Haryana: नायब सैनी बने हरियाणा के सीएम, पांच मंत्रियों ने शपथ ली

हरियाणा में मनोहर लाल के सीएम पद पर अपने मंत्रिमंडल के साथ इस्तीफा देने के बाद कुरुक्षेत्र से बीजेपी एमपी नायब सिंह सैनी हरियाणा के 11वें सीएम बन गये हैं। सैनी ने मंगलवार शाम चंडीगढ़ स्थित राजभवन में सीएम पद की शपथ ली। शपथ से पहले उन्होंने मंच पर एक्स सीएम मनोहर लाल खट्टर के पैर छुए। सैनी के बाद कंवर पाल, मूलचंद शर्मा, जय प्रकाश दलाल, डॉ. बनवारी लालव निर्दलीय रणजीत सिंह चौटाला ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

Haryana: नायब सैनी बने हरियाणा के सीएम, पांच मंत्रियों ने शपथ ली
खट्टर गये सैनी को मिली हरियाणा की कमान।
  • नहीं बना कोई डिप्टी सीएम

चंडीगढ़। हरियाणा में मनोहर लाल के सीएम पद पर अपने मंत्रिमंडल के साथ इस्तीफा देने के बाद कुरुक्षेत्र से बीजेपी एमपी नायब सिंह सैनी हरियाणा के 11वें सीएम बन गये हैं। सैनी ने मंगलवार शाम चंडीगढ़ स्थित राजभवन में सीएम पद की शपथ ली। शपथ से पहले उन्होंने मंच पर एक्स सीएम मनोहर लाल खट्टर के पैर छुए।
सैनी के बाद कंवर पाल, मूलचंद शर्मा, जय प्रकाश दलाल, डॉ. बनवारी लालव निर्दलीय रणजीत सिंह चौटाला ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

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हरियाणा विधानसभा का गणित
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 41 बीजेपी, 30 सीटें कांग्रेस, 10 सीटें इंडियन नेशनल लोकदल, एक हरियाणा लोकहित पार्टी और छह निर्दलीय हैं। सात निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। हरियाणा में बहुमत आंकड़ा 46 हैं। ऐसे भाजपा बहुमत के आंकड़े को आसानी से छू सकती है।हरियाणा में बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी। उस चुनाव में बीजेपी को 41 जबकि जेजेपी को 10 सीटें मिली थी। हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। लोकसभा चुनाव के बाद अक्टूबर-नवंबर में यहां विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
बीजेपी एमपी हैं सैनी
ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखनेवाले नायब सैनी अंबाला के रहने वाले हैं। वर्ष 2019 में वो कुरुक्षेत्र सीट से सांसद बने। वो हरियाणा बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। बीजेपी और जजपा का लगभग साढ़े चार साल पुराना अलायंस टूट गया है।
अंबाला में जन्मे थे सैनी

नये सीएम नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से एमपी हैं। वह ओबीसी वर्ग से ताल्लुकात रखते हैं। नायब सिंह को खट्टर का खास समझा जाता है। नायब सैनी 25 जनवरी 1970 को अंबाला के गांव मिर्जापुर माजरा में सैनी परिवार में जन्मे थे। उन्होंने बीए और एलएलबी किया हुआ है। सैनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं। सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं। उन्हें संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। बीजेपी के साथ उन्होंने अपना राजनीतिक सफर भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी के रूप में साल 1996 से शुरू किया और साथ मिलकर साल 2000 तक काम किया।  इसके बाद साल 2002 में युवा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी (BJP) अंबाला से वह जिला महामंत्री रहे। वह साल 2005 में युवा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष पद पर रहे। नायब सिंह 2009 में भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा हरियाणा के प्रदेश महामंत्री के पर पर आसीन रहे। 2012 में भारतीय जनता पार्टी से वह जिलाध्यक्ष रहे। 2014 मे नायब नारायण गढ़ विधानसभा से विधायक बने और फिर 2015 में हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री रहे। वह साल 2019 में कुरुक्षेत्र सांसद रहे। वह हरियाणा में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पद पर आसीन हैं। अब हरियाणा के नए सीएम बने हैं।


