Jharkhand : CCL की चंद्रगुप्त प्रोजेक्ट की 417 एकड़ वन भूमि का रिकॉर्ड गायब

सीसीएल की चंद्रगुप्त ओसीपी कोल प्रोजेक्ट के जमीन अधिग्रहण को लेकर 417 एकड़ वन भूमि का रिकॉर्ड गायब कर दिया गया है। जमीन आवंटन में दस्तावेजों में भारी छेड़छाड़ की गयी है। इसकी कंपलेन स्टेट के डीजीपी समेत सेंट्रल गवर्नमेंट व झारखंड गवर्नमेंट से की गयी है।

Jharkhand : CCL की चंद्रगुप्त प्रोजेक्ट की 417 एकड़ वन भूमि का रिकॉर्ड गायब
दरभंगा ङाउस (फाइल फोटो)।

रांची। सीसीएल की चंद्रगुप्त ओसीपी कोल प्रोजेक्ट के जमीन अधिग्रहण को लेकर 417 एकड़ वन भूमि का रिकॉर्ड गायब कर दिया गया है। जमीन आवंटन में दस्तावेजों में भारी छेड़छाड़ की गयी है। इसकी कंपलेन स्टेट के डीजीपी समेत सेंट्रल गवर्नमेंट व झारखंड गवर्नमेंट से की गयी है।
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जानकारी के अनुसार उक्त मामले की कंपलेन मिलने के बाद डीजीपी ने सीआईडी को जांच जिम्मा दे दिया है। यह कंपलेन हजारीबाग के बड़कागांव निवासी मंटू सोनी के द्वारा की गयी है। उल्लेखनीय है कि हजारीबाग और चतरा जिला में सीसीएल के चन्द्रगुप्त ओसीपी कोल ब्लॉक प्रोजेक्ट आवंटित की गयी है। इसमें हजारीबाग जिला अन्तर्गत केरेडारी अंचल के मौजा पचड़ा चट्टी बरियातु बुकरू सिजुआ और जोरदाग अंतर्गत भूमि का अधिग्रहण किया गया है। जिसके लिये सरकारी कर्मियों (जिला प्रशासन और वन विभाग), सीसीएल के अफसरों से मिलीभगत कर षड़यंत्र के तहत लगभग 417 एकड़ वन भूमि का दस्तावेज गायब कर अवैध रूप से सरकार से वन भूमि को आवंटित करा कर बतौर एमडीओ (खनन डेवलपर और संचालन) खनन कार्य करने के लिये हैदराबाद की सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग लिमिटेड कंपनी को दिया गया है। जिसके लिये सीओ केरेडारी राजस्व अभिलेखागार, जिला अभिलेखागार से इस 417 एकड़ भूमि का रेकर्ड गायब किया गया है, जिसका उल्लेख डीसी हजारीबाग के कार्यालय ज्ञापांक-2350/10 दिनांक-25जून 2022 के माध्यम से प्रपत्र-1 (प्रमाण पत्र) के अन्तर्गत निर्गत प्रमाण में में किया गया है।
कंपलेन नहीं दर्ज करायी गयी
417 एकड़ भूमि के दस्तावेज के गायब होने के संबंध में सीओ ऑफिस केरेडारी, राजस्व अभिलेखागार, जिला अभिलेखागार और डीसी कार्यालय द्वारा किसी प्रकार से रेकर्ड के गायब होने के संदर्भ में एफआइआर, सनहा या अंतरिक जांच का उल्लेख अपने पत्र में नही किया गया है। बावजूद बिना जांच/कार्रवाई किये ही डीसी ऑफिस से प्रपत्र-1 के अन्तर्गत प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। यह भी बात सामने आई है कि वन विभाग के कार्यालय से भी 417 भूमि से संबंधित जानकारी प्राप्त करने और कागजातों की छान-बीन के संबंध में कोई पत्राचार नही किया गया। जब कि प्रपत्र 1 प्रमाण पत्र डीसी कार्यालय से जारी होने के बाद जब वन विभाग को प्राप्त होने पर वन विभाग द्वारा भी बिना जांच पड़ताल किये भारत सरकार को भूमि आवंटित करने के लिए अनुशंसा कर के भेज दिया गया। जिसके बाद भारत सरकार ने इस भूमि को अधिग्रहण के लिये विमुक्त कर दिया गया। जिसके बाद सीसीएल के द्वारा सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग लिमिटेड कंपनी को माइनिंग कार्य करने के लिये आवंटित करा कर दे दिया गया।
लेटर पैड पर ना तो लेटर नंबर और ना ही अंकित है डेट
कंपलेन में कहा गया है कि वर्ष 2021 में सीओ केरेडारी, मनोज कुमार (चीफ मैनेजर माइनिंग,) चन्द्रगुप्त ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट और संजीव कुमार (मैनेजर) ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट सीसीएल, चन्द्रगुप्त के द्वारा उक्त प्रश्नगत भूमि अधिग्रहण से संबंधित एक सूचि तैयार किया गया। जिसमें पूर्व में डीसी द्वारा जो प्रपत्र 1 प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है। जिसमे भूमि का रेकर्ड उपलब्ध नही होने की बात का उल्लेख था, उससे संबंधित खाता प्लॉट के विवरण में छेड़-छाड़ कर दस्तावेज को तीनो के द्वारा तैयार किया गया। उस दस्तावेज में उसी भूमि में छेड़- छाड़ की गयी है, जिसमें डीसी के द्वारा भूमि का विवरण उपलब्ध नही होने का उल्लेख किया गया है।  यह भी उल्लेखनीय है कि प्रपत्र ॥ बचनबद्धता पत्र जो कि मनोज कुमार (मुख्य प्रबंधक माइनिंग) चन्द्रगुप्त ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट आम्रपाली चन्द्रगुप्त क्षेत्र सीसीएल के द्वारा सीसीएल के लेटर पैड पर जारी किया गया, जिसमें ना तो लेटर नंबर और ना ही डेट अंकित है। प्रोजेक्ट प्रस्ताव संख्या और वर्ष का स्थान भी खाली है। जिससे स्पष्ट होता है कि उस परियोजना में अवैध रूप से भूमि आवंटन करने के लिए बड़े पैमाने पर पदों का दुरूपयोग करते हुये पड्यंत्र के तहत दस्तावेजो का छेड़छाड़ कर भूमि आवंटित कराया गया है।
फर्जी दस्तावेज बना मुआवजा लेने की तैयारी
कंपलेन में कहा गया है कि सभी कृत्यों को करने के पीछे मंशा यह भी है, कि एक तरफ 417 एकड़ भूमि का रिकर्ड गायब कर के उसके आड़ में उक्त भूमि का फर्जी दस्तावेज बना कर मुआवजा ले लिया गया है या ले लेने की योजना तैयार की गयी है। इस फर्जी दस्तावेज को तैयार करने के पीछे बहुत बड़े आर्थिक लाभ की पृष्ठ भूमि तैयार की गयी है, जिसको इस बात से समझा जा सकता है कि अगर कंपनी के द्वारा उस परियोजना में प्रति एकड़ 25 लाख रूपया मुआवजा तय किया जाता है तो 417 एकड़ से गणना की जाये तो अरबों रूपयों का घोटाला होने की पृष्ठ भूमि तैयार कर ली गयी है। 417 भूमि जो फर्जी तरीके से रेकर्ड गायब कर विभागीय स्वीकृति प्राप्त की गयी है का उपयोग सीधे सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग लिमिटेड कंपनी माईनिंग कार्य करने वाली है।