- मेडिसिन के बाद हड्डी रोग विभाग को मिला पीजी
- नेशनल मेडिकल कमिशन ने दी हरी झंडी
धनबाद। शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) को पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) पाठ्यक्रम चलाने की मान्यता मिल गई है। इसके साथ ही 10 वर्षों का इंतजार खत्म हो गया है। नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने कॉलेज मैनेजमेंट को मेडिसिन विभाग के लिए छह सीटों व हड्डी रोग विभाग के लिए तीन सीटों पर पीजी पढ़ाई की अनुमति दी है।
मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएट के लिए छह सीटों को मान्यता
सूचना मिलने के बाद कॉलेज में खुशी की लहर दौड़ गई। पिछले 10 वर्षों से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए कॉलेज प्रबंधन कोशिश कर रहा था। पिछले दिनों मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएट के लिए छह सीटों की मान्यता दी गई। अब हड्डी रोग विभाग के लिए तीन सीटों के लिए पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए अनुमति दी गई है।
नौ विषयों पर होगी अब पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर ज्योति रंजन प्रसाद ने बताया कि यह हर्ष का विषय है। उन्होंने बताया कि कुल नौ सीटों पर अब पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में और अन्य विषय में भी पढ़ाई की अनुमति मिल पाएगी। ज्ञात होगी वर्ष 2013-14 से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट की ओर से कोशिश हो रही थी। हर बार निरीक्षण होने के बावजूद मान्यता नहीं मिल पा रही थी।
वहीं, अभी तक सर्जरी और स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के लिए अंतिम निर्णय नहीं आया है। जबकि, बायोकेमेस्ट्री और पैथोलाजी के लिए कमिशन ने मनाही कर दी है। यह दोनों ही विभाग मान्यता के पैमाने पर खरे नहीं उतरे हैं। पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए मेडिकल कॉलेज वर्ष 2013-14 से कोशिश करता आया है। लेकिन कभी भी मान्यता नहीं मिल पाई। पोस्ट ग्रेजुएट की यह पढ़ाई 2024-25 सेशन से ही शुरू हो जायेगी। इस वर्ष सात विषयों (मेडिसिन, सर्जरी, हड्डी रोग, गायनी, पैथोलाजी, बायोकेमिस्ट्री, एनेस्थेसिया) के पीजी के लिए आवेदन किया था।
2017 से 40 करोड़ का भवन बनकर तैयार
पीजी की पढ़ाई के लिए कॉलेज परिसर में 40 करोड़ रुपये की लागत से पीजी ब्लॉक और छात्रावास का निर्माण कराया गया। यह भवन भी पांच वर्षों से बनकर तैयार है। हालांकि, अभी एक ही विषय में पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई की अनुमति मिल पाई है, प्रबंधन कुछ और विषयों में उम्मीद लगाए बैठा है।
पीजी से होगा फायदा
पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई शुरू होने से धनबाद में ही विशेषज्ञ चिकित्सक तैयार होने लगेंगे। रिम्स रांची और एमजीएम जमशेदपुर की तरह धनबाद भी पीजी की पढ़ाई की लिस्ट में आ गया है। पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई करने के बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों को स्वास्थ्य केंद्रों अथवा मेडिकल कॉलेज में सेवा देने का मौका मिलेगा।इसका सीधा फायदा आम मरीजों को मिल पायेगा। एमबीबीएस पढ़ाई के बाद दो वर्ष के लिए पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई करनी होती है। इसमें डॉक्टर विशेषज्ञता हासिल करते हैं।
2017 में 12 लाख रुपये खर्च, टीम पहुंची, मान्यता नहीं मिली
कॉलेज मैनेजमेंट ने 14 अप्रैल 2017 को छह विषयों (फार्माकोलाजी, पैथोलाजी, पीएसएम, सर्जरी, गायनी व एनेस्थेसिया) के लिए एनएमसी को 12 लाख रुपये फीस दी थी। यहां पर एनएमसी की टीम ने डॉ. विवेक व डॉ. सुजीत को निरीक्षण के लिए भेजा। परंतु, पीजी बिल्डिंग, पीजी छात्रावास नहीं बना था, शिक्षकों की संख्या कम थी, इन कारणों की वजह से तब मान्यता नहीं मिल पाई थी। ऐसे में यह फीस बेकार चली गई।2014 में शुरू हुआ आवेदन, 32 लाख रुपये पानी में बहे वर्ष 2014 में एसएनएमएमसीएच प्रबंधन ने बिना पर्याप्त संसाधन व तैयारी के ही पीजी के लिए आवेदन कर दिया था। 16 विषयों के लिए आवेदन में एनएमसी को लगभग 32 लाख रुपये फीस दिए गए थे। निरीक्षण के बाद एमसीआई ने कुछ न कुछ कमी पाई थी, इस कारण मान्यता नहीं मिली। ऐसे में प्रबंधन के 32 लाख रुपये की फीस एक बार फिर निरर्थक रही।