धनबाद: होमगार्ड बहाली में गड़बड़ी के आरोपी अफसरों पर होगी FIR, कंपनी कमांडर और कमांडेंट की भी संलिप्तता
होमगार्ड बहाली में जिले में वर्ष 2017 में हुए गड़बड़झाला मामले में तत्कालीन होमगार्ड कमांडेंट आदेश प्रसाद मेहता, कंपनी कमांडर कृष्ण मुरारी पांडे और गौरव कुमार पर डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग व FIR दर्ज करने की अनुशंसा की गई है।
- रुरल एसपी की जांच में अफसरों की संलिप्ता की पुष्टि
- 1035 पदों पर होनी थी होमगार्ड जवानों की बहाली
- 735 अभ्यर्थियों का वर्ष 2018 में हुआ था सलेक्शन
धनबाद। होमगार्ड बहाली में जिले में वर्ष 2017 में हुए गड़बड़झाला मामले में तत्कालीन होमगार्ड कमांडेंट आदेश प्रसाद मेहता, कंपनी कमांडर कृष्ण मुरारी पांडे और गौरव कुमार पर डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग व FIR दर्ज करने की अनुशंसा की गई है।
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बहाली प्रक्रिया में गड़बड़ी उजागर होने के बाद जांच की जिम्मेवारी तत्कालीन रुरल एसपी को सौंपी गई थी। एसपी ने इस संबंध में जांच के उपरांत डिटेल रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी है। एसएसपी ने डीसी को रिपोर्ट भेज है। डीसी ने होमगार्ड हेडक्वार्टर को जांच प्रतिवेदन सौंपते हुए तत्कालीन कमाडेंट समेत दो कंपनी कमांडर के खिलाफ डिपार्टमेंटल और एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की है।
कार्रवाई के नाम पर फोटोग्राफर और गृहरक्षक पर एफआईआर
अब मामले में कार्रवाई के नाम पर प्रक्रिया की सीडी गायब करने के आरोप में फोटोग्राफर अमरजीत प्रसाद व एक होमगार्ड के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। प्रारंभिक जांच के दौरान ही एक होमगार्ड धर्मेंद्र सिंह को पैसे लेने के आरोप में जेल भेजा जा चुका है। गड़बडी में संलिप्त आरोपी जिनमें तत्कालीन होमगार्ड कमांडेंट आदेश प्रसाद मेहता रिटायर हो चुके हैं। कंपनी कमांडर और गौरव कुमार रांची हेडक्वार्टर में ही तैनात हैं। कृष्णमुरारी पांडे की दुमका जिले में ड्यूटी ऑफिसर पद पर है। विस्तृत जांच रिपोर्ट आने और डीसी की अनुशंसा के बाद भी अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
कैंडिडेट्स का भविष्य अधर में
चार वर्षों से होमगार्ड कैंडिडेट्स का भविष्य अधर में है, वहीं दूसरी तरफजांच और कार्रवाई कछुए की चाल चल रही है। मामला वर्ष 2017 में हुई होमगार्ड बहाली का है। वर्ष 2017 में 1035 पदों के लिए बहालीनिकाली गई थी। 2018 में 735 कैंडिडेट्स सलेक्शन हुआ था। राज्य केअन्य जिलों से चयनित जवानों को ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया लेकिन धनबाद के जवान ट्रेनिंग के लिए पिछले चार वर्षों से बांट जोह रहे हैं। जिला से लेकर स्टेट हेडक्वार्टर तक कैंडिडेट्स ने आंदोलन किया नतीजा सिर्फ उन्हें आश्वासन ही मिला।
होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के प्रसिडेंट रवि मुखर्जी का कहना है कि निचले तबके के जवानों और फोटोग्राफर पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई पूरी कर ली गई जबकि अफसरों पर अनुशंसा के बाद भी न तो डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग हुई न एफआईआर दर्ज की गई। इसके विपरित मुख्यालय में रह कर जांच को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में नवचयनित होमगार्ड जवानों को न्याय कहां से मिलेगा। कैंडिडेट्स चार वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। सभी चयनित जवान गरीबपरिवार से आते हैं। केस लड़ने के लिए मुश्किल से चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। हमारे जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया है। हमारी मनोस्थिति को समझने वाला कोई नहीं है। दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए और चयनित कैंडिडेट्स का भविष्य सुनश्चित किया जाए।