कांग्रेस संगठन में बड़ा फेरबदल, गुलाम नबी, बोरा, अंबिका व खड़गे समेत पांच महासचिव हटाये गये, राहुल के करीबियों को मिली जगह
कांग्रेस में CWC की पुनर्गठन को लेकर लेटर बम के बाद बाद पार्टी प्रसिडेंट सोनिया गांधी ने गुरुवार को बड़ा फेरबदल किया है। सोनिया गांधी ने लेटर लिखने वाले पार्टी नेताओं के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है।राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए राहुल गांधी के समर्थक युवाओं के साथ-साथ पार्टी के सीनीयर लीडरों को भी संगठन और कांग्रेस की नीति निर्धारण इकाई में जगह दी है।
नई दिल्ली। कांग्रेस में CWC की पुनर्गठन को लेकर लेटर बम के बाद बाद पार्टी प्रसिडेंट सोनिया गांधी ने गुरुवार को बड़ा फेरबदल किया है। सोनिया गांधी ने लेटर लिखने वाले पार्टी नेताओं के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है।राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए राहुल गांधी के समर्थक युवाओं के साथ-साथ पार्टी के सीनीयर लीडरों को भी संगठन और कांग्रेस की नीति निर्धारण इकाई में जगह दी है। कांग्रेस के नये प्रसिडेंट का चुनाव कराने के लिए पांच सदस्यीय सेंट्रल इलेक्शन कमेटी का भी गठन कर दिया गया है।
कांग्रेस में बड़े फेरबदल में गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल बोरा, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे व लुजिनो फलेरियो को महासचिव पद से मुक्त कर दिया गया है। वहीं रणदीप सुरजेवाला, तारिक अनवर और जितेंद्र सिंह को महासचिव बनाया गया है। गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को कांग्रेस की शीर्ष इकाई कार्यसमिति में बरकरार रखते हुए और जितिन प्रसाद को प्रमोट किया गया है।जितिन प्रसाद और राजीव शुक्ल को भी स्टेट का इंचार्ज बनाया गया है। राहुल गांधी के करीब सचिन राव को कार्यसमिति में बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किया गया है।
छह सदस्यों की स्पेशल कमेटी का गठन
कांग्रेस संगठन में बदलाव से जुड़ी चिट्ठी को लेकर हुए विवाद के बाद सोनिया गांधी ने कार्यसमिति में दिये गये आश्वासन के अनुरूप छह सदस्यों की एक स्पेशल कमेटी का भी गठन किया है। अगले एआइसीसी सेशन तक, पार्टी के नये अध्यक्ष के चुनाव होने तक यह कमेटी कांग्रेस अध्यक्ष के कामकाज में विशेष सहायता करेगी। हालांकि, इस समिति में पत्र विवाद से जुडे़ किसी नेता को नहीं रखा गया है। एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और रणदीप सुरजेवाला समिति के सदस्य बनाये गये हैं। मधुसूदन मिस्त्री को इस चुनाव प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है। राजेश मिश्रा, कृष्णा बायरागौड़ा, एस ज्योतिमणि और अरविंदर सिंह लवली इसके मेंबर बनाये गये हैं।
सोनिया ने कांग्रेस कार्यसमिति में संतुलन बनाये रखने के लिए सीनीयर नेताओं की जगह बनाये रखा है। वहीं राहुल के करीबी कई युवा चेहरों सचिन राव, मणिक्कम टैगोर, सुस्मिता देव को CWC में जगह दी गयी है। दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद को दोबारा बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य कार्यसमिति में जगह मिली है।
हरीश रावत को पंजाब का महासचिव का प्रभार सौंपा गया
तीन नये महासचिवों में तारिक अनवर को केरल और लक्षद्वीप, रणदीप सुरजेवाला को कर्नाटक और जितेंद्र सिंह को असम स्टेट कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। महासचिव हरीश रावत को पंजाब, मुकुल वासनिक को मध्य प्रदेश, ओमान चंडी को आंध्र प्रदेश, प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश, अजय माकन को राजस्थान और केसी वेणुगोपाल को संगठन की जिम्मेदारी दी गई है।
जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल के साथ अंडमान-निकोबार का प्रभारी बनाया गया है। राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश, पवन बंसल को बतौर प्रभारी मोतीलाल वोरा की जगह कांग्रेस हेडक्वार्टर के प्रशासन का जिम्मा सौंपा गया है। दिनेश गुंडूराव को तमिलनाडु, पुडुचेरी और गोवा, मणिक्कम टैगोर को तेलंगाना, चेल्लाकुमार को ओडिशा, एचके पाटिल को महाराष्ट, देवेंद्र यादव को उतराखंड, मनीष चतरथ को अरुणाचल प्रदेश, भक्तचरण दास को मिजोरम व मणिपुर और कुलजीत नागरा को सिक्किम, नगालैंड और त्रिपुरा का प्रभारी बनाया गया है।आरपीएन सिंह झारखंड, शक्ति सिंह गोहिल को बिहार व दिल्ली का प्रभारी बनाया गया है। राजीव सातव पहले की तरह गुजरात के इंचार्ज रहेंगे।
नौ महासचिव और 17 प्रभारी
कांग्रेस संगठन में अब नौ महासचिव और 17 प्रभारी हो गये हैं। महासचिवों में मुकुल वासनिक, हरीश रावत, ओमन चांडी, प्रियंका गांधी, तारिक अनवर, रणदीप सुरजेवाला, जीतेंद्र सिंह, अजय माकन और केसी वेणुगोपाल हैं। हरीश रावत से असम की जिम्मेदारी लेकर पंजाब दे दिया गया जबकि वासनिक से तमिलनाडु और पुद्दुचेरी जैसे प्रभार लेकर उन्हें मध्य प्रदेश दिया गया।
स्टेट प्रभारियों में रजनी पाटिल, पीएम पुनिया, आरपीएम सिंह, शक्ति सिह गोहिल, राजीव सातव, राजीव शुक्ला, जितिन प्रसाद, दिनेश गुंडूराव, माणिकम टैगोर,चेल्ला कुमार, एच के पाटिल, देवेंद्र यादव, विवेक बंसल, मनीष चतरथ, भक्त चरणदास और कुलजीत नागरा शामिल हैं। इनमें रजनी पाटिल, पुनिया, सातव, गोहिल जैसे नेता पहले से प्रभारी रहे हैं। पाटिल से हिमाचल का प्रभार लेकर उन्हें जम्मू कश्मीर दे दिया गया।