धनबाद : राजेन्द्र सरोवर बोटिंग टेंडर पर बवाल, जिला परिषद ने निगम पर लगाया स्वामित्व हड़पने का आरोप

धनबाद के राजेन्द्र सरोवर में बोटिंग टेंडर को लेकर बड़ा विवाद, जिला परिषद ने नगर निगम पर स्वामित्व विवाद खड़ा किया। डीसी से निष्पक्ष जांच और निगम के कार्यों पर रोक लगाने की मांग।

धनबाद : राजेन्द्र सरोवर बोटिंग टेंडर पर बवाल, जिला परिषद ने निगम पर लगाया स्वामित्व हड़पने का आरोप
डीसी से मिली जिला परिषद अध्यक्ष।
  • जिला परिषद अध्यक्ष ने की डीसी से की हस्तक्षेप की मांग

धनबाद। कोयलांचल के प्रतिष्ठित राजेन्द्र सरोवर (बेकारबांध) को लेकर एक बार फिर विवाद भड़क उठा है। इस बार मामला बोटिंग टेंडर का है। जिला परिषद ने टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताते हुए धनबाद डीसी आदित्य रंजन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

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जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह का आरोप है कि धनबाद नगर निगम ने बिना स्वामित्व के दावा किए राजेन्द्र सरोवर में बोटिंग संचालन का टेंडर आमंत्रित किया है, जो पूरी तरह से अनियमित और गैरकानूनी है।

जिला परिषद अध्यक्ष की आपत्ति

जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह ने उपायुक्त से मुलाकात कर नगर निगम के कदमों पर कड़ी आपत्ति दर्ज की। उन्होंने कहा कि राजेन्द्र सरोवर जिला परिषद धनबाद की संपत्ति है और निगम को केवल सौंदर्यीकरण कार्य के लिए जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। शारदा सिंह ने डीसी से अनुरोध किया कि निगम के बोटिंग टेंडर को तुरंत रद्द किया जाए और इस पर जांच कमिटी गठित की जाए।

क्या है मामला

धनबाद नगर निगम ने 8 नवंबर को राजेन्द्र सरोवर में बोटिंग संचालन के लिए निविदा (टेंडर) आमंत्रित की थी। इसके बाद जिला परिषद ने विरोध दर्ज कराया। परिषद का कहना है कि पहले बोटिंग संचालन जिला परिषद के अधीन था और उसकी आय भी परिषद को होती थी।अब निगम ने एकतरफा तरीके से नया टेंडर निकालकर जिला परिषद के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण किया है। परिषद ने कहा कि वह पहले से ही बोटिंग संचालन की प्रक्रिया शुरू कर चुकी थी।

स्वामित्व को लेकर खींचतान

शारदा सिंह ने कहा कि राजेन्द्र सरोवर को सौंदर्यीकरण कार्य के लिए अस्थायी रूप से नगर निगम को सौंपा गया था, परंतु जीर्णोद्धार के बाद उसे वापस जिला परिषद को हस्तांतरित नहीं किया गया।उनके अनुसार, “राजेन्द्र सरोवर पर पूर्ण स्वामित्व जिला परिषद का है। उससे होने वाली आय परिषद की होनी चाहिए, न कि नगर निगम की।”

डीसी का रुख

मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसी आदित्य रंजन ने जिला परिषद और नगर निगम के प्रतिनिधियों के साथ त्रिपक्षीय बैठक बुलाने की बात कही है। बैठक 15 नवंबर के बाद आयोजित की जाएगी, जिसमें स्वामित्व और संचालन अधिकार से जुड़ी सभी बातें स्पष्ट की जाएंगी।

स्थानीय स्तर पर चर्चा गर्म

राजेन्द्र सरोवर को लेकर स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों के बीच भी चर्चा तेज है। एक ओर नगर निगम दावा कर रहा है कि सरोवर के विकास और बोटिंग संचालन से आमदनी बढ़ेगी, वहीं जिला परिषद का कहना है कि यह स्वामित्व अधिकार का उल्लंघन है। नगर निगम और जिला परिषद के बीच इस खींचतान से बोटिंग संचालन की योजना अधर में लटक गई है।

निष्कर्ष
धनबाद का राजेन्द्र सरोवर अब सिर्फ एक झील नहीं, बल्कि विवाद का केंद्र बन गया है। आने वाले दिनों में जिला परिषद, नगर निगम और डीसी की बैठक से तय होगा कि आखिर इस झील पर किसका अधिकार रहेगा और बोटिंग संचालन कौन करेगा।