गढ़वा: दागी इंस्पेक्टर को थानेदारी, पुलिस लाइन की भी जिम्मेवारी, एसपी की है मेहरबानी !
झारखंड में अपने कारनामों के लिए चर्चा में रहनेवाला गढ़वा जिला पुलिस का एक इंस्पेक्टर फिर चर्चा में है। गादी इंस्पेक्टर कोर्ट, पुलिस हेडक्वार्टर व डीआईजी पर भारी पड़ रहा है। एसपी की मेहरबानी इस दागी इंस्पेक्टर पर बनी हुई है।
- पुलिस मैनुअल की धज्जी उड़ा रहे हैं बीजेपी लीडर का करीबी इंस्पेक्टर
- सस्पेंशन से मुक्त होने के बाद भी दुबारा दी गयी उसी थाना की थानेदारी
रांची। झारखंड में अपने कारनामों के लिए चर्चा में रहनेवाला गढ़वा जिला पुलिस का एक इंस्पेक्टर फिर चर्चा में है। गादी इंस्पेक्टर कोर्ट, पुलिस हेडक्वार्टर व डीआईजी पर भारी पड़ रहा है। एसपी की मेहरबानी इस दागी इंस्पेक्टर पर बनी हुई है।
आरोप है कि झारखंड के एक बड़े बीजेपी के लीडर का करीबी दागी इंस्पेक्टर करोड़पति है। पुलिस हेडक्वार्टर ने प्रशासनिक आधार पर उसे ग्रेड वन जिला से नक्सल बेल्ट गढ़वा जिला में भेजा है। आरोप है कि गढ़वा एसपी का दागी इंस्पेक्टर पर विशेष मेहरबानी है। थाना से लेकर पुलिस ऑफिस व पुलिस लाइन तक की जि्ममेवारी दागी इंस्पेक्टर को दे दी गयी है। हाई कोर्ट के आदेश पर ज्यूडशियल अफसर पर एफआइआर करने वाले इस दागी इंस्पेक्टर को डीआईजी ने सस्पेंड किया था। सस्पेंड से मुक्त होने के बाद इंस्पेक्टर को फिर जिले के उसी थाना की थानेदारी सौंप दी गयी। जब तक इंस्पेक्टर सस्पेंड था थानेदार की कुर्सी खाली थी।
होम डिपार्टमेंट ने दिये जांच के आदेश
गढ़वा पुलिस स्टेट में बिना जांच के ही एक कंपलेन पर न्यायाकि अफसर के खिलाफ कांड संख्या 135/2021 दर्ज की गयी थी। । आठ अप्रैल को दर्ज किये गये इस मामले की जांच करने 2018 बैच का दारोगा गढ़वा समाहरणालय में संबंधित न्यायिक पदाधिकारी से पूछताछ करने पहुंच गये। इसके बाद तो हड़कंप मच गया। हाइकोर्ट के कई जस्टिस गढ़वा पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज हो गये। इसके बाद डीआईजी ने आनन-फानन में गढ़वा थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर को स्सपेंड कर दिया। एसपी ने दो माह बाद फिर उसी इंस्पेक्टर को गढ़वा का थाना प्रभारी बन दिया। मामले में होम डिपार्टमेंट ने अपने पत्रांक 1151 के जरिये जांच के आदेश दिये। मामला ज्यूडिशियल अफसर से जुड़ा है लिहाजा इस प्रकरण पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। नियम यह कहता है कि अगर किसी न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी पर आरोप लगे तो उसकी जांच की अनुमति हाइकोर्ट से लेनी होती है और एफआइआर की अनुमति भी। इस मामले में गढ़वा पुलिस ने कुछ नहीं किया। अब जब गृह विभाग के आदेश पर जांच शुरू कर दी गयी है।पुलिसिया जांच बंद हो गयी है। वहीं, संबंधित ज्यूडिशिल अफसर का ट्रांसफर भी हो गया है।
गढ़वा पुलिस स्टेशन का अधिकांश एफआइआर स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल को
गढ़वा में स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल मतलब ही पलट दिया गया है। सामान्य मामले भी सीधे स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल भेजे जा रहे हैं। कई थाना के प्रभारी तो सीधे एफआइआर दर्ज कर स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल को भेज दे रहे हैं। यह नियम विरुद्ध है। इससे पुलिसकर्मियों में इ रोष है। हर जिला में स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल के गठन के उद्देश्य के पीछे मंशा यह थी कि अनसुलझे बड़े मामले की गुत्थी इकाई सुलझायेगी।गढ़वा जिला में पुलिस सिस्टम बेपटरी हो गया है। गढ़वा जिला के अधिकांश पुलिस स्टेशन में दर्ज होने वाले बड़े मामलों का इन्विस्टीगेशन पुलिस स्टेशन के अफसर नहीं करते। इसे स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल इकाई को भेज दिया जाता है। गढ़वा की स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल खुद पंगु है। पुलिस स्टेशन में पुलिसकर्मियों की भारी भरकम फौज तैनात है। जो क्रिमिनलों को नहीं पकड़ पाती अब क्रिमिनलों को पकड़ने की जिम्मेदारी को छह माह पहले गठित स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल को दी गयी है। इस तरह की व्यवस्था गढ़वा में है, जो अनोखी है।
छह माह में 60 से अधिक केस भेजा स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल को
स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल पर ताबड़तोड़ केस लादे जा रहे हैं। 27 अप्रैल को एसपी ने 26 मामला अनुसंधान के लिए स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल को भेजा। इसमें से 18 मामला गढ़वा पुलिस स्टेशन का है। वे सारे मामले भेजे गये, जिसे थाना में पदस्थापित पुलिसकर्मियों की फौज नहीं सुलझा सकी।गढ़वा के एसपी के साइन से 30 अप्रैल को एक आदेश निकला है। इसमें एक साथ 20 मामले स्पेशल इन्विस्टीगेशन सेल को भेज दिया गया है। अब इस सेल पुलिसकर्मी माथा पीट रहे हैं।जेएमएम के जिलाध्यक्ष को धमकी की जांच भी इकाई को गढ़वा जिला में झामुमो के अध्यक्ष तनवीर आलम हैं। फेसबुक पर उन्हें जान से मारने की धमकी मिली है। इस मामले की जांच की जवाबदेही भी इकाई को दी गयी है।