झारखंड: आय से अधिक संपत्ति MLA बंधु तिर्की को तीन साल की सजा, तीन लाख रुपये जुर्माना

सीबीआई के स्पेशल जज पीके शर्मा की कोर्ट ने छह लाख रुपये आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के माममे में एक्स मिनिस्टर सह मांडर एमएलए बंधु तिर्की को दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने एमएलए पर तीन लाख जुर्माना भी लगाया है।

झारखंड: आय से अधिक संपत्ति MLA बंधु तिर्की को तीन साल की सजा, तीन लाख रुपये जुर्माना
  • रांची CBI कोर्ट का फैसला
  • जायेगी विधायकी

रांची। सीबीआई के स्पेशल जज पीके शर्मा की कोर्ट ने छह लाख रुपये आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के माममे में एक्स मिनिस्टर सह मांडर एमएलए बंधु तिर्की को दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने एमएलए पर तीन लाख जुर्माना भी लगाया है।

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जुर्माना नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा होगी। कोर्ट  द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद बंधु तिर्की की विधायकी की भी खतरे में पड़ गई है। कानून के अनुसार दो साल से अधिक की सजा पर उनकी विधायकी समाप्त हो जायेगी। हालांकि, बंधु तिर्की को कोर्ट से ही बेल मिल गयी है। 

बंधु तिर्की पर यह है आरोप

बंधु तिर्की पर आय से छह लाख 28 हजार 698 रुपये अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का आरोप है। उक्त मामले में सीबीआई टीम ने उन्हें बनहौरा स्थित आवास से 12 दिसंबर 2018 को अरेस्ट किया था। लगभग 40 दिन जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट ने बेल की सुविधा प्रदान की थी। सीबीआइ ने बंधु तिर्की के खिलाफ कोड़ा कांड में सीबीआई ने एक अगस्त 2010 को (आरसी-5 ए/ 2010) एफआइआर दर्ज किया था। सीबीआई जांच में पता चला है कि बंधु तिर्की ने मांडर का विधायक रहते हुए मार्च 2005 से जून 2009 तक छह लाख 28 हजार 698 रुपये आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी।कोर्ट में 16 जनवरी 2019 को आरोप गठित किया गया था। मामले में सीबीआई की ओर से सीबीआई एसपी सह मामले के जांच अधिकारी पीके पाणिग्रही एवं रांची के तत्कालीन डीसी राजीव अरुण एक्का समेत 21 गवाही दर्ज कराई गई है। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पांच गवाही दर्ज कराई गई थी। 
क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट ने किया था रद्द

सीबीआई दिल्ली ने बंधु तिर्की के मामले में जांच की और मई 2013 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। इसमें कहा गया था कि तिर्की के पास आय से अधिक संपत्ति पाई गई है लेकिन संपत्ति इतनी कम है कि सीबीआई इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के पक्ष में नहीं हैं। सीबीआई के स्पेशल जज ने क्लोजर रिपोर्ट की समीक्षा के बाद सीबीआई के इस पक्ष को अमान्य करार दिया था। कोर्ट ने कहा आरोपी के पास आमदनी के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक राशि है। जो ट्रायल चलाने लायक है।