कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का 18 फरवरी को रेल रोको अभियान, टोल फ्री और कैंडल मार्च का भी ऐलान
सेंट्रल गवर्नमेंट के तीनों नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने 18 फरवरी को रेल रोको अभियान चलाने की घोषणा की है।
- देशभर में 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक रेल रोको अभियान चलेगा
नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट के तीनों नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने 18 फरवरी को रेल रोको अभियान चलाने की घोषणा की है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को एलान किया है कि 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक पूरे देश में रेल रोको अभियान चलेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली की बोडर्स पर पिछले 77 दिनों से किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर इससे पहले पहले किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड और छह फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम किया था। इस महीने के शुरू में उन्होंने तीन घंटे के लिए चक्का जाम किया था।
14 फरवरी को पुलवामा हमले की बरसी पर कैंडल मार्च
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि 12 फरवरी से राजस्थान के सभी टोल प्लाजा किसान फ्री करायेंगे। टोल संग्रह नहीं करने दिया जायेगासंयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. दर्शन पाल ने बुधवार की शाम नये कार्यक्रमों का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बताया कि किसानों द्वारा 12 फरवरी से राजस्थान के सभी रोड के टोल प्लाजा को टोल फ्री कर दिया जायेगा। 14 फरवरी को देशभर में कैंडल मार्च, 'माशाल जुलूस' और अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। कैंडल मार्च के माध्यम से पुलवामा हमले में शहीद सैनिकों के बलिदान को याद किया जायेगा। वहीं, 16 फरवरी को किसान सर छोटूराम की जयंती पर देश भर में किसान सॉलिडैरिटी शो करेंगें।
उल्लेखनीय है कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। सेंट्रल गवर्नमेंट इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नये कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जायेंगे।