Jharkhand: शराब घोटाले में आरोपी योगेंद्र तिवारी को बड़ी राहत, हाई कोर्ट ने एक साथ खारिज किए 12 केस
शराब घोटाले में ईडी की कार्रवाई के बाद जेल में बंद बिजनमसैन योगेंद्र तिवारी को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। लाइसेंसी शराब दुकानों में गड़बड़ी की कंपलेन के बाद एक ही दिन योगेंद्र समेत अन्य के खिलाफ जो 12 मामले दर्ज हुए थे, वे सभी एक ही साथ खारिज कर दिये गये हैं। यह 12 केस अब खत्म हो गये हैं।
- लाइसेंसी शराब दुकानों में गड़बड़ी के खिलाफ दर्ज किये गये थे 12 केस
रांची। शराब घोटाले में ईडी की कार्रवाई के बाद जेल में बंद बिजनमसैन योगेंद्र तिवारी को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। लाइसेंसी शराब दुकानों में गड़बड़ी की कंपलेन के बाद एक ही दिन योगेंद्र समेत अन्य के खिलाफ जो 12 मामले दर्ज हुए थे, वे सभी एक ही साथ खारिज कर दिये गये हैं। यह 12 केस अब खत्म हो गये हैं।
यह भी पढ़ें:Jharkhand: सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप, योगेंद्र साव और अंबा प्रसाद पर FIR दर्ज
योगेंद्र तिवारी के खिलाफ जामताड़ा के खूंटीडीह, नारायणपुर, नाला, करमाटांड़, बिंदापत्थर, फतेहपुर, बाधदेहरी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज हुआ था। केस में पुलिस चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद लोकल कोर्ट ने मामले में संज्ञान लिया था। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। पूरे मामले में स्टेट गवर्नमेंट ने संज्ञान लेने को गलत बताने के मामले में कोई गंभीर आपत्ति दर्ज नहीं करायी। ऐसे में सभी मामलों में हाईकोर्ट ने पूर्व में लिये गये संज्ञान को गलत व गैरकानूनी बताते हुए खारिज कर दिया। अब योगेंद्र तिवारी समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ यह केस खत्म हो गया।
ईडी ने मनी लाउंड्रिंग की जांच में 12 केस को भी बनाया था आधार
ईडी ने मनी लाउंड्रिंग की जांच के दौरान उक्त सभी 12 केस को भी अपना आधार बनाया था। इन कांडों को भी ईडी ने ईसीआईआर का हिस्सा बनाया था।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पूरे मामले मेंआईपीसी के तहत कोई आरोप नहीं बनता। जब्त शराब भी नकली या मिलावटी नहीं थी। ऐसे में यह 420 का मामला नहीं। पुलिस कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकार भी नहीं थी। ऐसे में मामले में संज्ञान को हाईकोर्ट ने गलत माना।
जिस ग्राउंड पर मिली राहत
स्टेट गवर्नमेंट के हलफनामे में बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को देशी-विदेशी शराब बेचने का लाइसेंस 2021-22 के लिए दिया गया था। लाइसेंस की अवधि एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 की थी। वर्ष 2021- 22 के लिए रिन्यूअल होना था। बाद में गवर्नमेंट ने बताया कि पुलिस को यह अधिकार नहीं था कि वह रेड कर शराब जब्त कर सके। यह अधिकार उत्पाद विभाग व उसके सक्षम प्राधिकार के पास है। पुलिस ने चार्जशीट में बिहार एक्साइज एक्ट की धारा 47 ए लगायी थी। हाईकोर्ट को यह बताया गया कि शराब दुकानों में स्टॉक अधिक था, लेकिन यह बिहार एक्साइज एक्ट का मामला नहीं बनता।
यह था पूरा मामला
जामताड़ा डीसी के मौखिक आदेश पर 15 जुलाई 2020 को कुंडाहित बीडीओ ने पुलिस टीम के साथ योगेंद्र तिवारी समेत अन्य की दुकानों पर रेड की थी। रेड में पाया था कि शराब दुकानों के लाइसेंस 31 मार्च 2020 को ही एक्सपायर हो चुके हैं। गवर्नमेंट की तरफ से 12 केस दर्ज कराये गये। याचिकाकर्ताओं ने पुलिस की चार्जशीट व कोर्ट संज्ञान को गलत बताया था। बाद में जब्त शराब याचिकाकर्ताओं को ही रिलीज कर दी गई थी। शराब में मिलावट नहीं मिली थी। केमिकल एग्जामिनेशन भी नहीं कराया गया।
ईडी ने शराब घोटाला मामले में योगेंद्र तिवारी 19 अक्तूबर को किया था अरेस्ट
ईडी ने शराब घोटाला मामले में बिजनसमैन योगेंद्र तिवारी 19 अक्तूबर को अरेस्ट किया था। 20 अक्तूबर को ईडी कोर्ट में उसे पेश किया गया। ईडी ने गिरफ्तारी के बाद उससे रिमांड पर लेकर 14 दिनों तक पूछताछ की थी। इसके बाद तीन नवंबर को जेल भेज दिया गया था। योगेंद्र पर पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश के सहयोग से 19 जिलों मेंशराब के थोक व्यापार, फर्जी दस्तावेज के आधार पर शराब के टेंडर लेनेऔर करोड़ों रुपये अर्जित करनेका आरोप है। कोयला व बालू से की गई अवैध कमाई के पैसे को शराब के कारोबार में निवेश करने का भी आरोप है।
योगेंद्र की कस्टडी 11 दिन बढ़ी, अब पेशी दो दिसंबर को
शराब घोटाला मामले में जेल में बंद योगेंद्र तिवारी की हिरासत अवधि कोर्ट ने 11 दिनों तक बढ़ा दी है। ईडी के स्पेशल जज पीके शर्मा की कोर्ट में मंगलवार को उसे जेल से पेश किया गया। कोर्ट नेअगली पेशी की तारीख दो दिसंबर निर्धारित की है। वह विगत 20 अक्तूबर से न्यायिक हिरासत में है।