डोलो-650 की सेल के लिए मेडिसीन कंपनी ने बांटे हजार करोड़ के गिफ्ट्स, सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल में दावा किया गया है मेडिसीन कंपनी डोलो -650 के प्रमोशन के लिए एक हजार करोड़ के गिफ्ट बांटे। पीआइएल के इस दावे को को सुनकर जज भी हैरान रह गये। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस मामले पर सेंट्रल गवर्नमेंट से जबाव मांगा है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल में दावा किया गया है मेडिसीन कंपनी डोलो -650 के प्रमोशन के लिए एक हजार करोड़ के गिफ्ट बांटे। पीआइएल के इस दावे को को सुनकर जज भी हैरान रह गये। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस मामले पर सेंट्रल गवर्नमेंट से जबाव मांगा है।
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यह बेहद गंभीर मामला
पीआइएल में कहा गया है कि जो डॉक्टर गिफ्ट लेकर दवा की सलाह देते हैं, उन्हें इसके लिए जिम्मेदार भी होना चाहिए। डोलो-650 जिसे अकसर बुखार में दिया जाता है। कहा गया कि इस दवा की बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को एक हजार करोड़ रुपये के गिफ्ट दिये गये। जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना वाली बेंच ने कहा, यह बेहद गंभीर मामला है। बेंच ने सेंट्रल गवर्नमेंटसे 10 दिन के अंदर जवाब मांगा है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, यह सुनकर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है। जब मुझे कोरोना था तो मुझसे भी यही दवा लेने को कहा गया था। यह तो बहुत की गंभीर मामला है। फेडरेशन ऑफ मेडिकल ऐंड सेल्स रिप्रजंटेटिवंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से यह पीआइएल फाइल की गई थी। फेडरेशन की तरफ से पेश हुए एडवोकेट संजय पारिक ने कहा, डोलो ने डॉक्टरों को एक हजार करोड़ रुपये के फ्री गिफ्ट दिए ताकि उनकी दवा का प्रमोशन हो।
वहीं सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने भी रेड के बाद दावा किया था कि दवा निर्माता कई तरह की अनैतिक गतिविधियां करता है। सीबीडीटी ने कहा था कि तीन सौ करोड़ रुपये की टैक्स की चोरी भी की गई। एजेंसी ने कंनपी के 36 ठिकानों पर रेड की थी। पीआइएल में कहा गया है कि अगर इस तरह का काम किया जाता है तो ना केवल दवा के ओवर यूज के केस बढ़ेंगे बल्कि इससे पेसेंट के हेल्थ पर भी विपरीत असर पड़ सकते हैं। इस तरह के घोटालों से मार्केट में दवाओं की कीमत और बिना मतलब की दवाओं की भी समस्या पैदा होती है। यह भी दावा किया गया है कि कोरोना महामारी के समय ऐसी दवाओं का ज्यादा ही प्रमोशन किया गया। अनैतिक तरीके से मार्केट में सप्लाई किया गया।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल से इस मामले में जवाब मांगा था लेकिन अब तक हलफनामा दाखिल नहीं किया गया था। केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिट जनरल केएम नटराज ने कहा कि रिस्पॉन्स लगभग तैयार है। अब 29 सितंबर को इस मामले की सुनवाई होनी है।
29 सितंबर को अगली सुनवाई
एडवोकेट बताया कि लेकिन 500 मिग्रा से ऊपर की दवा की कीमत निर्माता फार्मा कंपनी द्वारा तय की जा सकती है। उन्होंने दलील दी कि ज्यादा फायदा कमाने के लिए कंपनी ने डोलो 650 मिग्रा टैबलेट प्रेस्क्राइब करने के लिए डॉक्टरों को जमकर फ्री गिफ्ट्स दिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'आप जो कह रहे हैं वह सुनने में सुखद लगता है। यही दवा है जो मैंने कोविड होने पर ली थी। यह एक गंभीर मुद्दा है और हम इस पर गौर करेंगे।' बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को 10 दिनों में याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और इसके बाद पारिख को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितम्बर की तारीख मुकर्रर की है। इस बीच एक एडवोकेट ने फार्मा कंपनियों की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर करने की कोर्ट से अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। बेंच ने कहा कि वह भी इस मुद्दे पर फार्मा कंपनियों का पक्ष सुनना चाहेगी।