झारखंड: गोड्डा MP निशिकांत दुबे की वाइफ अनामिका गौतम को हाईकोर्ट से राहत, जमीन खरीद मामले की FIR रद्द
झारखंड हाईकोर्ट से गोड्डा एमपी निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने अनामिका गौतम के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने का आदेश दिया है। जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने सोमवार को अनामिका की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। इसके पूर्व कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही जांच प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
रांची। झारखंड हाईकोर्ट से गोड्डा एमपी निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने अनामिका गौतम के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने का आदेश दिया है। जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने सोमवार को अनामिका की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। इसके पूर्व कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही जांच प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
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देवघर डीसी ने मार्च 2021 में अनामिका गौतम के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया था। अनामिका गौतम ने आनलाइन इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर देवघर के एलकेसी धाम में जमीन की खरीदारी की थी। इस मामले में किरण कुमारी की ओर से उक्त जमीन पर दावा करते हुए डीसी के यहां डीड रद करने के लिए आवेदन दिया था। इसके आधार पर डीसी की ओर से डीड को रद करते हुए सब रजिस्ट्रार राहुल चौबे को अनामिका गौतम के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया।
सब रजिस्ट्रार ने एलोकेसी धाम की जमीन की खरीद को कपटपूर्ण मानते हुए देवघर के टाउन पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज करायी थी। एफआइआर के लिए दिये गये आवेदन में क्रेता, विक्रेता और पहचानकर्ता के अलावा गवाहों के ऊपर भी कार्रवाई की मांग की गयी है। टाउन पुलिस स्टेशन देवघर में आईपीसी की धारा 420, 406, 467, 468 471 और 120 (B) तहत एफआइआर दर्ज की थी।इस मामले की जांच का जिम्मा सब इंस्पेक्टर जीशान अख्तर को दिया गया था। वहीं देवघर डीसी के आदेश के बाद इस जमीन का निबंधन भी रद्द कर दिया गया था। पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी।
अनामिका गौतम की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान अनामिका गौतम के एडवोकेट प्रशांत पल्लव ने कोर्ट के बताया कि इस तरह के मामले में पूर्व में हाई कोर्ट ने एफआइआर को निरस्त कर दिया था। वहीं, जब यह मामला कोर्ट में लंबित है, तो डीसी इस तरह की कार्रवाई नहीं कर सकते हैं और यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।इसके बाद कोर्ट ने माना कि इस मामले में कानून का दुरुपयोग किया गया है। जब इस तरह के समान मामले में दर्ज एफआइआर को पूर्व में हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी है। ऐसे में यह एफआइआर मेंटनेबल नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने एफआइआर निरस्त कर दिया।