Jharkhand : सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की बीजेपी MP निशिकांत दूबे की वाइफ के खिलाफ दायर SLP जनवरी में होगी अगली सुनवाई
बीजेपी के गोड्डा एमपी निशिकांत दुबे की वाइफ अनामिका गौतम द्वारा देवघर में भूमि खरीद मामले में झारखंड सरकार की ओर से दायर SLP को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। स्टेट गवर्नमेंट की ओर दाखिल SLP पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट की याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले की सुनवाई करेगी।
- देवघर में भूमि खरीद से जुड़ा है मामला
नई दिल्ली। बीजेपी के गोड्डा एमपी निशिकांत दुबे की वाइफ अनामिका गौतम द्वारा देवघर में भूमि खरीद मामले में झारखंड सरकार की ओर से दायर SLP को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। स्टेट गवर्नमेंट की ओर दाखिल SLP पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट की याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले की सुनवाई करेगी।
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झारखंड गवर्नमेंट के एडवोकेट ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त मामले में कहा है कि हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं है। मामले की सुनवाई जरूरी है। मामले में अब अगली सुनवाई जनवरी में होगी। झारखंड गवर्नमेंट की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट अरुणाभ चौधरी, एडवोकेट प्रज्ञा सिंह बघेल, तूलिका मुखर्जी और बीनू शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान अनामिका गौतम की ओर से उपस्थित एडवोकेट ने हाईकोर्ट द्वारा FIR रद्द किए जाने के फैसले को बरकरार रखने का आग्रह किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार नहीं रखा।
झारखंड गवर्नमेंट ने हाई कोर्ट के उसे फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर की है जिसमें हाई कोर्ट ने देवघर में अनामिका गौतम के नाम खरीदी गई जमीन के मामले में दर्ज एफआइआर को रद्द कर दिया था। यह मामला देवघर की उस भूमि खरीद से जुड़ा है, जिसमें विष्णुकांत झा ने आरोप लगाया था कि जिस जमीन का मार्केट वैल्यू लगभग 19 करोड़ रुपये है, उसकी रजिस्ट्री तीन करोड़ रुपये में हुई है। देवघर के ऐलोकेसी धाम की जमीन खरीद मामले में अनामिका गौतम के खिलाफ देवघर के टाउन पुलिस स्टेशन में दो एफआइआर दर्ज की गई थी।
अनामिका ने इसको हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद एफआइआर रद्द कर दिया था। कोर्ट ने इस मामले में स्टेट गवर्नमेंट से जवाब मांगा था। इस पर सरकार ने कहा था कि 19 करोड़ रुपये की जमीन तीन करोड़ रुपये में खरीदी गई है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है, इसलिए जमीन की रजिस्ट्री रद्द की जाए।