धनबाद: बंद पड़ी KMCEL होगी सेल, Reserve price 110.50 करोड़, हाइकोर्ट के ऑफिसियल लिक्विडेटर ने जारी किया नोटिफिकेशन
26 साल से बंद पड़ी कुमारधुबी मेटल कास्टिंग एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (KMCEL) सेल होगी। कंपनी की सभी चल-अचल संपति की सेल की जायेगी। झारखंड हाई कोर्ट के ऑफिसियल लिक्विडेटर प्रह्लाद मीणा के साइन से इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दी गयी है।
- 1995 से बंद है कुमारधुबी मेटल कास्टिंग एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड
धनबाद। 26 साल से बंद पड़ी कुमारधुबी मेटल कास्टिंग एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (KMCEL) सेल होगी। कंपनी की सभी चल-अचल संपति की सेल की जायेगी। झारखंड हाई कोर्ट के ऑफिसियल लिक्विडेटर प्रह्लाद मीणा के साइन से इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दी गयी है। न्यूज पेपर्स में नोटिफिकेशन प्रकाशित करायी गयी है।
कोर्ट के आदेशानुसार कंपनी का आरक्षित मूल्य 110.50 करोड़ रुपया रखा गया है। कंपनी में 1995 से प्रोडक्शन बंद है। KMCEL फैक्ट्री और उसके आस-पास कंपनी की 165 एकड़ 13 डिसमिल जमीन है। इसमें लगभग 38-40 एकड़ में फैक्ट्री है। इसमें संयंत्र, मशीनरी, स्क्रैप आदि भी है। शेष जमीन पर स्टाफ क्वार्टर व अफसरों का बंगला है।नोटिफिकेशन अनुसार इच्छुक खरीदार वर्ष 2021 की 11 जनवरी से 13 जनवरी तक कंपनी की संपत्ति का निरीक्षण कर सकते हैं। 14 जनवरी से 22 जनवरी तक ऑफिस टाइम में टेंडर पेपर ले सकते हैं। 22 जनवरी तक टेंडर जमा किया जा सकता है। 29 जनवरी को हाई कोर्ट के समक्ष टेंडर खोला जायेगा।
KEW से हुआ KMCEL
पहले कंपनी का नाम KMCEL था। KMCEL में इरिक्शन एंड फेब्रिकेशन व रोलिंग मिल का काम होता था। नेशनल लेवल पर कंपनी की पहचान थी। वर्ष 1979 में KMCEL बंद हो गयी। सेंट्रल गवर्नमेंट ने वर्ष 1983 में नियम में संशोधन करते हुए टेकओवर कर इसे चलाने के लिए बिहार गवर्नमेंट को दे दिया। बिहार गवर्नमेंट ने टाटा स्टील के साथ पार्टनरशीप में वर्ष 1984 में कंपनी को KMCEL बनाकर चालू किया। 51 परसेंट शेयर बीएसआइडीसी व 49 परसेंट टाटा स्टील शेयर मिला। मैनेजमेंट टाटा स्टील का रहा। सात साल यानी वर्ष 1990 तक कंपनी में प्रोडक्शन होता रहा। KMCEL बनने बाद रोलिंग मिल चला जिसमें टीएमटी सहित अन्य सामान बनती थी।
टाटा स्टील द्वारा अपना शेयर बढ़ाने के सवाल पर स्टेट गवर्नमेंट के साथ विवाद के बाद कंपनी की स्थिति बिगड़ने लगी। वर्ष 1992 में कंपनी बीआइएफआर में चली गयी। BIFR ने सुनवाई के बाद कंपनी को चलने लायक नहीं। वर्ष 1995 दिसंबर में कंपनी बंद हो गयी। कंपनी पर बैंक ऑफ इंडिया का करोड़ों रुपये लोन है।