झारखंड: माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस में नहीं आता : JMM
जेएमएम ने कहा है कि सीएम हेमंत सोरेन के माइंस लीज मामले पर बीजेपी भ्रम फैला रही है। बीजेपी स्टेट गवर्नमेंट को अस्थिर करना चाहती है। लेकिन बीजेपी का यह मंसूबा कभी कामयाब नहीं होगा। पार्टी को कोर्ट पर पूरा भरोसा है। जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और एमएलए सुदिव्य कुमार सोनू ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस में नहीं आता।
- भ्रम फैला रही है BJP
- 25 MLA वाली BJP यह तय नहीं कर सकती कि सरकार किसकी होगी-किसकी नहीं
रांची। जेएमएम ने कहा है कि सीएम हेमंत सोरेन के माइंस लीज मामले पर बीजेपी भ्रम फैला रही है। बीजेपी स्टेट गवर्नमेंट को अस्थिर करना चाहती है। लेकिन बीजेपी का यह मंसूबा कभी कामयाब नहीं होगा। पार्टी को कोर्ट पर पूरा भरोसा है। जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और एमएलए सुदिव्य कुमार सोनू ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस में नहीं आता।
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जेएमएम नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1964 से लेकर 2006 के तहत अपने निर्णयों में स्पष्ट कहा है कि धारा 9 A में माइनिंग लीज का मामला नहीं आता। दिल्ली हाईकोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए एमएलए ने कहा कि किसी तरह का फैसला देने से पहले भारत निर्वाचन आयोग को पीड़ित पक्ष की बातों को सुनना पड़ेगा। ऐसे में पार्टी आश्वास्त है कि सीएम हेमंत सोरेन के पक्ष को भी सुना जायेगा।
सोनू व सुप्रियो ने कहा कि माइनिंगलीज मामले में हर पहलू को देखने की जरूरत है। ऐसे मामलों में सरकार या कोई भी बर्खास्त नहीं हो सकता। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजमेंट का हवाला दिया।
जेएमएम नेताओं ने कहा कि सीवीके राव बनाम दत्तू भसकरा -1964 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने स्पष्ट कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) के तहत माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस के तहत नहीं आता। 2001 में करतार सिंह भदाना बनाम हरि सिंह नालवा व अन्य और 2006 में श्रीकांत बनाम बसंत राव व अन्य मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह का निर्णय दिया था।
सीएम का माइंस लीज का मामला लाभ का पद नहीं बनता
सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि हर हालत में ऐसे मामले में पीटिशनर की बातों को सुना जाना चाहिए। कैलाश गहलोत V/S इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया में यह निर्णय दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि एक एकड़ से कम (सीएम का माइंस लीज 80 डिसमिल है) माइंस होने के कारण इसका निष्पादन डीसी द्वारा किया गया था। यानी जो भ्रम फैलाया जा रहा है कि माइंसमिनिस्टर रहते हुए सीएम ने माइंस लीज अपने नाम किया, वह गलत है। माइंस में अभी तक कोई माइनिंग नहीं हुआ है। बिजली नहीं पहुंची है। कोई जीएसटी नहीं लिया है। ऐसे में लाभ का कोई मामला ही नहीं बनता है।जेएमएम एमएलए ने कहा कि धारा 9 (ए) के तहत सभी तरह के मामलों में किसी भी व्यक्ति को उसके पद से बर्खास्त नहीं किया जा सकता। केवल सप्लाई ऑफ गुड्स और सरकारी कामों का उपयोग करने में ही ऐसा किया जा सकता है। माइंस लीज का मामला इसमें नहीं आता। उन्होंने कहा कि सीएम ने पहले ही अपने चुनावी हलफनामे में इस बात का उल्लेख किया है कि उनके नाम से एक माइंस लीज पर है, जिसे उन्होंने रिन्यूअल के लिए भेजा है। ऐसे में तो कोई आपराधिक मामला बनता ही नहीं।
बाबूलाल मरांडी स्वयंभू जज
जेएमएम नेताओं ने कहा कि बाबूलाल मरांडी स्वयंभू जज बन बैठे हैं। मरांडी झारखंड में घूम-घूम कर सीएम हेमंत सोरेन से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। लेकिन अपनी बात भूल जाते हैं. कहा कि वर्ष 2006 तक बाबूलाल में नैतिकता बची हुई थी लेकिन उसके बाद उनकी नैतिकता समाप्त हो गयी। धनवार की जनता ने उन्हें झाविमो के टिकट पर विधानसभा भेजी थी लेकिन अपनी नैतिकता को ताक पर रखकर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया।
रघुवर दास के खिलाफ कई मामले की चल रही है जांच
जेएमएम नेताओं ने कहा कि रघुवर दास बेवजह का हाय तौबा मचाये हुए है। उनके खिलाफ मैनहर्ट हो या टॉफ़ी-बिस्किट का मामला ऐसे कई मामले पर जांच चल रही है। रघूवर दास के पांच वर्षों के कार्यकाल में कितने गलत काम हुए हैं सभी बहुत जल्द पब्लिक प्लेटफोर्म पर आयेगी। ऑर्गेनिक फॉर्मिंग ऑथरिटी ऑफ झारखंड (ओफाज) में घोटाले की भी जेएमएम नेताओं ने चर्चा की।