एनईपी, सिविल सर्जन, विभिन्न ग्राम पंचायतों के मुखिया, प्रमुख, डीएसडब्ल्यूओ, डीपीएम व अन्य लोग शामिल थे।
सात प्रखंड में बनेंगे तीस-तीस बेड के आइसोलेशन सेंटर
ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना के बढते संक्रमण पर ब्रेक लगाने, ग्रामीणों के स्वास्थ्य का उचित प्रबंधन करने तथा ग्रामीणों को उनके प्रखंड में बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से डीसी सह अध्यक्ष, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार, धनबाद उमा शंकर सिंह ने सात प्रखंड में तीस-तीस बेड के आइसोलेशन सेंटर बनाने का निर्देश दिया है।इस संबंध में डीसी ने बताया कि टुंडी प्रखंड के ओल्ड बिल्डिंग पीएचसी टुंडी, पूर्वी टुंडी में बीबीएम इंटर कॉलेज, तोपचांची में एपीएचसी गोमो, गोविंदपुर में हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर खरकाबाद, बाघमारा में बीसीसीएल के डुमरा हॉस्पिटल, बलियापुर में झारखंड पब्लिक स्कूल तथा एग्यारकुंड में बीपी नियोगी अस्पताल में आइसोलेशन सेंटर शुरू किया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक आइसोलेशन सेंटर में 10-10 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड होंगे। इसके लिए डीएमएफटी के प्रोजेक्ट मैनेजर सह ऑक्सीजन आपूर्ति के नोडल पदाधिकारी शुभम सिंघल सभी बीडीओ एवं सीओ के साथ समन्वय स्थापित करेंगे।प्रत्येक आइसोलेशन सेंटर में डी टाइप जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर तथा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे।