धनबाद: जानबूझकर जज उत्तम आनंद को मारा गया था ऑटो से धक्का, नशे में नहीं था ड्राइवर, चार्जशीट में CBI का दावा
सीबीआइ ने 77 दिन की जांच के बाद जिला एवं संत्र न्यायाधीश (अष्टम) उत्तम आनंद की मर्डर मामले में कोर्ट में दाखिल 40 पेज की चार्जशीट में सनसनीखेज दावा किया है। चार्जशीट में सीबीआइ ने यह दावा किया है कि आटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा ने मर्डर की नियत से जानबूझकर मार्निंग वाक कर रहे जज को ऑटो से धक्का मारा ताकि उनकी मौत हो जाए।
धनबाद। सीबीआइ ने 77 दिन की जांच के बाद जिला एवं संत्र न्यायाधीश (अष्टम) उत्तम आनंद की मर्डर मामले में कोर्ट में दाखिल 40 पेज की चार्जशीट में सनसनीखेज दावा किया है। चार्जशीट में सीबीआइ ने यह दावा किया है कि आटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा ने मर्डर की नियत से जानबूझकर मार्निंग वाक कर रहे जज को ऑटो से धक्का मारा ताकि उनकी मौत हो जाए।
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सीबीआइ ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में कहा है कि ऑटो पर ड्राइवर लखन का पूरा कंट्रोल था। रोड पर उस समयकोई ट्रैफिक नहीं था, इसलिए आटो को अचानक बायीं ओर मोड़ने का कोई कारण नहीं था। धक्का मारने के बाद भी आटो की स्पीड 23 किलोमीटर प्रति घटे से कम नहीं हुई जो एक साधारण व्यक्ति के स्वभाव के विपरीत है। आरोपी लखन कुमार वर्मा व राहुल कुमार वर्मा के खिलाफ मर्डर व साक्ष्य नष्ट करने का मौखिक व दस्तावेजी सबूत पर्याप्त है. दोनों अपराध के पहले, दौरान, बाद में एक साथ थे. इसलिए लखन व राहुल धारा 302 /201/34 के तहत अपराध के लिए अभियोजन के लिए उत्तरदायी है। अलावा ऑटो रिक्शा जिसका इस्तेमाल क्राइम के लिए किया गया था। ऑटो रिक्शा को घटना के स्थान से हटाने और नष्ट करने के इरादे से गिरिडीह ले जाया गया था।यह मूल्यवान सबूत है।. सबूत नष्ट करने के इस तथ्य की पुष्टि उनके द्वारा जब्त किये गये ऑटो रिक्शा की नंबर प्लेट हटाने और नष्ट करने के कार्य से भी होती है। सीबीआइ ने कहा है कि अपराध की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए इस मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (8) के तहत आगे की जांच जारी
घटना के समय दोनों आरोपित नहीं थे नशे में
सीबीआई ने चार्जशीट में यह भी दावा किया है कि सीएफएसएल नई दिल्ली के केमिकल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट में साफ किया गया है कि लखन वर्मा एवं राहुल वर्मा के खून और मूत्र की रासायनिक जांच निगेटिव थी। यानी घटना के समय दोनों आरोपित नशे में भी नहीं थे। फारेंसिक साइकोलाजी एसेसमेंट और पालीग्राफ टेस्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई कि दोनों इस क्राइम में शामिल थे। चार्जशीट में कहा गया है कि 27 जुलाई को लखन ने आटो को उसके मालिक के घर से निकाला था। राहुल के साथ निकला था। आटो लेकर दोनों पहले बलियापुर गये। जहा उसके नंबर प्लेट को हटा कर फेंक दिया गया। फिर रात को ऑटो लेकर दोनों धनबाद स्टेशन पहुंचे। सीबीआइ ने दोनों आरोपित के खिलाफ सामान्य आशय से टक्कर मारकर जज की मर्डर करने और सबूत मिटाने के आरोप में चार्जशीट दायर की है।
एक दिन पहले से ही साथ थे लखन व राहुल
धक्का मारने के बाद आटो से राहुल वर्मा कुछ कदम आगे हीरापुर हटिया मोड़ पर उतर गया था। वह दूसरे आटो से गोविंदपुर गया। लखन गोविंदपुर में आटो लेकर राहुल के आने का इंतजार कर रहा था। राहुल के आने के बाद दोनों वहां से गिरिडीह गये थे। सीबीआइ ने दावा किया है कि घटना से पूर्व 27 जुलाई की दोपहर से ही दोनों आरोपित एक साथ थे। चार्जशीट के अनुसार राहुल वर्मा एक पेशेवर चोर है। वह पहले भी मोबाइल चोरी के केस में जेल जा चुका है।
169 गवाह और 111 एवीडेंस
सीबीआइ ने चार्जशीट में मृतक जज की पत्नी, एसएनएमएमसीएच की एएनएम, डाक्टर, आटो मालिक, उसकी पत्नी, फारेंसिक एक्सपर्ट, घटना के वक्त रणधीर वर्मा चौक के आसपास मौजूद लोग, विभिन्न मोबाइल कंपनियों के नोडल आफिसर, सड़क निर्माण विभाग के इंजीनियर, पाथरडीह थाना के एएसआइ, सीबीआइ के एसपी, डीएसपी समेत 13 अफसरों के साथ 169 लोगों को गवाह बनाया है।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद घर से सुबह लगभग 5:00 बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे जनरल रोड एक्सीडेंट माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया। सीसीटीवी वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें स्पष्ट दिखा रहा है कि एक ऑटो में बैठे लोग किनारे की तरफ जाकर उत्तम आनंद को धक्का मारा। इसके बाद ऑटो सीधा कर आगे की ओर से निकल गये। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड पुलिस और स्टेट गवर्नमेंट गंभीर हुई। एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गयी थी। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसके बाद सीबीआई नई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 ने चार अगस्त को केस को टेकओवर कर पांच अगस्त से जांच शुरू कर दिया है।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी। सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन अब तक साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ कर मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है।
बगैर हाई कोर्ट की अनुमति मामले में सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल
सीबीआइ दोनों आरोपियों के खिलाफ चाार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआइ ने चार सेट में कुल 10111 विभिन्न तरह के दस्तावेज जिसमें पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआइआर की कापी, सीसीटीवी फुटेज की जब्ती सूची, आटो, बैग, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मोबाइल सीडीआर समेत 111 दस्तावेजों को सबूत के रूप में पेश किया है।