Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा ईदगाह सर्वे रोकने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार,मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटे शाही ईदगाह मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
- श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका
- हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह के सर्वे का दिया था आदेश
नई दिल्ली। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटे शाही ईदगाह मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
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नौ जनवरी को होगी अगली सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे ईदगाह परिसर के सर्वे को मंजूरी दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो आदेश पारित किया था, उस आदेश को आज वर्चुअली शाही ईदगाह मस्जिद ने और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने मांग की थी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगा दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया, कोर्ट ने कहा यह केस नौ जनवरी के लिए निर्धारित है हम उसी दिन उसको सुनेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में कमीशन की अर्जी स्वीकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि, कटरा केशवदेव परिसर के सर्वे रिपोर्ट के लिए कमीशन जारी करने की अर्जी को स्वीकार कर लिया है। कमीशन की संरचना व रूपरेखा तय करने के लिए 18 दिसंबर की तारीख तय हुई है। यह फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव व सात अन्य के सिविल वाद में दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है। वाद पोषणीयता या कमीशन जारी करने की किस अर्जी की पहले सुनवाई की जाए। कोर्ट ने 16 नवंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था।
मंदिर पक्ष ने कहा
मामले में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव भी वादी हैं। एडवोकेट हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने कहा कि कटरा केशव देव के नाम दर्ज पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मस्थान है, जो 13.37 एकड़ में है। इसमें शाही मस्जिद ईदगाह स्थित है। कमीशन जारी होने से दस्तावेजी सबूत हासिल होंगे। इस दौरान ज्ञानवापी विवाद में भी कमीशन जारी होने का हवाला दिया गया।
सर्वे रिपोर्ट के लिए कमीशन भेजने की अर्जी मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि कटरा केशव देव शाही ईदगाह मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट के लिए कमीशन जारी करने की अर्जी मंजूर कर ली है। कमीशन की संरचना व रूपरेखा तय करने की सुनवाई की तिथि 18 दिसंबर नियत की है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की यह मांग अस्वीकार कर दी है कि आदेश 7नियम 11के तहत सिविल वाद की पोषणीयता की अर्जी की कमीशन जारी करने से पहले की जाए। कोर्ट ने कहा कि कमीशन वाद की सुनवाई के किसी भी स्टेज पर जारी किया जा सकता है और ऐसा कोई स्ट्रेट जैकेट फार्मूला नहीं है कि कोर्ट किस अर्जी की पहले सुनवाई करे। कोई भी पक्ष कोर्ट को अपनी अर्जी पहले सुनने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि कमीशन जारी करने की अर्जी पहले दाखिल की गई थी। सुनवाई व निस्तारण तिथि पर सिविल वाद की पोषणीयता पर कानूनी आपत्ति की गई।
कमीशन जारी करने की अर्जी पर शाही मस्जिद ईदगाह की तरफ से आपत्ति दाखिल की गई है और वाद पोषणीयता अर्जी पर वादी पक्ष को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया गया है। बिना विरोधी पक्ष को सुनें कोई अर्जी तय नहीं की जा सकती। कमीशन जारी करने की अर्जी सुनवाई के लिए तैयार है। यह भी कहा गया कि कमीशन जारी करने से किसी को कोई नुक्सान नहीं होगा।कमीशन रिपोर्ट पर कोर्ट में साक्ष्य लिए जायेंगे।विपक्षी को प्रतिपरीक्षा का अवसर ट्रायल के दौरान मिलेगा।
वादी भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव के एडवोकेट हरिशंकर जैन व विष्णु जैन का कहना था कि आदेश 26 नियम 9 के तहत कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी पर शाही मस्जिद ईदगाह अंजुमन इस्लामिया कमेटी ने आपत्ति दाखिल कर दी है। इसलिए आदेश 7 नियम 11 की सिविल वाद की पोषणीयता पर आपत्ति की अर्जी सुनने से पहले कमिश्नर नियुक्ति अर्जी सुनी जाए।उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्वामित्व का इतिहास व विवाद का व्योरे का दस्तावेजी साक्ष्य के हवाले से कहा कि कटरा केशव देव के नाम दर्ज पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि है, जो 13.37एकड़ में है, जिसमें शाही मस्जिद ईदगाह स्थित है। कमीशन जारी होने से दस्तावेजी साक्ष्य प्राप्त होंगे। उन्होंने ज्ञानवापी विवाद में भी कमीशन जारी होने का हवाला दिया। कहा परिसर के फोटोग्राफ व वीडियो ग्राफी से साक्ष्य मिलेगा। इससे किसी को नुकसान नहीं है।
मस्जिद पक्ष के एडवोकेट वजाहत हुसैन, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता का कहना था कि पहले वाद पोषणीयता की अर्जी तय की जाए, क्योंकि सिविल वाद दाखिल करने पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट से बार लगाता है। यदि वाद ही वादी के खिलाफ तय हो गया तो कमीशन का सवाल ही नहीं रहेगा। इसलिए कमीशन जारी करने से पहले उन्हें सुना जाए।
अर्जी में यह किया गया था दावा
एडवोकेट हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और प्रभाष पांडेय की ओर से दाखिल अर्जी में दावा किया गया है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और ऐसे कई प्रतीक हैं जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर है। कहा गया था कि वहां एक कमल के आकार का स्तंभ मौजूद है, जो हिंदू मंदिरों की एक उत्कृष्ट विशेषता है और शेषनाग की एक छवि भी वहां मौजूद है, जो हिंदू देवताओं में से एक है, जिन्होंने भगवान कृष्ण की उनके जन्म की रात में रक्षा की थी। अर्जी में यह भी कहा गया है कि मस्जिद के स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी भी दिखाई देती है। इसको देखते हुए कोर्ट तीन अधिवक्ताओं का एक आयोग नियुक्त कर जांच के निर्देश दे। पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई जाए।