धनबाद: हार्डकोक इंडस्ट्री बंदी के कगार पर, बेरोजगार हो जायेंगे लगभग एक लाख मजदूर

श की कोयला राजधानी कोयले की कमी के वजह से धनबाद में लगभग एक सौ हार्डकोक उद्योग समेत रिफ्रेक्टरीज, सॉफ्ट कोक एवं अन्य कोयला आधारित इंडस्ट्ट्रीज बंदी के कगार पर है। बीसीसीएल द्वारा यहां के इंडस्ट्रीज के प्रति असहयोगात्मक रवैये के कारण इस तरह के हालात पैदा हुए हैं। यह बातें झारखंड इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड एसोसिएशन (जीटा) के प्रसिडेंट अमितेश सहाय ने सोमवार को होटल वसुंधरा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।

धनबाद: हार्डकोक इंडस्ट्री बंदी के कगार पर, बेरोजगार हो जायेंगे लगभग एक लाख मजदूर
  • कोयले की कमी के कारण हार्डकोक इंडस्ट्री की हालत खराब:अमितेश सहाय
  • बीसीसीएल के असहयोगात्मक रवैये के कारण बंदी के कगार पर हार्डकोक उद्योग : राजीव शर्मा

धनबाद। देश की कोयला राजधानी कोयले की कमी के वजह से धनबाद में लगभग एक सौ हार्डकोक उद्योग समेत रिफ्रेक्टरीज, सॉफ्ट कोक एवं अन्य कोयला आधारित इंडस्ट्ट्रीज बंदी के कगार पर है। बीसीसीएल द्वारा यहां के इंडस्ट्रीज के प्रति असहयोगात्मक रवैये के कारण इस तरह के हालात पैदा हुए हैं। यह बातें झारखंड इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड एसोसिएशन (जीटा) के प्रसिडेंट अमितेश सहाय ने सोमवार को होटल वसुंधरा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। 

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उन्होंने कहा कि कुछ डिपार्टमेंट द्वारा भी इंडस्ट्रजी पर दबाव बनाया जा रहा है। सेंट्रल गवर्नमेंट व स्टेट गवर्नमेंट जल्द ही इस मुद्दे पर गम्भीरता नहीं दिखाती है तो ऐसी स्थिति में उद्योग बंद होने से वे सभी एक लाख मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे जिनकी जीविका इन इंडस्ट्रीज से चल रही है। उक्त बांते झारखंड इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड एसोसिएशन (जीटा) के अध्यक्ष अमितेश सहाय ने होटल वसुंधरा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। अमितेश ने कहा धनबाद कोयलांचल पूरे भारत को रौशन करता है। 1970 के दशक में भरत सरकार एक प्रस्ताव लेकर आयी थी कि जो भी कोयला आधारित उद्योग लगाना चाहते है उन्हें निवेश के आधार पर लिंकेज कोयला आवंटन किया जायेगा। इस प्रस्ताव के बाद सैकड़ो उद्योग लगे। उद्योगों के लगने से स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिलता आया। सरकार ने कुछ समय बाद लिंकेज का नाम बदलकर एफएसए के माध्यम से उद्योगों को कोयला आवंटन करने लगी। पिछले वर्ष सरकार ने उस एफएसए को भी बंद कर दिया। अभी हार्डकोक उद्योग को कोयला आवंटन के लिए कोई भी माध्यम तय नही है। 

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सहाय ने कहा कि पूर्व में व्यवसायियों को बताया गया कि हार्डकोक उद्योग के लिए सरकार ट्रेंज - 5  इसकलुसिव ऑप्शन लेकर आ रही है। व्यवसायी जब इस माध्यम की ओर आगे बढ़े जबतक रजिस्ट्रेशन कराया सरकार ने इसे भी रद्द कर दिया। वर्तमान में हार्डकोक उद्योग चलाने के लिए न ही लिंकेज , एफएसए और न ही कोई तीसरा विकल्प ही तय है। आज हालात ऐसे है कि 15-15 दिनों तक हार्डकोक उद्योग बंद ही रह रहा है। जीटा के महासचिव राजीव शर्मा ने कहा बीसीसीएल प्रबंधन के असहयोगात्मक रवैये के कारण हालात ऐसे है कि उद्योग आज मरनासन की स्थिति में आ चुका है। यह हकमारी है। बीसीसीएल पावर प्लांट को कोयला बेचता है। पावर प्लांट में कोयला जाने के बाद  कोयला का ह्रास भी होता है यह 15 से 25 प्रतिशत तक होता है। हार्डकोक में ऐसा नही होता। हार्डकोक उद्योग बीसीसीएल को एडवांस पैसा देती है बावजूद पूरा कोयला नही दिया जाता।पैसा भी काट लिया जाता है। इस परिस्थिति में आज सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे। ऐसी स्थिति बनने पर निश्चित तौर पर मजदूर सड़क पर उतरेंगे और इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। 
प्रेस कांफ्रेस में सज्जन अग्रवाल , (प्रभु कोक) ,चंदन कुमार (भवानी कोक) समेत कई हार्डकोक भट्टा ऑनर उपस्थित थे।