- साइंटिस्ट गुंजन कुमार भी सम्मानित किये गये
नई दिल्ली। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता और साइंटिस्ट गुंजन कुमार को सेंट्रल होम मिनिस्टर अमित शाह ने सम्मानित किया है। प्रतिबिंब ऐप के जरिये साइबर क्रिमिनलों पर कंट्रोल करने के लिए ये पुरस्कार दिया गया है।
प्रतिबिंब एप लॉन्च होने के बाद से ही ये पुलिस का साइबर क्रिमिनलों के खिलाफ कार्रवाई का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। साइबर क्रिमिनलों को ट्रैक करने के लिए सीआइडी डीजी अनुराग गुप्ता ने प्रतिबिंब ऐप तैयार कराया था।
प्रतिबिंब ऐप से फ्रॉड केस भी हो रहा खुलासा
प्रतिबिंब ऐप के लॉन्च होने के बाद न सिर्फ झारखंड के साइबर क्रिमिनलों पकड़े जा रहे हैं बल्कि दूसरे स्टेट के साइबर फ्रॉड भी खुलासा हो रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कुछ माह पूर्व गिरिडीह से साइबर क्रिमिनलों का पकड़ा जाना है। उस समय जांच के दौरान खुलासा हुआ था कि साइबर क्रिमिनलों ने रांची में रहने वाले बंगाल कैडर के एक आइएएस अफसरों से ठगी की घटना को अंजाम दिया था। साइबर क्रिमिनलों को ट्रैक करने में इस ऐप की सुविधा दूसरे स्टेट की पुलिस को भी दी जा रही है।
ऐसे काम करता है प्रतिबिंब ऐप
झारखंड सीआईडी द्वारा लॉन्च प्रतिबिंब ऐप देश में हो रहे साइबर क्राइम के उपयोग में आने वाले मोबाइल नंबरों की मैपिंग करता है। अगर किसी भी मोबाइल नंबर को इस ऐप में डाला जाए तो उसका लोकेशन ऐप में दिखाई देने लगेगा. जिससे पुलिस आसानी से क्रिमिनलों के काम करने के एरिया का पता लगा सकती है।
ऐसे पता चलता है साइबर क्राइम में उपयोग हो रहे फोन नंबरों का
प्रतिबिंब ऐप को लॉन्च करने वाले उस वक्त सीआईडी डीजी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया था कि सभी स्टेट की पुलिस को जिन जिन नंबरों के खिलाफ कंपलेन मिलती है। उन सभी की जानकारी आईफॉरसी को दी जाती है। झारखंड पुलिस इन नंबर को आईफॉरसी से लेकर एक डेटा बेस तैयार करती है। इसके बाद जिन नंबरों का इस्तेमाल झारखंड में हो रहा है उन नंबरों को इकठ्ठा कर संबंधित जिलों के एसपी और सर्विस प्रोवाइडर को दिया जाता है, ताकी इन नंबरों का उपयोग फिर से न हो सकें। समय रहते उन क्रिमिनलों पर लगाम लगाया जा सके।