Jharkhand: डीजीपी के मुद्दे पर राजनीति गरमायी, बाबूलाल मरांडी और विनोद पांडेय में वार-पलटवार
झारखंड में डीजीपी के मुद्दे पर जेएमएम और मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी में तीखे बयानों का दौर तल रहा है। विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन का नाम लेकर उन पर हमला बोला, झामुमो प्रवक्ता विनोद पांडेय ने पलटवार किया।विनोद पांडेय ने कहा कि बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति में प्रासंगिकता बचाने के लिए सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।

रांची। झारखंड में डीजीपी के मुद्दे पर जेएमएम और मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी में तीखे बयानों का दौर तल रहा है। विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन का नाम लेकर उन पर हमला बोला, झामुमो प्रवक्ता विनोद पांडेय ने पलटवार किया। विनोद पांडेय ने कहा कि बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति में प्रासंगिकता बचाने के लिए सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।
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निर्लज्जता की भी एक हद होती है, पर @HemantSorenJMM सरकार ने तो उसे भी पार कर दिया है। झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहाँ बीते दस दिनों से डीजीपी का पद खाली है और जो ‘डीजीपी’ जैसे काम कर भी रहा है, वो बिना वेतन के सेवा दे रहा है! वाह मुख्यमंत्री जी, ये तो नया भारत निर्माण…
— Babulal Marandi (@yourBabulal) May 11, 2025
झारखंड देश का पहला राज्य, जहां डीजीपी का पद 10 दिन से खाली: बाबूलाल मरांडी
विपक्ष कते नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां 10 दिन से डीजीपी का पद खाली है। उन्होंने कहा, ‘जो ‘डीजीपी’ के पद पर काम कर रहा है, वह बिना वेतन के सेवा दे रहा है! वाह मुख्यमंत्री जी, ये तो नया भारत निर्माण है – बिना वेतन, बिना संवैधानिक वैधता, सिर्फ भ्रष्टाचार के दम पर प्रशासन!’
अब क्यों न एक नयी नीति ही बना दी जाए?: बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि धनबाद, हज़ारीबाग, रामगढ़, बोकारो जैसे कोयला वाले ‘कमाऊ’ इलाकों समेत और बाकी के खनिज इलाकों में भी ‘बिना वेतन, केवल कमीशन आधारित सेवा’ के लिए ‘रिटायर्ड और अनुभवी’ लोगों से आवेदन मंगवाइये।’ उन्होंने कहा कि जो काम डीजीपी साहब कर रहे हैं, वही मॉडल लागू कीजिए, जहां वेतन की जगह ‘वसूली’ हो और संविधान की जगह ‘किचन कैबिनेट’ के आदेश मान्य हों।
हेमंत सोरेन खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मान बैठे हैं: मरांडी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि झारखंड सरकार ने न केवल संविधान के अनुच्छेद 312 को नकारा है, जो UPSC को अधिकार देता है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह केस के निर्देशों को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। हेमंत सोरेन अब शायद खुद को सर्वोच्च न्यायालय से भी ऊपर मान बैठे हैं और प्रशासन को नीचे, बहुत नीचे गिरा दिया है।
हेमंत जी, आपने तो क्रांतिकारी प्रयोग कर डाला: बाबूलाल
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आज झारखंड वहां पहुंच चुका है, जहां JPSC की हर कुर्सी बिक रही है। UPSC से चयनित अधिकारियों को भी ‘रेट लिस्ट’ से होकर गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘हेमंत जी, आपने तो एक क्रांतिकारी प्रयोग कर डाला – ‘योग्यता नहीं, सुविधा शुल्क आधारित प्रशासन’ नयी परंपरा प्रशासनिक ढांचे के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। भाजपा नेता ने कहा, ‘जो परंपरा आपने शुरू की है, वो न सिर्फ सरकारी व्यवस्था की विश्वसनीयता का अंतिम संस्कार कर रही है, बल्कि आने वाले वर्षों में झारखंड के प्रशासनिक ढांचे के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी।’
प्रेस बयान :
— Vinod Kumar Pandey (@VinodPandeyJMM) May 11, 2025
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बाबूलाल मरांडी जी अब झारखंड की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बचाने के लिए बेबुनियाद आरोपों का सहारा ले रहे हैं। डीजीपी पद पर नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर सवाल उठाने से पहले उन्हें अपनी पार्टी के अंदर झांककर देख लेना चाहिए।
◆ झारखंड… pic.twitter.com/xV6XJYFR8r
बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं बाबूलाल: विनोद पांडेय
बाबूलाल मरांडी के बयान पर झामुमो नेता विनोद पांडेय ने कहा है कि बाबूलाल मरांडी अब झारखंड की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बचाने के लिए सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीजीपी के मुद्दे पर हेमंत सोरेन सरकार पर सवाल उठाने से पहले उन्हें अपनी पार्टी के अंदर झांककर देख लेना चाहिए। झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि झारखंड में आज जिन मुद्दों पर बाबूलाल मरांडी शोर मचा रहे हैं, वे उन्हीं के शासनकाल की देन हैं। तब के भ्रष्टाचार और नौकरशाही के खेल ने ही आज प्रशासनिक व्यवस्था को इस स्थिति में ला खड़ा किया है। झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि यह बयान हास्यास्पद है. उन्होंने कहा, ‘क्या बाबूलाल जी खुद को इतना हताश और भ्रमित मान चुके हैं कि अब बिना किसी आधार के ऐसी बातें कह रहे हैं? अगर उनके पास कोई ठोस प्रमाण है, तो सामने लाएं.।वरना, झूठ बोलकर जनता को गुमराह करना बंद करें।’
‘मरांडी जी बतायें, अपने शासनकाल में कितनी बार किया सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन?’
विनोद पांडेय ने कहा कि संविधान और सुप्रीम कोर्ट का हवाला देने से पहले मरांडी जी ये भी बताएं कि उन्होंने अपने शासनकाल में कितनी बार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया था।बाबूलाल मरांडी ने कितने संवैधानिक पदों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया था, उसका जवाब दें।