झारखंड: लालू यादव को 14 साल की सजा, फिर बेल कैसी?, सीबीआइ ने अपने तरकस से छोड़े नये तीर
हार के एक्स सीएम व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला मामले में बाल की राह आसान नहीं दिख रही जितनी दो माह की बाकी सजा पूरी करने के बाद माना जा रहा था। सीबीआइ ने अपने तरकस से नये तीर छोड़े हैं जिससे कानूनी पेंच फंस सकता है। लालू को बेल के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
रांची। बिहार के एक्स सीएम व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला मामले में बाल की राह आसान नहीं दिख रही जितनी दो माह की बाकी सजा पूरी करने के बाद माना जा रहा था। सीबीआइ ने अपने तरकस से नये तीर छोड़े हैं जिससे कानूनी पेंच फंस सकता है। लालू को बेल के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। इस मामले में उनकी बेल पिटीशन पर अब सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।
सीबीआई की ओर से जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने सुनवाई के दौरान की अदालत समय की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अब इस मामले में सीबीआई को कुछ कहने की जरूरत नहीं है। हमने पिछली सुनवाई के दौरान ही ऐसी आशंका व्यक्त की थी, जो आज सच साबित हुई। पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अपनी बहस पूरी कर ली थी इसके बाद फिर से समय मांगा जाना सही नहीं है।कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर सीबीआई को लालू प्रसाद की बेल पिटीशन पर जवाब दाखिल करना ही था तो उनके पास जवाब दाखिल करने के लिए बहुत समय था, लेकिन उन्होंने जवाब दाखिल नहीं किया। उन्होंने सीबीआई पर जानबूझकर मामले को लटकाए रखने का आरोप लगाया।
सीबीआइ एडवोकेट ने कहा कि वे लालू प्रसाद यादव की ओर से जमानत के लिए दाखिल की गई जमानत याचिका पर कुछ और कहना चाहते हैं इसलिए कोर्ट उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए समय दे। इसके पहले लालू यादव के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने बताया था कि हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव की आधी सजा पूरी होने में एक माह 17 कम होने से 19 फरवरी को बेल पिटीशन खारिज कर दी थी। बचाव पक्ष की ओर से कहा गया है कि चारा घोटाला के दुमका कोषागार मामले में सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट से मिली सात साल की सजा की आधी अवधि उन्होंने जेल में बिता ली है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें बेलदी जानी चाहिए। हालांकि, लोअर कोर्ट ने लालू यादव को इस मामले में दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल, कुल 14 साल की सजा सुनाई जानी है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी। एक सजा पूरी होने के बाद दूसरी सजा चालू हो जायेंगी।
सीबीआइ ने कोर्ट के इस आदेश को अब लालू की जमानत के खिलाफ ब्रह्मास्त्र के रूप में उपयोग किया है। हालांकि सीबीआइ ने समय मांगने के आरोपों को झूठलाते हुए लालू प्रसाद यादव की बेल पिटीशन कोर्ट की ओर से दिए गए तीन दिन के निर्धारित समय से इतर सेम डेट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। सीबीआइ ने इससे पहले ही झारखंड हाई कोर्ट के उस फैसले पर आपत्ति की है, जिसमें लालू प्रसाद यादव को दी गई सात-सात साल, कुल 14 साल की दोहरी सजा के बदले सिर्फ सात साल की सजा मानकर उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई की जा रही है।
सीबीआइ का कहना है कि सीबीआइ की विशेष अदालत, रांची ने चारा घोटाले के दुमका कोषागार से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को दो अगल- अलग धाराओं में सात- सात साल की सजा दो बार सुनाई है।कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि लालू यादव के लिए दोनों सजाएं एक के बाद एक करके चलाई जानी हैं। ऐसे में लालू प्रसाद यादव को कुल 14 साल की सजा कोर्ट से मिली है। जिसकी आधी सजा सात साल होती है। वर्तमान हालात में लालू प्रसाद यादव की आधी सजा पूरी नहीं हो पा रही है, लिहाजा लालू की बेल पिटीशन की सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।
उल्लेखनीय है कि लालू प्रसाद यादव अभी दिल्ली के एम्स में अपना इलाज करा रहे हैं। वे किडनी, हर्ट, ब्लड प्रेशर, शूगर सहित 12 गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं। उन्हें रांची के रिम्स से दो माह पहले सीरियस कंडीशन में एयर एंबुलेंस से दिल्ली भेजा गया था।