Jharkhand Liquor Scam: शराब की बोतलों पर MRP से अधिक वसूली, अंशु को प्रत्येक माह नीरज वसूलकर देता रहा 50 लाख

झारखंड में बड़े राज्यों के शराब माफिया, सरकारी अधिकारियों और एक शक्तिशाली सिंडिकेट की मिलीभगत से शराब घोटाला किया है। घोटाले से स्टेट के खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया।एसीबी इस घोटाले की परतें खोल दी हैं, जिसमें प्लेसमेंट एजेंसी के एक प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को भी अरेस्ट किया गया है।नीरज पर आरोप है कि वह शराब-बीयर की हर बोतल पर अधिकतम मूल्य (एमआरपी) से अधिक की होने वाली अवैध वसूली का पैसा ऊपर तक पहुंचाने का काम करता था।

Jharkhand Liquor Scam: शराब की बोतलों पर MRP से अधिक वसूली, अंशु को प्रत्येक माह नीरज वसूलकर देता रहा 50 लाख
झारखंड शराब घोटाला में हो रहे नए खुलासे। 

अवैध वसूली, शराब माफिया और अफसरों की मिलीभगत का हो रहा खुलासा
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव का करीबी रिश्तेदार बताया जाता है अंशु
रांची। झारखंड में बड़े राज्यों के शराब माफिया, सरकारी अधिकारियों और एक शक्तिशाली सिंडिकेट की मिलीभगत से शराब घोटाला किया है। घोटाले से स्टेट के खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया।एसीबी इस घोटाले की परतें खोल दी हैं, जिसमें प्लेसमेंट एजेंसी के एक प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को भी अरेस्ट किया गया है।नीरज पर आरोप है कि वह शराब-बीयर की हर बोतल पर अधिकतम मूल्य (एमआरपी) से अधिक की होने वाली अवैध वसूली का पैसा ऊपर तक पहुंचाने का काम करता था।
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जुटायी गयी राशि की वसूली का प्रमुख किरदार अंशु नामक युवक है, जो उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव मनोज कुमार का करीबी संबंधी (साला) बताया जा रहा है। अंशु को हर माह नीरज के जरिए 50 लाख रुपये पहुंचाता रहा। अवैध वसूली की कमाई से उसके रहने का तौर-तरीका बदल चुका है। कभी दो टू व्हीलर पर घूमने वाला अंशु अब कीमती गाड़ियों का उपयोग करता है।
एसीबी की जांच में सामने आया है कि यह शराब सिंडिकेट शराब की अधिकतम खुदरा कीमत से अधिक वसूली को संरक्षण दे रहा था। इस सिंडिकेट में झारखंड के साथ-साथ अन्य राज्यों के शराब माफिया भी शामिल हैं, जो संगठित रूप से अवैध कारोबार चला रहे थे।नीरज कुमार सिंह इस नेटवर्क का केवल एक छोटा हिस्सा है, जिसका काम वसूली का पैसा अंशु जैसे प्रभावशाली लोगों तक पहुंचाना था। अंशु को इस सिंडिकेट का बॉस माना जा रहा है, जिसके बिना कोई बड़ा निर्णय नहीं होता।विभाग के प्रमुख का संबंधी होने के कारण कोई उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। एसीबी अब इस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने की तैयारी में है और इस क्रम में जल्द ही और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
खास बीयर कंपनी को पहुंचाया अनुचित लाभ
इस घोटाले का एक अन्य पहलू एक खास बीयर कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने का है। जांच से पता चला है कि इस कंपनी की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए अन्य बीयर आपूर्तिकर्ताओं को रोका गया और इसकी बिक्री को 10 पेटी से 50 हजार पेटी तक बढ़ा दिया गया।इसमें शराब सिंडिकेट के प्रशांत नामक व्यक्ति की अहम भूमिका रही। प्रशांत उक्त बीयर कंपनी से संबद्ध है, जिसके सरकारी अधिकारियों से गहरे संबंध हैं। बदले में इस बीयर कंपनी ने अधिकारियों को खूब लाभ पहुंचाया।इस बीयर की गुणवत्ता को लेकर भी कई शिकायतें थीं, लेकिन शराब दुकानदारों ने सिंडिकेट के दबाव में इसे बढ़ावा देना जारी रखा।जांच  में यह भी खुलासा हुआ कि जांच की जद में आ चुके एक अधिकारी ने इस बीयर कंपनी को स्थापित करने में मदद की थी, जिससे इस घोटाले में प्रशासनिक संलिप्तता की गहरी परतें उजागर हुई हैं।
जांच में मिली कई जानकारी, एसीबी की कार्रवाई का बढ़ेगा दायरा
एसीबी की कार्रवाई में अब तक पांच लोग गिअरेस्ट किये जा चुके हैं।  इनमें सीनीयर आइएएस अफसर विनय कुमार चौबे, संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह, झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के पूर्व जीएम सुधीर कुमार, वर्तमान जीएम सुधीर कुमार दास और नीरज कुमार सिंह शामिल हैं। इन पर फर्जी बैंक गारंटी और टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं के जरिए सरकारी राजस्व को नुकसान का आरोप है।
एसीबी की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि प्लेसमेंट एजेंसियों मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विसेज और विजन हॉस्पिटैलिटी ने फर्जी बैंक गारंटी जमा कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया।इन एजेंसियों को शराब दुकानों के लिए मैनपावर आपूर्ति का ठेका दिया गया था, लेकिन इनके द्वारा जमा गारंटी राशि की वसूली के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे यह साजिश और गहरी हो गयी।शराब के अधिकतम मूल्य से ज्यादा की वसूली के सिंडिकेट की परत खुलने से एसीबी जांच का दायरा और बढ़ेगा और इसकी जद में सिंडिकेट के सदस्य और उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारी-कर्मी आयेंगे।