सीएम नायब सैनी को छह महीने में ही देना पड़ेगा इस्तीफा!
कुरुक्षेत्र से लोकसभा MP नायब सिंह सैनी हरियाणा के सीएम बन गये हैं लेकिन विधानसभा के सदस्य नहीं है।इसलिए वह बगैर विधायक बने अधिकतम आगामी 11 सितंबर 2024 यानी छह महीने तक सीएम पद पर रह सकते हैं। भारत देश के संविधान के अनुच्छेद 164(4) में स्पष्ट उल्लेख है कि कोई मंत्री (मुख्यमंत्री) जो निरंतर 6 माह की किसी अवधि तक राज्य के विधान-मंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा।

 चार माह पूर्व तीन नवंबर 2023 को मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा के कार्यकाल के चार साल पूरे हो गये थे। चार नवंबर 2019 को प्रदेश की विधानसभा का पहला अधिवेशन (सत्र) बुलाया गया था। संविधान के अनुच्छेद 172 के अनुसार, प्रत्येक राज्य की प्रत्येक विधानसभा, यदि पहले ही विघटित (भंग) नहीं कर दी जाती है तो अपने प्रथम सत्र के लिए नियत तिथि से पांच साल तक बनी रहेगी और पांच साल की उक्त अवधि की समाप्ति के साथ ही वह विधानसभा भंग होगी।
मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल इस वर्ष तीन नवंबर 2024 तक है, हालांकि इसे समय से पहले ही भंग किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए सीएम की अध्यक्षता में प्रदेश कैबिनेट (मंत्रिमंडल) निर्णय लेने के लिए सक्षम है जिस पर राज्यपाल की स्वीकृति से विधानसभा नियत पांच वर्ष की समय अवधि से पहले ही भंग हो जाती है।
इन कारणों पर नहीं कराया जाता उपचुनाव
तीन नवंबर 2023 के बाद यानी वर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा के चार साल के कार्यकाल के पूरा होने के बाद, यदि कोई विधानसभा सीट किसी मौजूदा विधायक की निधन, त्यागपत्र या उसकी अयोग्यता के कारण खाली हो जाती है एवं रिक्त घोषित कर दी जाती है तो भारतीय चुनाव आयोग द्वारा उस रिक्त विधानसभा सीट पर कोई उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है। क्योंकि 3 नवंबर 2023 की तारीख से उस ऐसे पूर्ववर्ती विधायक का शेष बचा कार्यकाल एक वर्ष से कम समय का होगा एवं लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 151(ए) के अंतर्गत ऐसी रिक्त सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव नहीं कराया जाता है जिस पर पूर्ववर्ती विधायक का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम होता है।

विधानसभा सीट पर कराया जा सकता उपचुनाव
अगर विधानसभा के कार्यकाल के अंतिम वर्ष की अवधि दौरान किसी ऐसे व्यक्ति को प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री नियुक्त किया जाता है, जैसे आज नायब सैनी को हरियाणा का सीएम बनाया गया है, जो मौजूदा हरियाणा विधानसभा के सदस्य नहीं है तो उस परिस्थिति में विधिवत रूप से रिक्त हुई किसी विधानसभा सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराया जा सकता है।
वर्ष 1986 में बंसीलाल ने जीता था उपचुनाव
वर्ष 1986 का उदाहरण दिया जब हरियाणा में सीएमबने बंसी लाल ने तत्कालीन हरियाणा विधानसभा की एक वर्ष से कम अवधि शेष होने बावजूद भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा हलके से उपचुनाव जीता था। आज की तारीख में हरियाणा प्रदेश की वर्तमान 14 वीं विधानसभा में कोई सीट रिक्त नहीं है, इसलिए अगले छह माह में तभी उपचुनाव कराया जा सकता है जबकि कोई मौजूदा विधायक सीट से त्यागपत्र दे, जिसकी संभावना बहुत ही कम है।
बहरहाल, ऐसी परिस्थिति में अर्थात अगले छह माह अर्थात 11 सितम्बर 2024 से पूर्व नायब सिंह सैनी एमएलए नहीं बन सकते हैं। तो उन्हें समय रहते मौजूदा 14 वी हरियाणा विधानसभा को निर्धारित समय से पूर्व अर्थात तीन नवम्बर 2024 से पहले भंग कराना होगा जिससे विधानसभा के अगले आम चुनाव कराये जा सकें।